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मध्यप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ
१०५ क्षेत्र कहते हैं । अहीर और गूजर इसे भीमसैन बाबा कहते हैं। जब उनकी गाय-भैंस बच्चे देती है, तब ये लोग आकर यहाँ भगवान्के ऊपर दूध चढ़ाते हैं।
यहाँ एक गुफा है जो मीलों तक चली गयी है। उसके सिरेपर एक तालाब है।
बीठला मार्ग
चन्देरीसे ईसागढ़ जानेवाले रोडपर १३ कि मी. पर भाण्डरी गांवसे ८ कि. मो. भियादाँत होते हुए बोठला क्षेत्र है। चन्देरीसे १७ कि. मी. दूर सड़कपर महौली है। वहाँसे यह क्षेत्र ६ कि. मी. है । मार्ग कच्चा है । यह क्षेत्र गुना जिलेमें है। .
पुरातत्त्व
इस गाँवसे दो फलांगपर एक प्राचीन जैन मन्दिर खड़ा हुआ है। इसके आसपास कई जैन मन्दिरोंके भग्नावशेष पड़े हुए हैं। इन अवशेषोंमें कुछ तीर्थंकरोंकी खण्डित मूर्तियाँ पड़ी हुई हैं। मूर्ति-चिह्नोंसे सम्भवनाथ और मुनिसुव्रतनाथकी मूर्तियां पहचानी जा सकती हैं। ये मन्दिर और मूर्तियां लगभग १२वीं शताब्दीकी प्रतीत होती हैं।
आसपासमें इस प्रकारके कई स्थान हैं जहाँ प्राचीन मन्दिरोंके अवशेष मिलते हैं तथा जहाँ खण्डित-अखण्डित मूर्तियाँ इधर-उधर पड़ी हुई हैं, जैसे नादारी, इन्सारी।
पपौरा
स्थिति और मार्ग
पपौरा अतिशय क्षेत्र है। यह मध्यप्रदेशके टोकमगढ़ जिलेमें कानपूर-सागर-मार्गपर टीकमगढ़से पूर्व दिशामें ५ कि. मी. है। यहाँ जानेके लिए सेण्ट्रल रेलवेके ललितपुर स्टेशनपर उतरना होता है। यहाँसे टीकमगढ़ ५८ कि. मी. है और वहाँ तक पक्की सड़क है। बसें बराबर मिलती हैं। टीकमगढ़से पपौरा तक भी सड़क पक्की है। बस, तांगे या स्कूटर द्वारा वहाँ जा सकते हैं। सड़कसे क्षेत्र लगभग एक फलांग है । मन्दिरोंकी नगरी
सुरम्य वृक्षावलीसे घिरे हुए विशाल मैदानके बीचमें एक परकोटेके अन्दर १०७ गगनचुम्बी मन्दिर हैं। मन्दिर नं. २४ अ और ब को एक ही माना है। इन्हें दो मन्दिर माननेपर १०८ मन्दिर हो जाते हैं। किन्तु वस्तुतः मन्दिरोंकी संख्या इतनी नहीं है क्योंकि नवनिर्मित बाहुबली मन्दिरमें २४ तीर्थंकरोंकी २४ मन्दरियाँ बनी हुई हैं। वे भी पृथक् मन्दिरोंके रूपमें उक्त संख्यामें सम्मिलित कर ली गयी हैं। इसी प्रकार मन्दिर नं.७६ में २४ तीर्थंकरोंके पृथक्-पृथक् गर्भगृह बने हए हैं। इन्हें २४ मन्दिर मानकर मन्दिरोंकी गणना कर ली गयी है। यदि बाहबली मन्दिर और चौबीसी मन्दिरको एक-एक मन्दिर मानें तो क्षेत्रपर मन्दिरोंकी संख्या १०७ न होकर ६०
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