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मध्यप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ एक अन्य चतुर्विंशतिपट्टमें पार्श्वनाथ मूलनायकके रूपमें पद्मासनासीन हैं। उनके मस्तकपर सर्पके सप्त फण फैले हुए हैं। अधोभागमें चमरेन्द्र सेवामें खड़े हुए हैं। तीन ओरकी पट्टिकाओंपर शेष २३ तीर्थंकरोंकी प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं। द्विमर्तिकाएँ
रायपुर संग्रहालयमें ७ जैन प्रतिमाएं ऐसी हैं, जिनमें दो-दो तीर्थकरोंकी कायोत्सर्ग मुद्रावाली प्रतिमाएँ बनी हुई हैं। इन द्विमूर्तिकाओंमें एक प्रतिमा ऐसी भी है जिसमें अम्बिका और
पावती ललितासनसे बैठी हैं। तीर्थंकरकी यगल मतियोंमें अष्ट प्रातिहार्यके अलावा तीर्थंकरोंके लांछन और उनके शासनदेवता भी अंकित हैं। ये युगल प्रतिमाएं इस प्रकार हैं-ऋषभनाथअजितनाथ, अजितनाथ-सम्भवनाथ, पुष्पदन्त-शोतलनाथ, धर्मनाथ-शान्तिनाथ, मल्लिनाथ-मुनिसुव्रतनाथ, पाश्वनाथ-नेमिनाथ । इनके अतिरिक्त एक द्विमूर्तिकामें अम्बिका और पद्मावती हैं।
ऋषभनाथ-अजितनाथ-३ फुट ७ इंच ऊँचे श्वेत बलुआ पाषाणमें दोनों तीर्थंकरोंकी खड्गासन मूर्तियां उत्कीर्ण हैं । दोनों मूर्तियोंके परिकर पृथक्-पृथक् हैं । परिकरमें त्रिछत्र, भामण्डल, दुन्दुभि, हस्ति, पुष्पवृष्टि करते हुए विद्याधर, वक्षपर श्रीवत्स लांछन, चमरेन्द्र और भक्त हैं। दोनों मूर्तियोंके मुख और हाथ खण्डित हैं। ऋषभनाथकी चरण-चौकीपर उनका लांछन, वृषभ और यक्ष-यक्षी गोमुख-चक्रेश्वरी बने हुए हैं। इसी प्रकार अजितनाथकी पीठिकापर उनका चिह्न हाथी तथा उनके यक्ष-यक्षी महायक्ष-रोहिणी अंकित हैं। इस प्रतिमाका काल १०वीं शताब्दी प्रतीत होता है।
___ अजितनाथ-सम्भवनाथ-४ फुट ७ इंच ऊँचे शिलाफलकमें दोनों तीर्थंकरोंकी कायोत्सर्गासन प्रतिमाएं बनी हुई हैं। दोनोंके परिकरमें छत्र, प्रभामण्डल, दुन्दुभि, गजयुगल, पुष्पमालाएँ लिये विद्याधर, चमरवाहक और भक्त हैं। दोनोंके पादपीठपर उनके लांछन हस्ति एवं घोड़ा तथा उनके यक्ष-यक्षी ( अजितनाथके महायक्ष और रोहिणी तथा सम्भवनाथके त्रिमुख और प्रज्ञप्ति ) अंकित हैं। चौकीपर सिंहोंके जोड़े एवं धर्मचक्र बने हुए हैं। दोनों तीर्थंकरोंके हाथ और मस्तक खण्डित हैं।
पुष्पदन्त-शीतलनाथ-३ फुट ७ इंच ऊंचे एक श्वेत बलुआ शिलाफलकमें दोनों तीर्थंकरों
योत्सर्गासन मतियां हैं। पूष्पदन्तका दक्षिण हस्त एवं शीतलनाथका वाम हस्त खण्डित हैं। चौकियोंपर पुष्पदन्तका चिह्न मगर और उनके यक्ष-यक्षी अजित और महाकाली तथा इसी प्रकार शीतलनाथका लांछन कल्पवृक्ष और उनके यक्ष-यक्षी ब्रह्म और मानवी अंकित हैं।
- धर्मनाथ-शान्तिनाथ-३ फुट ७ इंच ऊँचे शिलाफलकमें दोनों तीर्थंकरोंकी खड्गासन मूर्तियां हैं। उनकी चरण-चौकीपर धर्मनाथका लांछन वज्रदण्ड और शान्तिनाथका लांछन हिरण अंकित हैं। धर्मनाथके यक्ष किन्नर तथा यक्षी मानसी तथा शान्तिनाथके यक्ष गरुड़ और यक्षी महामानसी तीर्थंकर मूर्ति के साथ अंकित हैं।
मल्लिनाथ-मुनिसुव्रतनाथ-एक शिलाफलकमें दोनोंकी कायोत्सर्ग मुद्रामें ध्यानस्थ मूर्तियां हैं। मल्लिनाथका दक्षिण एवं मुनिसुव्रतनाथका वाम हस्त खण्डित हैं। दोनों के वक्षपर श्रीवत्स अंकित हैं। दोनोंकी चौकियोंकी लटकती हुई झूलपर दोनोंके अलग-अलग कलश एवं कच्छप लांछन बने हुए हैं। मल्लिनाथकी चौकीपर उनका यक्ष कुबेर और यक्षी अपराजिता एवं मुनिसुव्रतनाथकी चौकीपर उनका यक्ष वरुण एवं यक्षी बहुरूपिणी ललितासनमें स्थित हैं।
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