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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ
आमनचार मार्ग
आमनचार चन्देरीसे लगभग २९ कि. मी. है। मुंगावली रोड-पर पथौरा तक २६ कि. मी. पक्की सड़क है तथा ३ कि. मी. कच्चा मार्ग है। चन्देरी और मुंगावली रोडके मध्य सेहराई गांव है। दोनों स्थानोंसे यह १९ कि. मी. है। वहाँसे क्षेत्र ३ कि. मी. है।
पुरातत्त्व
यहां गांवके भीतर और बाहर, गली-बाजारमें, घरोंमें, कुओंपर, पेड़ोंके नीचे सब जगह जैन मूर्तियां पड़ी हुई हैं। गांवमें एक जैन मन्दिर है। इसमें प्राचीन कालका एक सहस्रकूट चैत्यालय है। यह शिल्प-सौष्ठवका अद्भुत नमूना है।
___ मूर्तियोंको शैली आदिसे ऐसा अनुमान है कि वे ११-१२वीं शताब्दीकी हैं।
भामौन
. भामौन बीठलासे ६ कि. मी. है। ईसागढ़से १३ कि. मी. और महौलीसे ८ कि. मी. है। सभी मार्ग कच्चे हैं। पुरातत्त्व
___ अन्तिम ३ कि. मी. भागमें भामौन तक और उसके चारों ओर मन्दिरोंके भग्नावशेष पड़े हए हैं। इन अवशेषोंमें जैन मूर्तियाँ भी बड़ी संख्यामें हैं। लगभग १०० मूर्तियोंके खण्डित भाग भी मिलते हैं । भामौनके आसपासकी पहाड़ियोंपर भी प्राचीन मूर्तियाँ मिलती हैं।
भियादाँत
मार्ग
भियादात मध्यप्रदेशमें चन्देरी-ईसागढ़ रोडसे १३ कि. मी. दूर भाण्डरी गांवसे ५ कि. मी. की दूरीपर उर्वशी नदीके किनारे एक पहाड़ीपर स्थित है। यह क्षेत्र गुना जिलेकी मुंगावली तहसीलमें है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन मुंगावली ( कोटा-बोना लाइन ) ५३ कि. मी. है तथा अशोकनगर ५० कि. मी. है। साथ ही चन्देरी-ईसागढ़ रोडसे १७ कि. मी. दूर महौलीसे ५कि. मी. कच्चे मार्गपर है।
पुरातत्त्व
यहाँ जैन पुरातत्त्व और कलाकी सामग्री विपुलतासे मिलती है। यहाँके मन्दिरमें पद्मासन तीर्थंकर-मूर्ति मूलनायकके रूपमें प्रतिष्ठित है। ग्रामीण लोग इसे 'बैठा देव' कहते हैं। प्रतिमा अत्यन्त आकर्षक एवं प्रभावोत्पादक है। इस प्रतिमाके कारण ही लोग इस स्थानको अतिशय