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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ ३३. पार्श्वनाथ मन्दिर-पार्श्वनाथ भगवान्की रक्ताभ वर्णकी यह पद्मासन प्रतिमा ३ फुट ऊंची है और संवत् १८५८ में प्रतिष्ठित हुई है। इधर-उधरकी दो वेदियोंमें इसी पाषाण और कालकी चन्द्रप्रभ भगवान्को प्रतिमाएं हैं।
३४. पार्श्वनाथ मन्दिर-यह प्रतिमा कृष्णवर्ण, पद्मासन और २ फुट ९ इंच अवगाहनावाली है और संवत् १८९७ की प्रतिष्ठित है। इधर-उधर दो वेदियोंमें शान्तिनाथ और कुन्थुनाथकी कृष्ण पाषाणकी पद्मासन प्रतिमाएं विराजमान हैं।
____३५. ऋषभदेव मन्दिर-संवत् १८८९ में प्रतिष्ठित आदिनाथकी पद्मासन मूर्ति श्वेत वर्णकी है और १ फुट अवगाहनाकी है। उसके दोनों पाश्ॉमें भगवान् मुनिसुव्रतनाथ और नेमिनाथकी क्रमशः श्वेत वर्ण और कत्थई वर्णकी मूर्तियां विराजमान हैं।
३६. चन्द्रप्रभ मन्दिर-चन्द्रप्रभकी श्वेतवर्ण पद्मासन प्रतिमा १ फुट ७ इंच ऊंची है तथा संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित हुई है।
३७. नेमिनाथ मन्दिर-संवत् १९०० में प्रतिष्ठित २ फुट अवगाहनाकी यह श्वेतवर्ण पाषाण-मूर्ति पद्मासन मुद्रामें विराजमान है। इसके दोनों ओर वेदियां है जिसमें मुनिसुव्रतनाथकी मूर्तियाँ विराजमान हैं।
३८. पार्श्वनाथ मन्दिर-यह मूर्ति १ फुट १० इंच ऊँची है, संवत् १६११ में प्रतिष्ठित, श्वेत वर्णकी और पद्मासन है। इसके एक पार्श्वमें पाश्वनाथकी तथा दूसरे पाश्वमें एक अन्य मूर्ति विराजमान है जो संवत् १७४२ की प्रतिष्ठित है।
३९. सम्भवनाथ मन्दिर-यह मूर्ति खड्गासन, सलेटी वर्णकी और ४ फुट ऊँची है।
४०. ऋषभदेव मन्दिर-यह ऋषभदेवकी श्वेत पद्मासन मूर्ति १ फुट ३ इंच ऊंची है और संवत १९९६ की प्रतिष्ठित है। इधर-उधर दो वेदियाँ और हैं, जिनमें दो मतियाँ विराजमान हैं।
ये सब मन्दिर पहाड़पर बने हुए हैं। इन मन्दिरोंके दर्शनके लिए पत्थरकी सीढ़ियां तथा सड़क बनी हुई है । मन्दिरोंके बाहर मन्दिरका नाम और क्रमसंख्या लिखी हुई है। इसलिए नवागन्तुक यात्रीको पर्वतके मन्दिरोंकी वन्दना करनेमें कोई असुविधा नहीं होती। पहाड़के मन्दिरोंमें कुछ मन्दिर ऐसे हैं जो वस्तुतः पहाड़पर न होकर तलहटीमें बने हुए हैं। पहाड़के सभी मन्दिर मन्दिर नहीं है, इनमें कुछ मढ़िया या टोंक-जैसे लघु आकारके भी हैं। किन्तु वे सभी मन्दिर ही कहलाते हैं।
मैदानके अधिकांश मन्दिर प्रायः एक ही अहातेमें बने हुए हैं। यहांके सभी मन्दिर शिखरबद्ध हैं। मन्दिर नं. ४१ से ४७ तकके मन्दिर लघु मन्दिर हैं। ये सब पहाड़ीकी तलहटीमें सरोवरके किनारेसे कुछ हटकर बने हुए हैं। मन्दिर नं. ४८ से ६० तक के मन्दिर विशाल और शिखरबद्ध हैं । अब उनका परिचय इस प्रकार है
४८. पार्श्वनाथ मन्दिर-भगवान् पार्श्वनाथकी श्वेतवर्ण पद्मासन प्रतिमा ३ फुट ११ इंच उन्नत है। इस वेदीमें दो पाषाण-मूर्तियां और रखी हुई हैं।
४९. पार्श्वनाथ मन्दिर-यह मूर्ति कृष्ण पाषाणकी, ३ फुट ऊँची और पद्मासन है । इसकी फणावलोमें नौ फण हैं। मूर्तिके पादपीठपर लेख नहीं है ।
मूलनायकके अतिरिक्त वेदीपर ६ पाषाण-मूर्तियाँ विराजमान हैं। उनका परिचय ( बायीं ओरसे दायीं ओर ) इस भांति है : ।
१-१० इंचके शिलाफलकमें तीन तीर्थंकर मूर्तियां हैं। मध्यकी मूर्ति पद्मासन है तथा बायीं ओरकी खड्गासन है और दायीं ओरको खण्डित है ।