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________________ मध्यप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ भारतीय साहित्यमें चेदि जनपद . जैन पुराणों और कथाग्रन्थोंमें 'चेदि' राष्ट्रका नाम आता है। श्रीमज्जिनसेनाचार्यकृत आदिपुराणके अनुसार कर्मभूमिके प्रारम्भमें इन्द्र द्वारा जिन ५२ जनपदोंकी रचना की गयी थी, उनमें चेदि जनपद भी था। इसी प्रकार भगवान् आदिनाथने जिन देशोंमें विहार किया था, उनमें चेदिका नामोल्लेख मिलता है। आचार्य जिनसेनकृत हरिवंशपुराण १७४३६में चेदि राष्ट्रकी स्थापना हरिवंशी राजा वसुके पिता अभिचन्द्र द्वारा विन्ध्याचलके ऊपर बतायी गयी है। इसी पुराणमें शिशुपालको चेदिनरेश बताया गया है। महाभारत आदि हिन्दू पुराणोंमें भी हैहयवंशी शिशुपालको चेदिनरेश बताया गया है। शिशुपालके पितामह चिदि थे। सम्भवतः चेदि नाम इसी चिदिके नामपर पड़ा। चिदिका उत्तराधिकारी उसका पुत्र दमघोष था। इस प्रकार जैन और हिन्दू पुराणोंमें चेदि राष्ट्रका उल्लेख तो मिलता है किन्तु चन्देरीका नाम देखने में नहीं आता। इन संस्कृत ग्रन्थोंके हिन्दी टीकाकारोंने चेदिका अर्थ चन्देरी किया है। बौद्ध ग्रन्थोंमें चेदि, चेति और चेतिय शब्दोंका प्रयोग अनेक स्थानोंपर मिलता है। अंगुत्तर निकायमें सोलह महाजन जनपदोंके सम्बन्धमें सूचना मिलती है। इन सोलह जनपदोंमें अंग, मगध, काशी, कोसल, वज्जी, मल्ल, चेति, वंस (वत्स), कूरु, पांचाल, मच्छ (मत्स्य), सूरसेन, अस्सक, अवन्ती, गन्धार और कम्बोज सम्मिलित थे। इनमें चेति महाजनपदका भी नाम है। इसी जातकमें लिखा है कि बुद्धने चेति जनपदके सहजाति नगरमें भी विहार किया था। चेतिय जातकमें कहा गया है कि चेति देशके राजा उपचरके पाँच पुत्रोंने हासिपुर, अस्सपुर, सीहपुर, उत्तर पांचाल और दद्दरपुर इन पाँच नगरोंको बसाया। इसीमें एक स्थानपर बताया गया है कि चेति राज्यकी राजधानी सोत्थिवति नगरी थी। बुद्धत्व-प्राप्तिके पश्चात् बुद्धने अपना तेरहवाँ वर्षावास चेति या चेतिय राष्ट्रके चालिय या चालिक पर्वतपर किया, जो उसी राष्ट्रके प्राचीन वंसदायमें था और जिसके पास ही जन्तुगाम और किमिकाला नदी थी। बौद्ध साहित्यके आधारपर चेति या चेतिय जनपद वंस ( वत्स ) जनपदके दक्षिणमें, यमुना नदीके पास, उसकी दक्षिण दिशामें स्थित था। इसके पूर्व में काशी जनपद, दक्षिणमें विन्ध्य पर्वत, पश्चिममें अवन्ती और उत्तर-पश्चिममें मत्स्य और सूरसेन जनपद थे। वत्स जनपद और चेति जनपद दोनों एक दूसरेसे सटे हुए थे। चेति जनपदकी राजधानी सोस्थिवति बतायी गयी है। इस नगरीको नन्दोलाल डेने शुक्तिमतीसे मिलाया है। पाजिटर और डॉ. हेमचन्दराय चौधरी आधुनिक बाँदाके समीप इसकी स्थिति मानते हैं । किन्तु वस्तुतः यह नगरी हस्तिनापुरके पश्चिममें थी। सहजाति चेति राज्यका दूसरा बड़ा नगर था। यह स्थल और जल दोनों मार्गोपर अवस्थित था। सहजातिकी पहचान आधुनिक भीटाके भग्नावशेषोंसे की जाती है जो इलाहाबादसे ८-९ मील दक्षिण-पश्चिममें है। यह नगर गंगा-यमनाके संगमके समीप था। इस विवरणसे यह निश्चित होता है कि चेति या चेदि राष्ट्र वर्तमान बुन्देलखण्ड और उसके आसपासके प्रदेशसे मिलकर बना था। १. अंगुत्तर निकाय, जिल्द पहली, पृष्ठ २१३, पालि टैक्स्ट सोसाइटी । २. अंगुत्तर निकाय, जिल्द पांचवीं, पृ. ४१ ।
SR No.090098
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1976
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size19 MB
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