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मध्यप्रदेश दिगम्बर तीर्थ १७. आदिनाथ मन्दिर-भगवान् ऋषभदेवकी श्यामवर्ण और २ फुट २ इंच उत्तुंम पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। प्रतिष्ठाका संवत् १९०० है । इसको चरणचौकी २ फुट ७ इंच ऊंची है।
१८. मेरु-मन्दिर-इसमें रक्ताभ पार्श्वनाथकी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है जो संवत् १८७२ में प्रतिष्ठित हुई।
. १९. सम्भवनाथ मन्दिर इस मन्दिरकी वेदी शिखरके मूलको स्पर्श करती है। इसमें भगवान् सम्भवनाथको २ फुट ७ इंच उत्तुंग श्यामवर्ण पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। इसका प्रतिष्ठा-काल संवत् १८९२ है। . २०. चन्द्रप्रभ मन्दिर–२ फुट ६ इंच ऊँची इस प्रतिमाको प्रतिष्ठा संवत् १८९२ में हुई थी। यह श्वेतवणं है और पद्मासन मुद्रामें है।
२१. आदिनाथ मन्दिर-यह खाकी वर्णको ५ फुट २ इंच अवगाहनावाली पद्मासन प्रतिमा संवत् १६८७ में प्रतिष्ठित हुई। दोनों पार्यों में चमरधारी इन्द्र खड़े हैं। बायीं ओर एक वेदीमें सुपार्श्वनाथकी कृष्ण पाषाणकी पद्मासन प्रतिमा है, जिसकी प्रतिष्ठा संवत् १९१८ में हुई।
२२. नेमिनाथ मन्दिर-एक गुमटीमें नेमिनाथकी सवा फुट ऊंची बादामी वर्णकी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। इसका प्रतिष्ठा-काल संवत् १७१६ है।
२३. भोयरा ( भूगर्भगृह )-इस भोयरेमें एक चबूतरेपर सुन्दर पालिशवाली और २ फुट ८ इंच अवमाहनाकी तीन तीर्थकर मूर्तियां विराजमान हैं। इनके ऊपर लांछन और लेख कुछ भी नहीं है। बगलकी दोनों मूर्तियां भी इसी वर्ण और पालिशकी हैं। इनका प्रतिष्ठा-काल, मूर्तिलेखके अनुसार, संवत् १२०२ ( ई. सन् ११४५ ) है। ये ही मूर्तियाँ इस क्षेत्रपर सर्वाधिक प्राचीन मानी जाती हैं । इनकी अवगाहना लगभग सवा दो फुट है।
२४. अ-नेमिनाथ मन्दिर-यह कृष्ण वर्णवाली २ फुट ७ इंच ऊँची पद्मासन प्रतिमा संवत् १९४० में प्रतिष्ठित की गयी ।
२४. ब-महावीर मन्दिर-एक ३ फुट १ इंच ऊँचे शिलाफलकमें रक्ताभवणं महावीरकी खड्गासन प्रतिमा विराजमान है। सिरके ऊपर छत्रत्रयो सुशोभित है। उसके दोनों ओर तथा ऊपर गन्धर्व वाद्य-यन्त्र लिये हुए दीख पड़ते हैं। उनसे कुछ नीचे दोनों ओर हाथीपर अभिषेककलश लिये हुए सौधर्म एवं ऐशान स्वर्गोंके इन्द्र बैठे हैं। उनसे नीचे दो पद्मासन तीर्थंकर मूर्तियोंका अंकन है। चरणोंके दोनों पार्यों में नृत्यमुद्रामें चमरवाहक खड़े हुए हैं। इनके पृष्ठ भागमें खड्गासन मुद्रामें तीर्थंकर प्रतिमा है। इनके निकट भक्त-श्राविकाएं हाथ जोड़े हुए बैठी हैं। सबसे अधोभागमें सिंहत्रयी बनी हुई है। .
इस मूर्तिसे ऊपर दीवारमें गन्धर्व और किन्नरियां भक्तिविभोर होकर नृत्यगानमें मग्न हैं। दोनों ओर दीवारोंमें २ खड्गासन और २ पद्मासन तीर्थंकर मूर्तियाँ अवस्थित हैं। ये सब मूर्तियां कहीं भूगर्भसे निकली प्रतीत होती हैं।
२५. पार्श्वनाथ मन्दिर-लगभग दो फुट ऊंची यह श्वेतवर्ण पद्मासन पार्श्वनाथ प्रतिमा संवत् १८७५ में प्रतिष्ठित हुई है।
२६. इस मन्दिरमें श्याम वर्णकी तीन मूर्तियां विराजमान हैं। तीनोंपर ही कोई लांछन नहीं है। मध्यकी मूर्ति ५ फुट ३ इंच है, बायीं ओरकी ५ फुट २ इंच तथा दायों ओरकी ४ फुट ५ इंच है। ये तीनों अलग-अलग अलमारीनुमा वेदियोंमें अवस्थित हैं। इनके अतिरिक्त डेढ़ फुट ऊँची पार्श्वनाथकी और एक फुट ऊँची चन्द्रप्रभकी एक-एक मूर्ति और हैं।