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मध्यप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ शार्दूल, दोनों ओर खड्गासन जिन-प्रतिमा, यक्ष-यक्षी और चैत्य हैं। इस प्रतिमाके वाम पाश्वमें ४ फुट ९ इंच उन्नत और दक्षिण पाश्वमें ४ फुट ५ इंच उन्नत पार्श्वनाथ प्रतिमाएं हैं। .
इस मन्दिरमें कई प्राचीन प्रतिमाएँ रखी हुई हैं।
मन्दिर नं. २९-तीन दरकी वेदीमें २ फुट ९ इंच अवगाहनाकी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। सिरके ऊपर छत्र, सिरके पीछे भामण्डल, पुष्पमाल लिये आकाशचारी गन्धवं, गजपर खड़े हुए इन्द्र, उनसे अधोभागमें पद्मासन जिन-मूर्तियां और चमरवाहक परिकरमें हैं। वेदीके दो दर खाली हैं। यहाँ भी प्राचीन प्रतिमाएँ रखी हुई हैं।
मन्दिर नं. ३०-वेदीपर २ फुट ६ इंच ऊंची पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। इसके परिकरमें पूर्ववत् है । इसमें फलकपर दो खड्गासन प्रतिमाएं हैं । गर्भगृहके आगे अर्धमण्डप है।
मन्दिर नं. ३१-यह मेरु मन्दिर है। इसमें २ फुट १० इंच ऊंची खड्गासन प्रतिमा विराजमान है।
मन्दिर नं. ३२-३ फुट २ इंच ऊंचे एक शिलाफलकमें भगवान् चन्द्रप्रभकी पद्मासन प्रतिमा फलकके मध्यमें बनी हुई है। इसके परिकरमें छत्र, भामण्डल, मालाधारी गन्धर्व, गज, मूलनायकके दोनों ओर पद्मासन प्रतिमाएँ, चमरवाहक, कोणोंपर शार्दूल, पार्श्वमें खड्गासन प्रतिमाएँ, यक्ष और यक्षीका अंकन है।
फलकके ऊपरके भागमें एक कोष्ठकमें भगवान् पाश्वनाथकी पद्मासन प्रतिमा है। उसके इधर-उधर ४ मूर्तियां हैं तथा २४ मूर्तियोंका अंकन पट्टिकाओंमें किया गया है। इनमें दो मूर्तियाँ पद्मासन हैं, शेष २२ मूर्तियाँ खड्गासन हैं।
बायीं ओर दीवारमें तोन कोष्ठक ऊपर-नीचे बने हुए हैं। नीचेके कोष्ठकमें गोमेद यक्ष है, मध्य कोष्ठकमें अम्बिका है और ऊपरका कोष्ठक खाली है। और भी कई देवी-मूर्तियाँ बनी
इस मन्दिरका गर्भगृह छोटा और साधारण है।
शान्तिनाथ मन्दिरके बाहर कुएँके निकट किसी प्राचीन मन्दिरके सिरदल रखे हुए हैं। उनके ऊपर नवग्रह, तीर्थंकर माताके सोलह स्वप्न और शासन-देवियोंका भव्य अंकन किया गया है। संग्रहालय
बस अड्डेके पास सरकारी संग्रहालय है। इसमें प्रायः खजुराहोके प्राचीन मन्दिरोंके भग्नावशेषोंमें से प्राप्त पुरातत्त्व-सामग्री संग्रह की गयी है। उसमें से कुछ सामग्री तो यहाँ व्यवस्थित रूपसे सुरक्षित है, किन्तु अधिकांश सामग्री हिन्दू मन्दिर-समूहके पास एक खुले अहातेमें पड़ी है।
संग्रहालयमें सुरक्षित सामग्रीमें जैन पुरातन सामग्री भी है। इसमें तीर्थंकर मूर्तियां और शासन-देवताओंकी मूर्तियाँ हैं। जैन सामग्रीके लिए अलगसे एक जेन कक्ष बना हुआ है। प्रमुख कक्षमें भी दो जैन मूर्तियाँ सुरक्षित हैं। एक तो भगवान् ऋषभदेवकी है और दूसरी शासन-सेवक यक्ष और यक्षीकी है।
जैन कक्षमें वर्तमानमें कुल १२ जैन मूर्तियां सुरक्षित हैं। उनका संक्षिप्त ब्योरा इस प्रकार है
(१) पार्श्वनाथ, (२) महावीर, (३) जैन मन्दिरके द्वारका सिरदल, (४) जैन तीर्थंकर, (५) बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथकी यक्षी अम्बिका अपने दोनों पुत्रोंके साथ, (६) सत्तरहवें तीर्थंकर