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________________ २४६ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ यहाँके दर्शनीय स्थानोंमें से कुछ ये हैं-महाजाति सदन ( नेताजी सुभाषचन्द्र बोसका स्मारक ), मल्लिक कोठी ( दुर्लभ मूर्तियों आदिका संग्रह ), रवीन्द्र भारती ( रवीन्द्रनाथ ठाकुरका स्मारक ), बेलगछियाका पारसनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, बद्रीदास मुकीमका श्वेताम्बर जैनमन्दिर, राजभवन, राज्य विधान सभा, शहीद मीनार, इण्डियन नेशनल म्यूजियम, चिड़ियाघर, नेशनल लाइब्रेरी, वेलूरमठ आदि । ___यहाँ लोकल ट्रेन, बस, ट्राम, रिक्शा, टैक्सी आदि वाहनोंकी पर्याप्त सुविधा है। ट्राम और बसें सर्वत्र जाती हैं और सस्ती भी हैं। कटक-कटक उत्कल या उडीसा प्रदेशकी प्राचीन राजधानी है। यह हवड़ा जंकशनसे पुरीको जानेवाली रेलवे लाइनपर ४०९ कि. मो. दूर है। स्टेशनसे लगभग ५ कि. मी. दूर चौधरी बाजारमें जैन भवन है । यहाँ ठहरनेकी सुन्दर व्यवस्था है। इसीके पृष्ठ भागमें प्राचीन चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैनमन्दिर है। इसी बाजारमें मन्दिरसे थोड़ी-सी दूरपर दिगम्बर जैन चैत्यालय है। मन्दिरका शिखर बहुत सुन्दर बना हुआ है। इस मन्दिरमें कुछ मूर्तियाँ बहुत प्राचीन हैं । अनुमान किया जाता है कि ये १०वीं शताब्दीकी हैं। अधिकांश प्राचीन मूर्तियाँ खण्डगिरिसे लायी गयी हैं। भुवनेश्वर-यह उत्कल प्रदेशकी राजधानी है । यह कटकसे २८ कि. मी. है। यह हिन्दुओंका प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। कहते हैं, भारतमें सबसे अधिक मन्दिर इसी नगरमें पाये जाते हैं। इनमें लिंगराज मन्दिर सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इसके शिखर द्रविड़ कलाके अन्यतम उदाहरण कहे जाते हैं। इसका शिखर ४४ मीटर ऊंचा है। यहाँके राजकीय संग्रहालयमें पाषाण और धातकी कुछ जैन मूर्तियाँ ८-१० वीं शताब्दी की हैं । ___खण्डगिरि-उदयगिरि-इस नगरसे छह किलो मीटर दूर खण्डगिरि-उदयगिरिकी गुफाएँ हैं । इन गुफाओंकी प्रसिद्धि हाथी गुम्फाके शिलालेखके कारण अत्यधिक हुई है। इसके अतिरिक्त इनका अपना ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व भी हैं। इनमें से कुछ गफाएँ भगवान महावीरके कालमें थीं। कुछ गुफाओंका निर्माण कलिंग सम्राट् खारबेल और उसके परिवारके सदस्योंने कराया था। खारबेलका काल ईसा पूर्व प्रथम शताब्दीका उत्तरार्ध माना जाता है। इस प्रकार इनमें से कई गुफाओंको बने हुए २००० वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। इन गुफाओंके अतिरिक्त शेष गुफाएँ १०वीं शताब्दी तक निर्मित होती रहीं। ये गुफाएँ प्रायः जैन मुनियोंके ध्यानादिके निमित्त बनायी गयी थीं। खण्डगिरिको पहाड़ी प्राचीन कालमें कूमारी पर्वत कहलाती थी। यहाँपर भगवान् महावीरका समवसरण आया था। उस समय कलिंगनरेश जितशत्रु और उनकी पुत्री यशोदाने भगवान्के चरणोंमें संयम धारण किया था तथा जितशत्रु मुनिने केवलज्ञान प्राप्त करके यहींसे निर्वाण प्राप्त किया था। इस प्रकार यह तीर्थभूमि सिद्धक्षेत्र भी है। इसी पर्वतपर सम्राट् खारबेलने जैन मुनियों और विद्वानोंका सम्मेलन बुलाया था। ___ यहाँ दिगम्बर जैन धर्मशाला है जहाँ ठहरनेको अच्छी सुविधा है। धर्मशालासे इन पहाड़ियोंकी ओर चलनेपर बायीं ओर खण्डगिरि है और दायीं ओर उदयगिरिकी पहाड़ी है। खण्डगिरिके ऊपर चार दिगम्बर जैनमन्दिर और कुल १५ गुफाएँ हैं। इनमें से ६ गुफाओंमें जैन मूर्तियाँ हैं। इनमें से कुछ मतियाँ गफाके निर्माणके समय ही बनायी गयी थीं और कछ मतियाँ ऐसो भी होंगी जो गुफाके निर्माणके बाद कभी बनायो गयी होंगी। सभी गुफाओंके बाहर एक पत्थरपर गुफाका नम्बर और नाम लिखा हुआ है । इससे इन्हें देखने में बड़ी सुविधा रहती है।
SR No.090097
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1975
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size18 MB
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