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________________ ३१६ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ वाषिक मेला क्षेत्रपर कोई नियमित वार्षिक मेला नहीं होता है। पहले फागुन सुदी ५ से १० तक वार्षिक मेला भरता था। व्यवस्था - इस क्षेत्रकी सम्पूर्ण व्यवस्था श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र श्री पावागिरिजी ट्रस्ट कमेटी और प्रबन्धकारिणी कमेटी द्वारा होती है। हर तीन वर्षके बाद साधारण सभा द्वारा प्रबन्धकारिणी कमेटीका चुनाव होता है। मार्ग और अवस्थिति . श्री पावागिरि सिद्धक्षेत्र मध्यप्रदेशके जिला खरगौनमें ऊन नामक स्थानसे दो फलांग दूर स्थित है। ऊन एक छोटा-सा कसबा है जिसकी जनसंख्या लगभग ४००० है। यहांपर पोस्टऑफिस, पुलिसथाना, दवाखाना, उच्चतर माध्यमिक स्कूल आदि हैं। यहां आनेके लिए निकटवर्ती स्टेशन खण्डवा १०४ कि. मी., इन्दौर १५४ कि. मी., सनावद ८३ कि. मी. और मह १३१ कि. मी. है। खण्डवा और सनावद होकर आनेवाले यात्रियोंको खरगौन होकर और इन्दौर या महसे आनेवाले यात्रियोंको जुलवान्या होकर बस द्वारा ऊन उतरना पड़ता है। खरगौन यहाँसे केवल १८ कि. मी. है । खरगौनसे जुलवान्या जानेवाली सड़कके किनारे ही दिगम्बर जैन धर्मशाला बनी हुई है। यह ऊनमें है। धर्मशालासे पावागिरि सिद्धक्षेत्र केवल दो फलांग दूर है। सिद्धक्षेत्र पावागिरिके पूर्व भागमें चिरूढ़ नदी बहती है, पश्चिममें कमलतलाई तालाब है। इसमें कमलके फूल खिलते हैं। उत्तरमें ऊन ग्राम है। दक्षिण दिशामें एक कुण्ड बना हुआ है जिसे नारायण-कुण्ड कहा जाता है। वैष्णव लोग इसे तीर्थ मानते हैं। क इस क्षेत्रके पश्चिममें चूलगिरि, बावनगजाजी और उत्तरमें सिद्धवरकूट क्षेत्र हैं। यहाँका पोस्ट ऑफिस ऊन है। सिद्धवरकूट सिद्धक्षेत्र सिद्धवरकूट सिद्धक्षेत्र है इस बातका समर्थन अनेक आचार्योंने किया है। प्राकृत निर्वाणकाण्डमें इस सम्बन्धमें इस प्रकार उल्लेख है रेवाणइये तीरे पच्छिमभायम्मि सिछवरकूडे । दो चक्की दह कप्पे आहठ्ठयकोडि णिन्वुदे वंदे ॥११॥ अर्थात् रेवा नदीके तटपर पश्चिम दिशाको ओर सिद्धवस्कूट क्षेत्र है । वहाँसे दो चक्री, दस कामदेव और साढ़े तीन करोड़ मुनि निर्वाणको प्राप्त हए। हिन्दी भाषाकारने इसका रूपान्तर इस प्रकार किया है 'रेवा नदी सिद्धवरकूट पश्चिम दिशा देह जहँ छूट । द्वय चक्री दश कामकुमार हूँड कोड़ि बन्दों भव पार ।'
SR No.090098
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1976
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size19 MB
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