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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थं
प्रतिमा विराजमान है । इसकी अवगाहना २ फुट ७ इंच है। इसकी प्रतिष्ठा संवत् १९९४ में हुई थी। इसके समवसरणमें श्वेत पाषाणकी ५ पद्मासन प्रतिमाएँ हैं ।
उपर्युक्त मन्दिरमें ऊपर की मंजिल में भी वेदी है, जिसमें मध्यमें श्यामवर्णं पार्श्वनाथ आसीन हैं। यह मूर्ति संवत् १९०४ में प्रतिष्ठित हुई । बायीं ओर एक शिलाफलकमें २४ तीर्थंकरोंकी प्रतिमाएँ रखी हुई हैं। प्रथम पंक्ति में ९ पद्मासन, दूसरी पंक्ति में ५ पद्मासन, तीसरी पंक्ति में ४ खड्गासन, चौथी पंक्तिमें ४ पद्मासन, पांचवीं पंक्तिमें ४ खड्गासन, छठी पंक्ति में ४ पद्मासन तथा मध्यमें १ पद्मासन मूर्ति है । मध्य मूर्तिके सिरके ऊपर छत्र, उसके ऊपर दुन्दुभिवादक तथा दोनों ओर धर्मचक्रका अंकन है। इस मूर्ति के नीचे तीन गन्धर्व नृत्यमुद्रामें अंकित किये गये । इसके लेखके अनुसार इसकी प्रतिष्ठा संवत् १४३० में हुई थी । भगवान् पार्श्वनाथके दायीं ओर सात इंचके एक शिलाफलकमें एक पद्मासन मूर्ति बनी हुई है ।
६. मेरु मन्दिर - अन्तःपरिक्रमावाला मेरु-मन्दिर है । इसमें लाल पाषाणकी पद्मासन मुद्रा पार्श्वनाथ मूर्ति विराजमान है। अवगाहना १ फुट ५ इंच और प्रतिष्ठा काल संवत् १८९० है । ७. मेरु-मन्दिर - यह भी पूर्ववत् मेरु-मन्दिर है । इसमें चन्द्रप्रभकी श्वेतवर्णं १ फुट ३ इंच ऊँची पद्मासन मूर्ति आसीन है । प्रतिष्ठा संवत् १५४२ में हुई ।
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८. पार्श्वनाथ मन्दिर – यहाँ संवत् १९०३ में प्रतिष्ठित ३ फुट ऊँची पार्श्वनाथ प्रतिमा पद्मासनमें ध्यानलीन है । इस मन्दिरमें परिक्रमा पथ भी बना हुआ है ।
९. चन्द्रप्रभ मन्दिर - पार्श्वनाथ मन्दिरमें ही ऊपरकी मंजिलमें चन्द्रप्रभ भगवान् की श्वेतवर्ण २ फुट १ इंच अवगाहनावाली पद्मासन प्रतिमा विराजमान है । प्रतिष्ठा काल संवत् १९४२ है । १०. आदिनाथ मन्दिर - ऋषभदेव भगवान्की संवत् १९४२ में प्रतिष्ठित श्वेत पाषाणकी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है ।
११. आदिनाथ मन्दिर - भगवान् आदिनाथकी कृष्ण पाषाणकी और १ फुट ३ इंच अवगाहनावाली पद्मासन प्रतिमा विराजमान है । देशी पाषाणके चरण हैं ।
संवत् १९३९ में प्रतिष्ठित इनके आगे ८ इंच लम्बे
१२. विमलनाथ मन्दिर - मूलनायक विमलनाथ कृष्णवर्णं पद्मासनमें आसीन हैं । अवगाहना २ फुट ८ इंच है और प्रतिष्ठा संवत् १९०६ में हुई। उनके इधर-उधर श्वेतवर्णके पार्श्वनाथ और आदिनाथ विराजमान हैं जो क्रमशः संवत् १९०० और १९०३ में प्रतिष्ठित हुए हैं।
१३. आदिनाथ मन्दिर - भगवान् आदिनाथकी ५ फुट ३ इंच प्रतिमा स्वर्णवर्णकी कायोत्सर्गासन मुद्रामें है और संवत् १७१८ में प्रतिष्ठित हुई है । इधर-उधर दो आलोंमें बायीं ओर अभिनन्दननाथ और दायीं ओर अजितनाथ विराजमान हैं जो क्रमशः संवत् १८७२ और १९३१ में प्रतिष्ठित हुए। ये दोनों ही मूर्तियां श्वेत पाषाणकी पद्मासन हैं ।
१४. पार्श्वनाथ मन्दिर - पाषाणके एक चौखटेमें पार्श्वनाथ भगवान्की ४ फुट १० इंच ऊँची श्वेतवर्णं खड्गासन प्रतिमा विराजमान है जिसकी प्रतिष्ठा संवत् १९१६ में हुई है। दोनों पाश्वों में चमरेन्द्र सेवा कर रहे हैं। यह प्रतिमा पैरोंसे ऊपर खण्डित है । इस मन्दिर में वेदी और फर्शपर टाइल्स लगे हुए हैं।
१५. अरहनाथ मन्दिर - वेदीमें श्वेत पाषाणकी २ फुट ५ इंच ऊँची अरहनाथकी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है । इसकी प्रतिष्ठा संवत् १८९२ में हुई । मूर्तिका पीठासन २ फुट ९ इंच है। १६. आदिनाथ मन्दिर - आदिनाथ भगवान्की १ फुट १ इंच अवगाहनावाली संवत् १८९२ में प्रतिष्ठित पद्मासन प्रतिमा विराजमान है । इसका वर्णं श्वेत है ।