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मध्यप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ २-भगवान् चन्द्रप्रभकी श्वेतवर्ण, १ फुट ऊंची, पद्मासन प्रतिमा है। संवत् १९४५ में प्रतिष्ठा की गयी।
३-८ इंचके शिलाफलकमें पंचबालयति ।
४-भगवान् पार्श्वनाथकी कृष्णवर्ण पद्मासन प्रतिमा जो १ फुट १ इंच ऊँची और संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित है।
५-नेमिनाथ भगवान्की श्वेत पाषाणकी ११ इंच ऊंची प्रतिमा।
६-२ फुट १ इंचके शिलाफलकमें मध्यमें खड्गासन तीर्थंकर प्रतिमा है। उसके ऊपर छत्र हैं। उसके दोनों पार्यों में गन्धर्व पुष्पमाल लिये हुए है। उससे नीचे पद्मासन तीर्थंकर-मूर्ति है। इससे नीचे चमरवाहक खड़े हुए हैं।
५०. नेमिनाथ मन्दिर-भगवान् नेमिनाथकी कृष्ण पाषाणकी २ फुट ४ इंच उन्नत पद्मासन प्रतिमा विराजमान है और संवत् १९३७ की प्रतिष्ठित है। इसके दोनों ओर पार्श्वनाथ भगवान्की श्वेतवर्ण, पद्मासन और संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित प्रतिमाएं विराजमान हैं।
५१. पार्श्वनाथ मन्दिर-संवत् १९४८ की प्रतिष्ठित २ फुट २ इंच ऊंची पाश्वनाथ भगवान्की श्वेतवर्ण पदमासन प्रतिमा विराजमान है। इनकी बगल में १ फट ९ इंच ऊँचे शिलाफलकमें पंचबालयतिकी मूर्तियां हैं। मध्यमें पद्मासन और दोनों ओर एक-एक खड्गासन और एक-एक पद्मासन प्रतिमाएं हैं। मध्य प्रतिमाके सिरपर छत्रत्रय है और उनके दोनों पावोंमें पुष्पवर्षा करते हुए नभचारी देव प्रदर्शित हैं।
इनके अतिरिक्त पाँच पाषाण-प्रतिमाएं और हैं।
५२. महावीर मन्दिर-मूलनायक भगवान् महावीरकी यह प्रतिमा श्वेतवर्ण, पद्मासन और २ फुट ४ इंच ऊँची है और संवत् १९३५ की प्रतिष्ठित है। इसके अतिरिक्त इस वेदीपर ४ पाषाण और ९ धातुकी प्रतिमाएं विराजमान हैं।
५३. अजितनाथ मन्दिर-अजितनाथ भगवानकी पद्मासन, कृष्णवर्ण और संवत् १९४२ की प्रतिष्ठित प्रतिमा है। इसकी अवगाहना २ फुट १० इंच है। इसके अतिरिक्त वेदीमें २ पाषाणप्रतिमाएं और हैं।
५४. ४ फुट ऊँचे एक चौकोण पाषाण-स्तम्भमें सर्वतोभद्रिका प्रतिमाएँ हैं । प्रतिमाएं १ फुटकी हैं। प्रतिमाओंके सिरके दोनों ओर चमरेन्द्र खड़े हैं। प्रतिमाके नीचे दो सिंह बने हुए हैं जो सिंहासनके हैं। उससे नीचे सर्प लांछन है। उसके दोनों ओर पाश्वनाथ भगवान्के यक्ष-यक्षी धरणेन्द्र और पद्मावती हैं।
५५. अजितनाथ मन्दिर-अजितनाथ भगवान्की प्रतिमा २ फुट १ इंच ऊँची, श्वेतवर्ण और पद्मासन है और संवत् १९४२ की प्रतिष्ठित है। इस वेदीमें मूलनायकके अतिरिक्त दो पाषाणकी और दो धातुको प्रतिमाएं और हैं। ___५६. महावीर मन्दिर-भगवान् महावीरकी श्वेतवर्णकी पद्मासन प्रतिमा ३ फुट २ इंच उन्नत है और संवत् १९३५ में प्रतिष्ठित हुई है। इस वेदीपर मूलनायकके अतिरिक्त १ पाषाणकी और १५ धातुको मूर्तियाँ हैं।
५७. चन्द्रप्रभ मन्दिर-भगवान् चन्द्रप्रभकी पद्मासन-श्वेतवर्ण प्रतिमा मूलनायकके रूपमें विराजमान है। इसके अतिरिक्त ३ पाषाणकी और ४ धातुकी प्रतिमाएं हैं।
५८. आदिनाथ मन्दिर-इस मन्दिरमें तीन दरको वेदी है। इसमें मध्यमें भगवान् ऋषभ