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________________ १३२ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ ____ वर्तमानमें खजुराहो एक छोटा-सा गांव है। किन्तु पर्यटन-केन्द्र होनेके कारण यहाँ देशविदेशके अनेक पर्यटक और यात्री आते रहते हैं। क्षेत्र-दर्शन खजुराहोके हिन्दू और जैन मन्दिर चन्देल राजाओंके शासन-कालको समुन्नत शिल्पकलाके उत्कृष्ट नमूने हैं । यहाँ जितने मन्दिर तथा चन्देलोंसे सम्बन्धित स्थान हैं, वे राहिल वर्मा ( लगभग सन् ९००) से लेकर मुसलमानों द्वारा कालिंजरकी विजय ( ई. स. १२१३ ) तकके कालके हैं। - यहाँ एक शिलालेखका एक भाग मिला है, जिसपर कुटिला लिपिमें हर्षदेव और क्षितिपालदेव नृपतिका उल्लेख है। ये हर्षदेव यशोवर्माके पिता और धंगराजके पितामह थे। अतः यह शिलालेख ई. स. ९०० के लगभगका माना जाता है। चन्देल राजाओंमें प्रारम्भके कुछ राजा विष्णु-भक्त थे किन्तु अधिकांश राजा शिवके उपासक थे। जैन धर्मके प्रति वे कभी असहिष्णु नहीं रहे । बल्कि उनके शासन कालमें उनकी उदार नीतिके फलस्वरूप जैन धर्म और जैन कलाको विकास और प्रसारका पूरा अवसर मिला। यही कारण है कि चन्देलोंके शासन-कालमें अनेक स्थानोंपर उच्चकोटिके जैन कलायतन निर्मित हुए। - जनश्रुतिके अनुसार यहाँ ८५ मन्दिर थे, किन्तु अब तो प्राचीन मन्दिरोंमेंसे केवल ३० मन्दिर ही विद्यमान हैं, शेष मन्दिर नष्ट हो गये। चन्देल राजाओंके शासनसे पूर्व ही बौद्ध धर्म भारतसे लुप्तप्राय हो गया था, अतः बौद्धोंका कोई मन्दिर यहाँ नहीं मिलता। एक महाकाय बुद्ध-मूर्ति अवश्य मिली है। उसपर नौवीं-दसवीं शताब्दीके अक्षरों में बौद्ध मन्त्र अंकित है। इस मूर्तिको छोड़कर शेष सभी मन्दिर और मूर्तियां हिन्दू धर्म और जैन धर्मसे ही सम्बन्धित हैं। ___ यहाँके मन्दिरोंको सुविधाके लिए तीन भागोंमें बांट सकते हैं-(१) पश्चिमी समूह, (२) पूर्वी समूह, (३) दक्षिणी समूह । पश्चिमी समूह मन्दिरोंका यह समूह मीठा-राजनगर सड़कके पश्चिममें स्थित है और दो श्रेणियोंमें विभक्त है। इस समूहमें सबसे पहला है चौंसठ योगिनो मन्दिर। यह छतरहित है तथा शिवसागर झीलके दक्षिण-पश्चिममें बना हुआ है। वर्तमानमें इस मन्दिरमें केवल तीन योगिनी मूर्तियाँ हैं और वे भी अपने वास्तविक स्थानोंपर नहीं हैं। अष्टभुजी महिषासुर मर्दिनी मुख्य वेदीमें विराजमान हैं। बगलकी वेदियोंमें से एकमें माहेश्वरी है और दूसरोमें चतुर्भुज ब्रह्माणी। __ इस मन्दिर-समहमें लाल गआन महादेव मन्दिर, कन्दारिया मन्दिर, महादेव मन्दिर, जगदम्बा मन्दिर, चित्रगुप्त या भरत मन्दिर, विश्वनाथ और नन्दी मन्दिर, पार्वती मन्दिर, लक्ष्मण मन्दिर, मातंगेश्वर मन्दिर और वराह मन्दिर सम्मिलित हैं। इनमें लाल गुआन महादेव मन्दिर चौसठ योगिनी मन्दिरसे पश्चिममें तीन फलांग दूर है। कन्दारिया मन्दिर चौंसठ योगिनी मन्दिरके उत्तरमें है और खजुराहोंके मन्दिरोंमें सबसे बड़ा है। यह १०२ फुट लम्बा, ६७ फुट चौड़ा और १०२ फुट ऊँचा है। इसमें पूर्ण विकसित मन्दिरोंके सभी तत्त्व विद्यमान हैं, यथा अधमण्डप, मण्डप, महामण्डप, अन्तराल, गर्भगृह और प्रदक्षिणा-पथ। महादेव मन्दिर जीर्ण-शीर्ण दशामें है और वह कन्दारिया मन्दिरके पास है। इसके उत्तरमें देवी जगदम्बा या कालीका मन्दिर है। इसके उत्तरमें थोड़ी दूरपर चित्रगुप्त मन्दिर है। इसके उत्तर-पश्चिममें एक छोटा तालाब है। विश्वनाथ और नन्दी मन्दिर पश्चिमी समूहकी पूर्वी कतारके उत्तरी सिरेपर अवस्थित हैं। ये
SR No.090098
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1976
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size19 MB
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