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________________ मध्यप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ १५९ चरण-चिह्न विराजमान हैं । विश्वास किया जाता है कि इसी गुफामें तपस्या करते हुए उन्हें मुक्ति प्राप्त हुई थी। ग्राम-मन्दिर सेंधपा ग्राममें केवल एक आदिनाथ मन्दिर है। इसमें दो वेदियाँ बनी हुई हैं, जिनपर क्रमशः ऋषभदेव और शान्तिनाथ मुलनायकके रूप में विराजमान हैं। भगवान् ऋषभदेवक न हैं । भगवान् ऋषभदेवकी प्रतिमा श्वेतवर्ण, पद्मासन है जो वि. संवत् १९०३ में प्रतिष्ठित हुई। यह २ फुट १० इंच उन्नत है। इनके समवसरणमें पाषाणको २ और धातुकी ५९ मूर्तियां विराजमान हैं। इसी प्रकार दूसरो वेदीपर शान्तिनाथ भगवान्को मूर्ति श्वेतवर्ण, पद्मासन और १ फुट ७ इंच ऊँची है। इसकी प्रतिष्ठा संवत् २०११ में हुई थी। द्रोणगिरि और वर्णोजी पूज्य गणेशप्रसादजी वर्णीको ईसरीके बाद द्रोणगिरि ही सबसे प्रिय क्षेत्र था। वे प्रायः कहते थे कि यह छोटा सम्मेदशिखर है। उन्होंने अपनी जीवन-गाथामें लिखा है-"द्रोणगिरि सिद्धक्षेत्र बुन्देलखण्डके तीर्थक्षेत्रोंमें सबसे अधिक रमणीय है। हरा-भरा पर्वत और बहती हुई युगल नदियां देखते ही बनती हैं। पर्वत अनेक कन्दराओं और निर्झरोंसे सुशोभित है। श्री गुरुदत्त आदि मुनिराजोंने अपने पवित्र पादरजसे इसके कण-कणको पवित्र किया है । यह उनका मुक्तिस्थान होनेसे निर्वाण-क्षेत्र कहलाता है। यहाँ आनेसे न जाने क्यों मनमें अपने-आप असीम शान्ति का संचार होने लगता है।" धर्मशालाएँ क्षेत्रपर कुल ३ धर्मशालाएँ हैं, जिनमें कुल ३ कमरे बने हुए हैं। क्षेत्रपर बिजली है तथा जलके लिए कुएँ हैं। क्षेत्रपर गद्दे, रजाइयां, बरतन, चारपाई आदिकी व्यवस्था है तथा क्षेत्रसे आटा, दाल आदि खाद्य वस्तुएँ भी मिल सकती हैं। वार्षिक-मेला क्षेत्रपर प्रतिवर्ष फाल्गुन कृष्णा १ से ५ तक वार्षिक मेला होता है। क्षेत्र-व्यवस्था इस क्षेत्रकी व्यवस्था निर्वाचित प्रबन्ध समिति करती है। क्षेत्रकी सारी व्यवस्थाके अतिरिक्त क्षेत्रपर स्थित श्री गुरुदत्त दिगम्बर जैन संस्कृत विद्यालय और मलहरामें स्थित जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालयको व्यवस्था भी यही समिति करती है। इनके अतिरिक्त क्षेत्रपर अन्य जो भी संस्थाएँ हैं, उनका भी संचालन यही समिति करती है। क्षेत्रपर स्थित संस्थाएं इस क्षेत्रपर निम्नलिखित संस्थाएं कार्य कर रही हैं-श्री गुरुदत्त दिगम्बर जैन संस्कृत विद्यालय और दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम । द्रोणगिरि क्षेत्रके विद्यालयकी एक शाखा गुरुकुलके रूपमें मलहरा ग्राममें चल रही थी। कुछ वर्षोंसे वह जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बन गया है। उसके साथ ही श्री गणेशप्रसाद वर्णी दिगम्बर जैन छात्रावास भी है। उदासीनाश्रम क्षेत्रसे लगभग तीन फलाँग दूर है। उसका अपना सुन्दर भवन है। उसके सामने एक विशाल
SR No.090098
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1976
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size19 MB
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