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________________ बिहार-बंगाल-उड़ीसाके दिगम्बर जैन तीर्थ २१३ इन गुफाओंमें हाथी गुफाका निर्माण-काल ई. सन्से १५८ या १५३ वर्ष पूर्व है। उदयगिरिकी स्वर्गपुरी, मंचपुरी, सर्प गुफा, बाघ गुफा, जम्बेश्वर गुफा और हरिदास गुफा इन छह गुफाओंमें और खण्डगिरिकी तोता गुफा और अनन्त गुफा इन सभी गुफाओंमें जो शिलालेख हैं, वे ब्राह्मी लिपिमें हैं और ये खारबेलके समयके अक्षरोंसे मिलते-जुलते हैं। इसलिए इन शिलालेखोंका काल ईसवी सन्से पूर्वका तो है ही। यह भी सम्भव है, इनमें कुछ गुफाओंका निर्माण और भी पहले हो चुका हो। इस पहाड़ीकी ख्याति पूर्वसे थी, अनेक जैन मुनि यहाँ निवास करते थे। इसीलिए खारबेलने इस पहाड़ीको चुना और यहाँ गुफा बनायीं। ऐसी स्थितिमें उससे पहले यहाँ कुछ गुफाएँ हों, इस सम्भावनासे इनकार नहीं किया जा सकता। अनुमान तो यह भी किया जाता है कि ईसवी पूर्व तीसरी शताब्दीसे ईसा पूर्व पहली शताब्दी तक ही यहाँकी अधिकांश गुफाएँ बनी होंगी। यहाँ सबसे बड़ी गुफा रानी गुफा है। इसमें जो श्रेणीबद्ध स्तम्भ और दृश्यांकन मिलता है. उससे लगता है. यह गफा कितनी समद्ध और कलासम्पन्न है। इसमें कोई लेख नहीं है। इसलिए इसका निर्माण-काल अथवा इसके निर्माताका पता नहीं चलता। इसकी रचना-शैलीसे यह प्राचीन लगती है। कुछ गुफाएँ पश्चात्कालीन हैं, जैसे नवमुनि गुफा, छोटी हाथी गुफा, गणेश गुफा आदि । सम्राट् खारबेलका हाथी गुम्फा शिलालेख १. ( वर्द्धमंगल-चिह्न) (स्वस्तिक चिह्न ) नमो अरहंतानं नमो सवसिधानं । ऐरेण महाराजेन महामेघवाहनेन चेते-राजवंश वधनेन पसथ-सुभ-लखनेन चतुरंत रक्षण गुण-उपेतेन कलिंगाधिपतिना सिरि खारबेलेन । २. पंदरस-वसानि सिरि कडार-सरीर-वता कीडिता कुमार कीडिका ॥ ततो लेख-रूप गणना-ववहार-विधि-विसारदेन सव विजा वदातेन नव वसानि योवराज पसासितं ॥ संपुण चतुनीसति-वसो तदानि वधमान-सेसयो-वेनाभिविजयो ततिये । ३. कलिंग-राज-वसे पुरिस-युगे महाराजाभिसेचनं पापुनाति ॥ ( नन्दिपद-चिह्न) अभिसितमतो च पधमे वसे बात-विहत-गोपुर-पाकार-निवेसनं पटिसंखारयति कलिंगनगरिखिवीर सितल तडाग पाडियो च बंधाययति सवूयान पटि संथपनं च। ४. कारयति पनति साहि सतसहसेहि पकतियो च रंजयति ।। दुतिये च वसे अचितयिता सातकनि पछिमदिसं हय-गज-नर-रथ-बहुलं दंडं पठापयति'कन्हवेंणा-गताय च सेनाय वितासित असिकनगर (1) ततिये पुन वसे । __५. गंधव-वेद-वुधो दप-नत-गीत-वादित-संदसनाहि उसव समाज-कारापनाहि च कीडापयति नगरि (।) तथा चवुथे वसे विजाधराधिवासं अहतपुवं कलिंग-युवराजानां धमेन व नितिना व पसासति सवत धमकुटेन भीततसिते च निखित-छत १. डॉ. बी. एम. बरुआके मतानुसार । २. डॉ. डी. सी. सरकार-चेति । ३. बरुआ-लखणेन । ४. डॉ. सरकारलुठण । ५. डॉ. सरकार-उपितेन; डॉ. के. पी. जायसवाल-लुठित गुणोपहितेन । ६. बरुआ-वधमान-सेसयोवनाभिविजयो। ७. बरुआ-राजवंशे । ८. जायसवाल-माहा. । ९. प्रिंसैप-मते । १०. बरुआ-भीरे; जायसवाल और बनर्जी-कलिंग नगरि अलग पद । फिर खिवीर-इसिताल-तडाग ऐसा पाठ पढ़ें। ११. जायसवाल, बनर्जी-कह्व. । १२. जायसवाल-वितासितं । १३. जायसवाल, बनर्जी-मुसिक.।
SR No.090097
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1975
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size18 MB
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