SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 329
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २९६ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ (७) वासुपूज्य मन्दिर-इस मन्दिरकी मूलनायक प्रतिमा वासुपूज्य भगवान्की है। यह श्वेतवर्ण एवं पद्मासन है । इसका आकार २ फुट ६ इंच है। इस मन्दिरके निर्माता सेठ जीवनलाल चम्पालाल अंजड हैं। प्रतिष्ठा संवत् २००५ है। (८) चन्द्रप्रभ मन्दिर-इसमें चन्द्रप्रभकी एकमात्र प्रतिमा है। श्वेतवर्णकी यह पद्मासन प्रतिमा २ फूट ६ इंच ऊँची है। मन्दिरका निर्माण संवत १९४७ में श्री रतनबाई धर्मपत्नी श्री मांगीलाल पाटनी इन्दौरने कराया। (९) पार्श्वनाथ मन्दिर-यहां केवल पार्श्वनाथ स्वामी विराजमान हैं। यह मूर्ति कृष्णवणं पद्मासन है तथा ३ फुट ६ इंच उन्नत है । सेठ माणिकचन्द मगनीराम इन्दौरने इसका निर्माण कराया। (१०) नेमिनाथ मन्दिर-मूलनायकके रूप में यहां भगवान् नेमिनाथकी कृष्णवर्णकी प्रतिमा विराजमान है। इसकी अवगाहना १ फुट ६ इंच है। यह पद्मासनमें है। इसके अतिरिक्त यहाँ दो प्रतिमाएं और विराजमान हैं । इसके निर्माता सर्वसुख रसोईदार इन्दौर हैं। (११) आदिनाथ मन्दिर-यहाँ मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान्की कृष्णवर्ण पद्मासन प्रतिमा है। इसकी अवगाहना १ फुट २ इंच है। इसके अलावा पाषाणकी दो और भी प्रतिमाएं यहां विराजमान हैं। मन्दिरके निर्माता श्री विजयचन्द्र सेठी बड़नगर हैं। (१२) पार्श्वनाथ मन्दिर-पाश्वनाथ भगवान्को यह मूलनायक प्रतिमा १ फुट ९ इंच अवगाहनावाली है, श्वेत पाषाणकी है और पद्मासन है। इस वेदीपर पाषाणकी दो प्रतिमा और हैं। इस मन्दिरके निर्माता श्री भीकासा मांगीलाल लोनारा हैं। (१३) शान्तिनाथ मन्दिर-इसमें मूलनायक प्रतिमा भगवान् शान्तिनाथकी है। यह श्वेत पाषाणको ३ फुट ६ इंच ऊँची पद्मासन मुद्रामें है। इसके अतिरिक्त दो पाषाण-प्रतिमाएं और विराजमान हैं। मन्दिरके निर्माता श्री डालूराम कालूराम सोनकच्छ हैं। (१४) आदिनाथ मन्दिर-इसमें मूलनायक भगवान् आदिनाथकी श्वेतवर्ण प्रतिमा ३ फुट ६ इंच उन्नत है और पद्मासन,है। इस वेदीपर दो पाषाण प्रतिमाएं और भी विराजमान हैं। मन्दिरके निर्माता श्री जयचन्द चुन्नीलाल इन्दौर हैं। (१५) चन्द्रप्रभ मन्दिर-यहां साढ़े तीन फुट उत्तुंग भगवान् चन्द्रप्रभकी मूलनायक प्रतिमा श्वेत पाषाणकी है और पद्मासन है। उसके अतिरिक्त दो पाषाण प्रतिमाएं और हैं । इस मन्दिरका निर्माण श्री नन्दराम सेठी इन्दौरने कराया। (१६) आदिनाथ मन्दिर-भगवान् आदिनाथकी श्वेत पाषाणकी मूलनायक प्रतिमा पद्मासन मुद्रामें विराजमान है । इसका आकार ३ फुट ९ इंच है। इसके अतिरिक्त वेदीपर ४ पाषाण प्रतिमाएं और हैं। इस मन्दिरके निर्माता श्री नाथूलाल चुन्नीलाल इन्दौर हैं। (१७) चन्द्रप्रभ मन्दिर-इस मन्दिरका निर्माण श्री गुमानीराम नाथूराम इन्दौरने कराया है। मूलनायक प्रतिमा भगवान् चन्द्रप्रभकी है। यह ३ फुट ९ इंच उन्नत है, पद्मासन है और श्वेत पाषाणकी है। इस प्रतिमाके अतिरिक्त यहाँ दो पाषाण प्रतिमाएं और हैं। (१८) आदिनाथ मन्दिर-यहां आदिनाथ भगवान्की मूलनायक प्रतिमा ३ फुट १० इंच ऊंची श्वेत पाषाणकी है और पद्मासन है। इस वेदीपर दो पाषाण प्रतिमाएँ और हैं। मन्दिरके निर्माता श्री मलुकचन्द बेणीचन्द इन्दौर हैं।
SR No.090098
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1976
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy