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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थं
इन मन्दिरोंके सामने ९ फुट ऊँचा एक मानस्तम्भ या स्तम्भ बना हुआ है, किन्तु उसके ऊपर कोई मूर्ति विराजमान नहीं है ।
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मन्दिर नं. ११ – एक कक्षमें तीन प्राचीन मूर्तियाँ रखी हैं जो खण्डित हैं। इनमें ऋषभ - देवकी मूर्ति पद्मासन है । इस शिलाफलक में भामण्डल, छत्र, पुष्पवर्षा करनेवाले गन्ध, २ तीर्थंकर मूर्तियाँ, चमरवाहक और शार्दूल दिखाई पड़ते हैं । दूसरी मूर्ति २ फुट १० इंच ऊँची है । यह खड्गासन है और गजलक्ष्मी भगवान् का अभिषेक कर रही है। यह मूर्ति भगवान् श्रेयांसनाथ की है । तीसरी मूर्ति भगवान् शान्तिनाथकी है । यह खड्गासन है । गजलक्ष्मी भगवान् का अभिषेक करती हुई दिखाई पड़ती है ।
मन्दिर नं. १२ - यह प्रतिमा किस तीर्थंकरकी है, यह ज्ञात नहीं हो सका । चिह्न नीचे दब गया है । यह मूर्ति खड्गासन है । इसकी अवगाहना ३ फुट ९ इंच है । गजलक्ष्मी भगवान्का अभिषेक कर रही है। सिरके ऊपर तीन छत्र हैं । भगवान् के दोनों पावोंमें चमरेन्द्र खड़े हुए हैं। मन्दिर नं. १३ - भगवान् पार्श्वनाथ की २ फुट ऊँची यह पद्मासन मूर्ति है । बायीं ओर अरहनाथकी मूर्ति है तथा दायीं ओरकी मूर्ति में चिह्न नहीं है । अतः यह किस तीर्थंकर की मूर्ति है, यह ज्ञात नहीं होता ।
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मन्दिर नं. १४ – मूलनायक भगवान् पार्श्वनाथ । अवगाहना २ फुट । पद्मासनमें विराजमान । उनके पाश्वमें १ फुट ४ इंच ऊँची चन्द्रप्रभ भगवान् की मूर्ति है ।
मन्दिर नं. १५ – भगवान् मल्लिनाथकी ३ फुट ८ इंच अवगाहनाकी यह मूर्ति पद्मासनस्थ है और संवत् १४७२ में प्रतिष्ठित हुई है। इसकी नाक खण्डित हैं ।
बायीं ओर एक स्तम्भमें १ फुट ३ इंच आकारकी १ पद्मासन और २ खड्गासन मूर्तियों का अंकन किया गया है ।
मन्दिर नं. १६ – पद्मासनस्थ भगवान् अभिनन्दननाथको प्रतिमाकी अवगाहना ४ फुट है । प्रतिष्ठा -संवत् १८७१ है । बायीं ओर भगवान् शान्तिनाथकी १ फुट १० इंच आकारकी प्रतिमा है तथा दायीं ओर १ फुट ११ इंच आकारको तीर्थंकर मूर्ति है । इसके आसनपर चिह्न नहीं हैं ।
मन्दिर नं. १७ - वेदीपर भगवान् नेमिनाथकी श्यामवर्णं प्रतिमा विराजमान है। इसकी ऊँचाई १ फुट ९ इंच है । लगता है, यह वेदी किसी और मूर्तिको है ।
मन्दिर नं. १८ - एक तीर्थंकर मूर्ति २ फुट २ इंच ऊँची पद्मासनमें अवस्थित है और श्यामवर्ण है।
मन्दिर नं. १९–कत्थई वर्णकी एक तीर्थंकर मूर्ति १ फुट ६ इंच ऊंची है और पद्मासन है । मन्दिर नं. २० - २ फुट १० इंच उत्तुंग कत्थई वर्णकी तीर्थंकर मूर्ति है और पद्मासन में
स्थित है ।
मन्दिर नं. २१ - एक दीवार वेदीमें श्वेत पाषाणकी ५ इंच ऊँची तीर्थंकर मूर्ति विराजमान है। दायीं ओर तीन वेदियाँ बनी हुई हैं जिनमें क्रमशः चन्द्रप्रभ, नेमिनाथ और चन्द्रप्रभ विराजमान हैं ।
मन्दिर नं. २२ - यह महावीर मन्दिर कहलाता है और महावीरको 'बड़ेदेव' कहा जाता है । यह पद्मासन प्रतिमा भूरे वर्णकी है। यह १३ फुट ७ इंच ऊँची और १० फुट १० इंच चौड़ी है । इसकी चरण-चौकीपर मध्य में सिंहका अस्पष्ट लांछन प्रतीत होता है । इसीलिए इसे महावीर
मूर्ति माना जाता है । 'बड़ेदेव' के बायीं ओर गदा लिये हुए तथा दायीं ओर एक हाथमें नाल