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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ प्रतिष्ठाके समय बावनगजाजीका महामस्तकाभिषेक हुआ था। इसी समय बावनगजाजी, नौगजाजी और बड़वानीके मन्दिरोंपर स्वर्णकलश चढ़ाये गये थे। मार्ग १ श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र चूलगिरि मध्यप्रदेशमें बड़वानी शहरसे ७ कि. मी. दूरपर स्थित है। इसका दूसरा नाम बावनगजाजी अत्यन्त प्रसिद्ध है। बडवानी जानेके लिए इन्दौर. मऊ, खण्डवा, सनावद, धूलिया और दोहद इन स्टेशनोंसे मोटर बसें मिलती हैं। मालवावालोंको इन्दौर व मऊ से, खानदेशवालोंको धूलिया से, निमाड़वालोंको खण्डवा व सनावदसे और गुजरातवालोंको दोहद स्टेशनसे आना चाहिए। बड़वानी, जो निमाड़ जिलेमें है, से क्षेत्र तक पक्की सड़क है। . . .
खण्डवा स्टेशनसे आनेवालोंको खरगौन होते हुए पावागिरि क्षेत्रके दर्शन करते हुए जुलवानिया आना पड़ता है। वहाँसे मोटर बस द्वारा बड़वानी आना चाहिए। इसी प्रकार दोहद स्टेशनपर उतरनेवालोंको मोटर बस द्वारा कुक्षि आना चाहिए और कुक्षिके पास तालनपुरमें दर्शन कर वहाँसे बड़वानी आना चाहिए।
तालनपुर
मार्ग
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र तालनपूर धार जिलेमें स्थित है। इसका पोस्ट आफिस कुक्षि है । यहाँ जानेके लिए दाहोद या मऊ स्टेशन उतरना चाहिए । गुजरातको ओरसे आनेवालोंको मध्य रेलवेके दाहोद स्टेशनपर उतरना चाहिए। वहाँसे बस द्वारा ९६ कि. मी. दूर कुक्षि या सुसारी पड़ता है। सुसारीसे कुक्षि होते हुए तालनपुर ५ कि. मी. है तथा कुक्षिसे ३ कि. मी.। मध्यप्रदेशसे आनेवालोंको मध्य रेलवेके मऊ स्टेशनपर उतरना चाहिए। मऊसे बस द्वारा बड़वानी जाकर वहाँसे कुक्षि होकर यह क्षेत्र २२ कि. मी. है। कुक्षिसे क्षेत्र तक पक्की सड़क है। धर्मशाला और मन्दिर सड़क किनारे ही हैं।
क्षेत्र दर्शन
क्षेत्रपर एक विशाल दिगम्बर जैन मन्दिर है। मन्दिरमें मूलनायकके रूपमें भगवान् मल्लिनाथकी २ फुट ६ इंच अवगाहनावाली पद्मासन पाषाण प्रतिमा विराजमान है। इसका वर्ण भूरा है। मूर्तिकी पाद-पीठिकापर लेख अंकित है जिसके अनुसार इस प्रतिमाकी प्रतिष्ठा संवत् १३२५ वैशाख वदी ८ बुधवारको लाडबागड़गच्छ (काष्ठा संघ) के आचार्य महेशकीर्ति, उनके शिष्य विपुलकीर्ति, उनके शिष्य विशालकीतिके उपदेशसे की गयी अर्थात् यह प्रतिमा ईस्वी सन् १२६८ में प्रतिष्ठित हुई थी। _इस प्रतिमाके अतिरिक्त मन्दिरमें ५ प्रतिमाएं और हैं, किन्तु वे अवगाहनामें इससे छोटी हैं तथा उनके ऊपर कोई लेख भी नहीं है। वेदी तीन दरकी है। गर्भगृह काफी बड़ा है। बाहर सभामण्डप है । मन्दिर शिखरबन्द है।