________________
३४
भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ 'मैं इन वज्जियोंको उच्छिन्न करूँगा।' भगवान् जैसा तुमसे बोलें, उसे यादकर मुझसे कहो। तथागत अयथार्थ नहीं बोला करते।'
'अच्छा, भो!' कह वर्षकार ब्राह्मण अच्छे-अच्छे यानोंको जुतवाकर, बहुत अच्छे यानपर आरूढ़ हो अच्छे यानोंके साथ राजगृहसे निकला और जहाँ गृध्रक्रूट पर्वत था, वहाँ चला। जितनी यानकी भूमि थी, उतना यानसे जाकर, यानसे उतर पैदल ही, जहाँ भगवान् थे, वहाँ गया। जाकर भगवान्के साथ सम्मोदन कर एक ओर बैठा। एक ओर बैठकर भगवान्से बोला-'भो गौतम ! राजा आप गौतमके पैरोंमें शिरसे बन्दना करता है...वज्जियोंको उच्छिन्न करूँगा।'
(१) उस समय आयुष्मान् आनन्द भगवान्के पीछे खड़े भगवान्को पंखा झल रहे थे। तब भगवान्ने आयुष्मान् आनन्दको सम्बोधित किया-'आनन्द ! क्या तूने सुना है, वज्जी ( सम्मतिके लिए ) बराबर बैठक ( सन्निपात ) करते हैं, सन्निपात-बहुल हैं ?'
'सुना है, भन्ते ! वज्जी बराबर...' ___ 'आनन्द ! जबतक वज्जी बैठक करते रहेंगे, सन्निपात-बहुल रहेंगे, ( तबतक ) आनन्द ! वज्जियोंकी वृद्धि ही ससझना, हानि नहीं।'
(२) 'क्या आनन्द ! तूने सुना है, वज्जी एक ही बैठक करते हैं, एक ही उत्थान करते हैं, वज्जी एक ही करणीयको करते हैं ?'
'सुना है, भन्ते ! ....' 'आनन्द ! जबतक....'
( ३ ) 'क्या सुना है, वज्जी अप्रज्ञप्त ( गैरकानूनी ) को प्रज्ञप्त ( विहित ) नहीं करते, प्रज्ञप्तका उच्छेद नहीं करते। जैसे प्रज्ञप्त है, वैसे ही पुराने वज्जिधर्म ( नियम ) को ग्रहणकर बरतते हैं ?'
'भन्ते ! सुना है....' 'आनन्द ! जबतक....'
(४) 'क्या आनन्द ! तूने सुना है, वज्जियोंके जो महल्लक हैं, उनका वे सत्कार करते हैं, गुरुकार करते हैं, मानते हैं, पूजते हैं। उनकी सुनने योग्य मानते हैं ?'
'भन्ते ! सुना है.... 'आनन्द ! जबतक....'
( ५ ) 'क्या सुना है, जो वह कुल-स्त्रियाँ हैं, कुल-कुमारियां हैं, उन्हें छीनकर वह जबर्दस्ती नहीं बसाते ?
'भन्ते ! सुना है...' .. 'आनन्द ! जबतक...'
( ६ ) 'क्या सुना है, वज्जियोंके नगरके भीतर या बाहरके जो चैत्य हैं, वे उनका सत्कार करते हैं, पूजते हैं। उनके लिए पहले किये गये दानको, पहले की गयी धर्मानुसार बलि ( वृत्ति ) को लोप नहीं करते?'
'भन्ते! सुना है....' 'आनन्द ! जबतक....'
(७) 'क्या सुना है, वज्जी लोग अर्हतोंकी अच्छी तरह धार्मिक रक्षा, आवरण, गुप्ति करते हैं ? किसलिए ? भविष्यमें अर्हत् राज्यमें आवें, आये अहंत् राज्यमें सुखसे विहार करें।'