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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थं
पक्षमें और चार मध्यमें सामनेकी ओर । सामनेवाले पक्षमें आठ प्रवेशद्वार हैं । उनके तोरणोंपर श्रीवत्स, नन्दीपद, सर्प और कमल बने हुए हैं । स्तम्भोंके शीर्षपर अश्व, गज, वृषभ और सिंहकी मूर्तियाँ अंकित हैं । दृश्यांकन के लिए इसमें भी नौ कोष्ठक बनाये गये हैं । ये इस प्रकार हैं
प्रथम दृश्यमें एक आकाशचारी विद्याधरका अंकन है जो मुकुट और रत्नाभरणोंसे अलंकृत है । उसके एक हाथमें एक पात्र है जिसमें माला और पुष्प हैं, दूसरे हाथमें कमलनाल और पुष्पकरण्डक है। द्वितीय दृश्य पहाड़ीका है । उसमें फूलवाला वृक्ष, गुफामें बैठा हुआ सिंह, कमल सरोवर । सरोवरमें तीन हाथी । एक पुरुष दस स्त्रियोंके साथ वन-विहार के लिए आता है । हाथी कुपित होकर उनपर आक्रमण करते हैं । स्त्री-पुरुष उनसे अपनी रक्षा करते हुए उनको भगानेका प्रयत्न करते हैं । तृतीय दृश्य में - एक पहाड़ी गुफामें दो वानर अपनी ओर आते फुंकारते हुए साँप - से भयभीत हैं । गुफाके सामने एक पुरुष स्त्रीकी गोद में सिर रखे हुए विश्राम कर रहा है । इतने में कोई सशस्त्र शत्रु आ पहुँचता है और स्त्री-पुरुष दोनों उसका प्रतिरोध करते हैं, किन्तु शत्रु स्त्रीका बलात् अपहरण कर ले जाता है ।
चतुर्थं दृश्य में एक सुसज्जित राजपुरुष घोड़ेसे उतरकर एक हरिणका पीछा कर रहा है। हरिणके पीछे उसके दो बच्चे हैं। इतनेमें एक स्त्री एक वृक्षके नीचे राजाको मिलती है । हरिण भी वहीं खड़ा है । स्त्री राजाको हरिणको मारने का निषेध कर रही है । पाँचवें दृश्य में वाद्य और नृत्य हो रहा है । राजदम्पति देख रहे हैं। रानी बायीं ओर बैठी है । एक सेविका उसके ऊपर छत्र ताने हुई है दूसरी पंखा झल रही है । तीसरी पुष्प लिये है । चौथी रानीके नोचेकी ओर सुरा चषक लिये हैं । और पाँचवीं सामने माला लिये खड़ी है । मध्य में तीन नर्तकियाँ नृत्य कर रही हैं तथा तीन स्त्रियाँ वाद्य यन्त्र बजा रही हैं। राजा दायीं ओर बैठा । उसके हाथ छातीपर हैं जो खण्डित हैं । उसके नीचेकी ओर हाथ जोड़े हुए कोई दरबारी या सेवक बैठा है ।
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छठा दृश्य खण्डित होने के कारण अस्पष्ट है। सातवाँ दृश्य रसिकतापूर्ण है । एक युगलको तीन बार दिखाया गया है। आठवाँ दृश्य भी खण्डित है । केवल हाथी और दो मनुष्योंके पैर दिखाई पड़ते हैं। नौवें दृश्यमें माला लिये हुए एक आकाशगामी विद्याधर दीख पड़ता है ।
बरामदे में प्रहरी - मूर्तियाँ हैं ।
दायीं ओर एक प्रकोष्ठ, बरामदा और एक स्तम्भ है । बायें स्तम्भमें बना हुआ प्रहरी कोई विदेशी प्रतीत होता है । वह बूट पहने हुए है और सिरपर फीता बाँधे है । दायाँ हाथ जंघापर रखा है। बायें कन्धेपर तलवार लटक रही है । दायें स्तम्भपर प्रहरीकी वेषभूषा भारतीय है । इसके भी बायें कन्धेपर तलवार लटक रही है ।
बायीं ओर एक कक्ष है । वह बरामदेके सामने न होकर बायीं ओर है । एक खिड़की है । बरामदा कम चौड़ा है ।
(२) बाजघर गुम्फा - पहली गुफासे लौटनेपर दूसरी गुफा मिलती है । इसमें दो प्रकोष्ठ और बरामदा है । बायें प्रकोष्ठकी सामनेकी दीवाल नहीं है । आधारस्तम्भ आधुनिक हैं । स्तम्भों - पर पशु-पक्षियों का अंकन है ।
( ३ ) छोटा हाथी गुम्फा - गुफा नं. २ के बायीं ओर यह गुफा है। दो प्रकोष्ठ हैं । बरामदा नहीं है। तोरणोंपर हाथियों, कमलों और पेड़-पौधोंके अंकन अत्यन्त भव्य हैं। हाथियोंकी सूँड़ों में पुष्प - स्तवक हैं । दायीं ओर आम्रवृक्ष बना है । दिलहापर एक पंक्तिका लेख है । उसके 'स लेनम्' केवल ये अक्षर ही पढ़े जा सके हैं ।
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