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________________ मध्यप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ १६९ १४. मुनिसुव्रतनाथ मन्दिर-इसमें भगवान् मुनिसुव्रतनाथकी कृष्ण पाषाणकी पद्मासन मूर्ति वीर संवत् २४५१ में प्रतिष्ठित हुई। इसकी अवगाहना २ फुट ५ इंच है। पांच मूर्तियाँ और हैं । इस मन्दिरके आगे मानस्तम्भ है। १५. मुनिसुव्रतनाथ मन्दिर-यहाँ श्वेत वर्णकी भगवान् मुनिसुव्रतनाथकी पद्मासन प्रतिमा है। यह २ फुट ६ इंच ऊंची है। इसकी प्रतिष्ठा संवत् १९४३ में हुई। १६. नेमिनाथ मन्दिर-यहाँ नेमिनाथकी १ फुट ३ इंच उन्नत कृष्ण वर्णको पद्मासन प्रतिमा है। यह संवत् १९५५ में प्रतिष्ठित हुई। १७. मुनिसुव्रतनाथ मन्दिर-इस मन्दिरमें विराजमान मुनिसुव्रतनाथ मूर्तिकी अवगाहना ३ फुटकी है। यह कृष्ण पाषाणको है, पद्मासन है और वीर संवत् २४८२ में प्रतिष्ठित हुई है। ____१८. चन्द्रप्रभ मन्दिर-भगवान् चन्द्रप्रभकी श्वेतवणं पद्मासन प्रतिमाकी अवगाहना १ फुट ५ इंच है । इसकी प्रतिष्ठा संवत् १९८३ में हुई। १९. अजितनाथ मन्दिर-इस मन्दिरमें प्रतिष्ठित प्रतिमाकी ऊँचाई २ फुट ८ इंच है। यह श्वेत पाषाणकी पद्मासन है और संवत् १९४३ में इसकी प्रतिष्ठा हुई। २०. नेमिनाथ मन्दिर-यहाँ वीर संवत् २४६४ में प्रतिष्ठित नेमिनाथको १ फुट ३ इंच उन्नत कृष्ण पाषाणकी पद्मासन प्रतिमा है। २१. चन्द्रप्रभ मन्दिर-इसमें मूंगिया वर्णकी चन्द्रप्रभ भगवान्की प्रतिमा है । यह १ फुट ७ इंच ऊँची है, पद्मासन है और संवत् १९४३ में प्रतिष्ठित हुई है। २२. पार्श्वनाथ मन्दिर-इस मन्दिरकी मूलनायक प्रतिमा भगवान् पार्श्वनाथकी है, पद्मासन है, कृष्ण पाषाणकी निर्मित है और संवत् १९४३ में इसकी प्रतिष्ठा हुई है। इस वेदीपर एक कृष्ण वर्णवाली मूर्ति और विराजमान है। २३. नेमिनाथ मन्दिर-यहां भगवान् नेमिनाथकी १ फुट ७ इंच ऊंची श्वेत पाषाणकी प्रतिमा है । यह पद्मासनमें आसीन है और संवत् १९४३ में प्रतिष्ठित करायी गयी है। २४. चन्द्रप्रभ मन्दिर-इस मन्दिरमें श्वेत पाषाणकी १ फुट उन्नत चन्द्रप्रभकी मूर्ति है। यह पद्मासन मुद्रामें आसीन है और संवत् १९४२ में प्रतिष्ठित हुई है। २५. पाश्र्वनाथ जिनालय-यहाँ भगवान् पार्श्वनाथकी श्वेत वर्णकी प्रतिमा है। यह पद्मासन है, २ फुट समुन्नत है और संवत् १९४३ में प्रतिष्ठित हुई है। २६. चन्द्रप्रभ जिनालय-यहां भगवान् चन्द्रप्रभकी श्वेत पाषाणकी प्रतिमा है। यह पद्मासन है। इसका माप १ फुट २ इंच है। इसकी प्रतिष्ठा संवत् १९४२ में हुई है। इस मूर्तिके अलावा एक कृष्ण पाषाणकी पद्मासन प्रतिमा और विराजमान है। २७. चन्द्रप्रभ जिनालय-यह प्रतिमा पद्मासन मुद्रामें विराजमान है। यह श्वेत वर्णकी है और १ फुट ऊँची है। इस मूर्तिके पीठासनपर लेख नहीं है। २८. पार्श्वनाथ मन्दिर-इस मन्दिरमें पाश्वनाथ भगवान्की श्वेत पाषाणकी संवत् १९९५ की प्रतिष्ठित प्रतिमा विराजमान है। २९. चन्द्रप्रभ मन्दिर-यहाँ भगवान् चन्द्रप्रभकी यह मूर्ति १ फुट ५ इंच उत्तुंग श्वेतवर्ण और पद्मासन है। ३०. अजितनाथ मन्दिर-इस मन्दिरमें भगवान् अजितनाथकी ५ फुट अवगाहनावाली कृष्ण पाषाणको प्रतिमा है । यह संवत् १९४८ में प्रतिष्ठित हुई है। ३१. एक गुमटीमें वरदत्तादि मुनियोंके चरण-चिह्न विराजमान है।
SR No.090098
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1976
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size19 MB
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