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मध्यप्रदेशके दिगम्बर जन तोयं
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महामण्डपमें एक वेदीमें भगवान् पार्श्वनाथको कृष्ण पाषाणकी ५ फुट उन्नत पद्मासन प्रतिमा विराजमान है । यह संवत् २०२५ की प्रतिष्ठित है ।
इस मन्दिरके बराबर में एक छोटा मन्दिर है । इसमें तीन दरकी एक वेदी है । मध्यमें भगवान् पार्श्वनाथकी कृष्ण पाषाणकी पद्मासन मूर्ति विराजमान है । इसकी प्रतिष्ठा संवत् १९६१ में हुई थी। इसके पार्श्वमें बायीं ओर चन्द्रप्रभ और दायीं ओर पार्श्वनाथकी श्वेतवर्णं पाषाणपर पद्मासन मूर्तियाँ विराजमान हैं। दोनों ही सेठ जीवराज पापड़ीवाल द्वारा संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित हुई थीं।
छोटे मन्दिरके मुख्य प्रवेशद्वारके बगलमें क्षेत्रका कार्यालय है । मन्दिरके पृष्ठ भागमें धर्मंशाला है । मन्दिरके आगे चबूतरा है । उसपर क्षेत्रके दक्षिणकी ओर सड़कके लिए द्वार बना हुआ है । क्षेत्रके अहाते पृष्ठ भागकी सड़क मिली हुई है । क्षेत्रके पीछे तालाब बना हुआ है ।
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धर्मशाला
छोटे मन्दिर के पृष्ठ भागमें धर्मशाला बनी हुई है । इसमें ११ कमरे हैं । रसोईघर, स्नानगृह, शौचालय, बगीचा ये सब धर्मशालाके पृष्ठ भागमें हैं । जलके लिए नल और कुआँ है । प्रकाशके लिए बिजली है। नगरमें सभी आवश्यक वस्तुएँ मिल जाती हैं। बड़े मन्दिरके प्रवेश-द्वारके सामने भी एक धर्मशाला है |
क्षेत्र के अहातेसे लगा हुआ एक अहाता और है जिसमें विश्रान्ति भवन बना हुआ है। इसके ऊपरके भागमें दिगम्बर जैन गुरुकुल है तथा नीचेका भाग यात्रियोंके उपयोगके लिए है । यहाँ भी नल और बिजली की समुचित व्यवस्था है ।
क्षेत्रपर स्थित संस्थाएं
वर्तमानमें क्षेत्रपर एक गुरुकुल चल रहा है, जिसका संचालन मालवा प्रान्तिक दिगम्बर जैन सभा बड़नगर द्वारा किया जाता है ।
व्यवस्था
क्षेत्रकी सम्पूर्ण व्यवस्था एक निर्वाचित प्रबन्ध समिति करती है । यह समिति मध्यप्रदेशीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटीके अधीन है ।
वार्षिक मेला - इस क्षेत्रपर फाल्गुन शुक्ला ८ से १५ तक वार्षिक मेला होता है ।
उज्जयिनी
उज्जयिनीका महत्त्व
उज्जयिनी, वर्तमान में जिसे उज्जैन कहते हैं, भारतकी प्राचीन नगरियों में से है । यह अवन्तिदेश ( मालवा ) में - सिप्रा नदीके तटपर अवस्थित है । प्राचीन भारत के इतिहासमें इस नगरीका महत्त्व सांस्कृतिक और राजनैतिक दृष्टिसे शताब्दियों तक रहा है । अनेक राजवंशोंकी राजधानी बननेका गौरव इसे प्राप्त हुआ, कई प्रमुख नरेशोंने इसे उपराजधानी भी बनाया । यहाँपर ऐसी अनेक घटनाएँ हुई हैं, जिनका भारतके सांस्कृतिक जीवनपर गहरा प्रभाव पड़ा और