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________________ मध्यप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ १६९ कानपुर-रोडपर २२ कि. मी. कन्दारी ग्राम है, वहाँसे यह क्षेत्र ५ कि. मी. है। ग्राम छोटा-सा है। ग्राममें कृषकोंकी आबादी है । मन्दिर छोटी-सी पहाड़ीपर है जो ५०० फुट ऊंची है। क्षेत्र-दर्शन ___मन्दिरके चारों ओर १०० फुट लम्बा अहाता है। मन्दिर ऊंची चौकीपर बना हुआ है। गर्भगृहमें मूलनायक भगवान् शान्तिनाथकी देशी पाषाणकी ४ फुट ऊंची पद्मासन प्रतिमा है। उसके दोनों पार्यों में कुन्थुनाथ और अरहनाथकी ६ फुट ऊँची खड्गासन प्रतिमाएं हैं। मन्दिरके निकट एक मठ था। किन्तु गांववालोंने नदी-तटपर जैन धर्मशालाके निकट शिव मन्दिर बनवाते समय मठके कलापूर्ण पाषाण निकालकर उस मन्दिरमें लगा दिये। ये पाषाण इस मन्दिरमें अब भी लगे हुए हैं। मठके भग्नावशेष तालाबके किनारे बिखरे पड़े हैं। मठके समीप एक गुफा है। यह गुफा कितनी लम्बी है और इसका अन्त कहाँ होता है यह ज्ञात नहीं हो सका। ३० फुट अन्दर जानेपर गुफा मुड़ती है और वहाँसे २० फुट सीधा मार्ग है। यहाँ निकटवर्ती प्रदेशमें यह किंवदन्ती प्रचलित है कि पहले मठमें एक योगी रहता था। वह भोंहरीके मार्गसे दो मील भीतर जाकर जल लाया करता था। पहाड़ीकी तलहटीमें उद्यान है तथा इसके निकट ही सरोवर है। उद्यानमें प्राचीन बावड़ी है। बाकरई नदी पहाड़ीके चरणोंको तीन ओरसे धोती हुई बहती है। सुना जाता है कि ४०-६० वर्ष पूर्व तक पहाड़ीपर कुछ खण्डित जैन प्रतिमाएं पड़ी हुई थीं जिन्हें सम्भवतः उस समय इस नदीमें विसर्जित कर दिया गया। पहले मन्दिरके निकट आबादी थी। आज वहाँ भवनोंके खण्डहर इस बातके साक्षी हैं। __ पहाड़ीके निकट नदी-तटपर जैन धर्मशाला बन चुकी है। मन्दिर और मूर्तियोंकी निर्माणशैलीसे ज्ञात होता है कि १०वीं-११वीं शताब्दीमें ( चन्देलोंके शासन-कालमें ) मन्दिर और मूर्तियोंका निर्माण हुआ था। बीना-बारहा मार्ग श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बीना-बारहा मध्यप्रदेशके सागर जिलेके अन्तर्गत रहली तहसीलमें स्थित है। यहाँ जानेके लिए मध्य रेलवेके सागर या करेली-कटनी-बीनासे आनेवालोंको सागर और जबलपुर-इटारसीसे आनेवालोंको करेली-स्टेशनपर उतरना चाहिए। सागर नरसिंहपुर रोडपर सागरसे देवरीकलाँ ६६ कि. मी. है और रहलीसे ३२ कि. मी. है। सड़क पक्की है। नियमित बस-सेवा है। देवरीकलांसे बीना वाया खैरी ६ कि. मी. है। मार्ग कच्चा है। बैलगाड़ी द्वारा जा सकते हैं । पक्की सड़क बननेवाली है। इसका पोस्ट ऑफिस देवरीकला है। . मन्दिर निर्माणका इतिहास इस क्षेत्रपर ६ जैन मन्दिर हैं। उनमें मुख्य मन्दिर भगवान् शान्तिनाथका है। भगवान् शान्तिनाथकी खड्गासन प्रतिमा १५ फुट अवगाहनावाली है। इस प्रतिमाके चमत्कारोंके सम्बन्धमें नाना भांतिकी अनुश्रुतियाँ प्रचलित हैं। ३-२२
SR No.090098
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1976
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size19 MB
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