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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ जैन पुरातत्व
मध्यप्रदेशमें लगभग सभी जिलोंमें, वनों और पर्वतोंपर जैन पुरातत्त्व की सामग्री बिखरी पड़ी है। जितने प्रचुर परिमाणमें जेन पुरावशेष इस प्रदेशमें मिलते हैं, उतनी संख्यामें सम्भवतः भारतके किसी अन्य प्रदेशमें नहीं मिलेंगे। यहाँका जैन पुरातत्त्व प्रचुरताकी दृष्टिसे ही नहीं, ऐतिहासिक और कलाको दृष्टिसे भी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। ।
कालक्रमकी दृष्टिसे हम इस प्रदेशके जैन पुरातत्वको सुविधाके लिए तीन भागोंमें बांट सकते हैं-गुप्तकालीन, मध्यकालीन और उत्तरकालीन। इसी प्रकार यहाँकी पुरातन कलाकृतियों
और कलावशेषोंको भी अपनी सुविधाके लिए हम चार भागोंमें विभाजित कर सकते हैं(१) तीर्थंकरमूर्तियां, (२) शासन देवी-देवताओंकी मूर्तियां, (३) देवायतन, (४) अभिलेख । तीर्थकर मूर्तियां ____ इस प्रदेशमें तीर्थंकर-मूर्तियां हजारोंकी संख्यामें उपलब्ध होती हैं । इनमें खड्गासन मूर्तियोंकी संख्या पद्मासन मूर्तियोंकी अपेक्षा कम है। अधिकांश अतिशय क्षेत्रोंपर मूलनायक प्रतिमाएँ प्रायः खड्गासन मिलती हैं। विशेषतः बुन्देलखण्डके अतिशय क्षेत्रोंपर विशाल अवगाहनावाली शान्तिनाथ भगवान की प्रतिमाएं स्थापित करनेकी परम्परा-सी रही है। मध्यप्रदेशमें खडगासन प्रतिमाओंमें सर्वोन्नत प्रतिमा चूलगिरि ( बड़वानी ) में स्थित भगवान् आदिनाथकी है। इसकी ऊँचाई ८४ फुट है। भारतमें इतनी ऊंची प्रतिमा दूसरी नहीं है। ग्वालियर किलेकी आदिनाथ भगवान्की ५७ फुट ऊँची प्रतिमाको दूसरा स्थान दिया जा सकता है। इसकी गणना उरवाही समूहकी प्रतिमाओंमें की जाती है । इसी दुर्गके दक्षिण-पूर्व समूहकी लगभग २० प्रतिमाएं २० से ४० फुट तक ऊंची हैं। खन्दारमें शान्तिनाथ भगवान्की ३५ फुट ऊँची मूर्ति है।
इनके अतिरिक्त अन्य कई क्षेत्रोंपर भी काफी समुन्नत खड्गासन प्रतिमाएं हैं, किन्तु वे इनसे आकारमें छोटी हैं। जैसे बजरंगढ़में शान्ति, कुन्थु और अरनाथकी १८ फुट ऊँची, अहारमें १७ फुट, सिहोनियामें शान्तिनाथकी १६ फुट, थूबौनमें शान्तिनाथको १८ फुट, बीना-बारहामें शान्तिनाथकी १५ फुट ऊंची प्रतिमाएं हैं। बहुरीबन्द, पटनागंज, कुण्डलपुर, बीना-बारहा आदिमें १२ फुट अवगाहनावाली प्रतिमाएं मिलती हैं।
पद्मासन प्रतिमाओंमें सर्वोन्नत प्रतिमा ग्वालियर दुर्गके 'एक पत्थरकी बावड़ी' समूहकी सुपार्श्वनाथ तीर्थकरकी है जो ३५ फुट ऊंची है। इतनी विशाल पद्मासन मूर्ति सम्भवतः अन्यत्र कहींपर भी उपलब्ध नहीं होती । कुण्डलपुरमें आदिनाथ भगवान्की मूर्ति, जिसे 'बड़े बाबा' कहा जाता है, १२ फुट ऊंची है। ग्वालियर दुर्गमें अन्य भी कई पद्मासन मूर्तियां विशाल आकारकी पायी जाती हैं।
इस प्रदेशमें उपलब्ध होनेवाली तीर्थंकर मूर्तियोंमें वैविध्यके भी दर्शन होते हैं। जैसे द्विमूर्तिका, त्रिमूर्तिका, सर्वतोभद्रिका, पंचबालयति, चतुर्विंशति पट्टिका मूर्तियोंमें, यों तो सभी २४ तीर्थंकरोंकी मूर्तियाँ प्राप्त होती हैं, किन्तु आदिनाथ, शान्तिनाथ, पाश्वनाथ और महावीरकी मूर्तियां बहु संख्यामें मिलती हैं। आदिनाथकी जटामण्डित मूर्तियां इस प्रदेशमें भी मिलती हैं। किन्तु उनकी संख्या अत्यल्प है। ऐसी मूर्तियाँ कुण्डलपुर, कारीतलाई आदिमें हैं। बीना-बारहा आदि कई स्थानोंपर आदिनाथेतर कई तीर्थंकर मूर्तियोंपर भी स्कन्धचुम्बी लटें अंकित मिलती हैं । पाश्वनाथकी प्रतिमाएं प्रायः सप्तफणावलि युक्त प्राप्त होती हैं, नव और एकादश फणावलि युक्त पार्श्वनाथ प्रतिमा विरल ही उपलब्ध होती हैं। पटनागंजमें सहस्रफणमण्डित दो