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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ इस क्षेत्रके निकटवर्ती ग्रामोंके कुछ हिन्दू मन्दिरों, विशेषतः जगदम्बा-मन्दिरोंमें प्राचीन जैन मूर्तियां रखी हुई हैं। इनमें से कुछ मूर्तियां खण्डित हैं और कुछ अखण्डित हैं। हिन्दू लोग इन्हें महामाई और जगदम्बा मानकर पूजते हैं। बन्धासे डेढ़ मील दूर कुम्हैड़ी गाँवके एक हिन्दू मन्दिरमें एक पाषाण-स्तम्भ लगा हुआ है, जिसपर जैन तीर्थंकरोंकी मूर्तियाँ अंकित हैं । ग्रामीण लोग इसे भी जगदम्बा मानते हैं और जल ढारकर पूजा करते हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि चन्देलवंशी राजाओंके शासन-कालमें संस्कृति और कलाको अत्यधिक प्रोत्साहन और विकासका अवसर मिला । धार्मिक जनताने इस प्रदेशमें नये तीर्थोंकी स्थापना करके अथवा पाषाणोंमें कलाको अवतरित करके इस अवसरका खूब लाभ उठाया। अहार, पपौरा आदिकी श्रृंखलामें बन्धा क्षेत्र भी है। इन क्षेत्रोंका उदय प्रायः एक ही कालमें हुआ लगता है। इन क्षेत्रोंकी कला भी प्रायः समान है। इतिहास और पुरातत्त्व भी सममामयिक लगते हैं। प्रायः चन्देल राजाओंके शासन कालमें ही ये तीर्थ बने और यहाँ मन्दिर और मतियाँ प्रतिष्ठित हुईं। उसके पश्चात् यहाँ अनेक मन्दिर बनते रहे। यहांकी प्रारम्भिक कालकी मूर्तियोंपर चन्देल और कलचुरि शैलीकी छाप स्पष्ट परिलक्षित होती है। अतः यह स्वीकार करनेमें कोई बाधा प्रतीत नहीं होती कि बन्धा क्षेत्रका उदय चन्देल वंशके शासन-कालमें हुआ और मुस्लिमकालमें यहां गर्भगृहका निर्माण हुआ। संग्रहालय
क्षेत्रके अधिकारियोंने एक स्तुत्य प्रयास किया है। क्षेत्रके निकटवर्ती प्रदेशमें जो मूर्तियां खेतों और जंगलोंमें असुरक्षित दशामें पड़ी हुई थीं, उन्हें लाकर उन्होंने यहां एक स्थानपर रख दिया है और इस मूर्ति-संग्रहको एक लघु संग्रहालयका रूप प्रदान कर दिया है। इन मूर्तियोंका अपना एक विशेष ऐतिहासिक और कलात्मक महत्त्व है। यदि सभी तीर्थक्षेत्रोंके अधिकारी इसी प्रकार अपने तीर्थके निकटवर्ती प्रदेशमें पड़ी हुई मूर्तियोंका संग्रह अपने क्षेत्रपर कर लें तो इससे हजारों जैन मूर्तियों और प्राचीन कलावशेषोंको सुरक्षा अल्प व्यय और साधारण श्रममें ही हो सकती है। क्षेत्रपर स्थित संस्थाएं
(१) क्षेत्रपर सन् १९६७ में श्री अजितनाथ दिगम्बर जैन विद्यालयको स्थापना की गयी। तबसे यह विद्यालय बराबर चल रहा है।
(२) सन् १९६८ में क्षेत्रपर उपर्युक्त संग्रहालयकी स्थापना की गयी।
(३ ) यहाँ प्रकाशन-विभाग भी चालू किया गया है। अभी तक उसकी ओरसे बन्धा क्षेत्रसम्बन्धी कई पुस्तिकाएं, रिपोर्ट और शतवर्षीय कलेण्डर निकल चुके हैं। धर्मशाला
___ यात्रियोंके ठहरनेके लिए एक धर्मशालाका निर्माण हो चुका है, जिसमें १० कमरे हैं। व्यवस्था
क्षेत्रको व्यवस्था एक कार्यकारिणी समिति करती है। इसी समितिके हाथमें क्षेत्र और वहांपर स्थित संस्थाओंकी व्यवस्था है।