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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ
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दर्शनीय स्थल
क्षेत्रके निकट नदीकी धाराके मध्यमें ५० फुट ऊँची एक पाषाण शिला है । कहा जाता है। कि इसी शिलापर तप करते हुए वरदत्त आदि पाँच मुनिराज मुक्त हुए थे । अतः यह शिला सिद्धशिला कही जाती है । इसके अतिरिक्त क्षेत्रसे लगभग एक मील दूर जंगल में एक वेदिका है जो काफी विशाल है । देखनेसे प्रतीत होता है कि वेदिका काफी प्राचीन है ।
धर्मशालाएँ
क्षेत्रपर ३ धर्मशालाएँ हैं - ( १ ) सेठ शोभाराम मलैया सागर द्वारा निर्मित, ( २ ) सि. मूलचन्द गिरधारीलाल विलाई द्वारा निर्मित और ( ३ ) सागरवालोंकी । इन धर्मशालाओंमें कुल मिलाकर ५२ कमरे और ३ हॉल हैं । क्षेत्रपर बिजली है, जलके लिए सरोवर और कुएं हैं । बस्ती बहुत छोटी सो है, किन्तु क्षेत्रपर खाद्य सामग्री मिल जाती है । क्षेत्र दलपतपुर बकस्वाहा सड़क बिलकुल किनारे है ।
मेला
क्षेत्रका वार्षिक मेला प्रतिवर्ष अगहन सुदी ११ से १५ तक होता है । इस अवसरपर रथोत्सव भी होता है ।
क्षेत्रपर तीन उत्सवोंके अवसरपर लगे मेले विशेष उल्लेखनीय हैं । प्रथम उत्सव संवत् १९४३ में हुआ । इस वर्षं यहाँ तीन गजरथ चले थे। दूसरा उत्सव संवत् २००८ में था । उस वर्षं यहाँ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा हुई थी। तीसरा उत्सव संवत् २०१३ में हुआ और उस वर्ष यहाँ एक गजरथ चला था । इन उत्सवोंमें पंचकल्याणकपूर्वक बिम्ब-प्रतिष्ठाएँ हुई थीं। इन प्रतिष्ठोत्सवों में सहस्रों व्यक्तियोंने भाग लिया था ।
व्यवस्था
क्षेत्रकी व्यवस्था प्रान्तीय समाज द्वारा निर्वाचित प्रबन्ध समिति करती है । प्रबन्ध समिति - का चुनाव हर तीसरे वर्षं वार्षिक मेलेके अवसरपर होता है ।
अवस्थिति और मार्ग
रेशन्दीगिरि (नैनागिरि ) सिद्धक्षेत्र मध्यप्रदेश के छतरपुर जिलेमें अवस्थित है। यहाँ पहुँचने का मार्गं इस प्रकार है - सागर-कानपुर रोडपर सागरसे ४५ कि. मी. दूर दलपतपुर गाँव है । यहाँ से पूर्व की ओर दलपतपुर - बकस्वाहा मार्गपर दलपतपुर से १२ कि. मी. दूर यह क्षेत्र अवस्थित है। सड़क पक्की है । दलपतपुरमें क्षेत्रको धर्मंशाला भी है । सागरसे रेशन्दीगिरिके लिए सीधे बस भी जाती है। प्रथम सागर - बकस्वाहा और द्वितीय सागर-विजावर मागं, दोनों ही बस - मार्गों पर रेशन्दीगिरि पड़ता है।
पजनारी
मार्ग और अवस्थिति
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पजनारी जिला सागर में बण्डासे पश्चिम दिशा की ओर, बण्डा - बाँदरी रोडपर ८ कि. मी. दूर बाकरई नदी के तटपर स्थित है । इसी प्रकार सागरसे