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________________ २०७ बिहार-धंगाल-उड़ीसाके दिगम्बर जैन तीर्थ प्रवेश-द्वारोंके तोरण अत्यन्त अलंकृत हैं। उनके ऊपर कमल आदि अंकित हैं। उनके ऊपर मध्यमें श्रीवत्स और दोनों पाश्र्वोमें नन्दीपदका अंकन अति भव्य प्रतीत होता है। यहाँ कई दृश्य भी अंकित हैं। एक दृश्यमें भक्त स्त्री-पुरुष भगवान्के बोधिवृक्षके समक्ष हाथ जोड़े हुए खड़े हैं । एक स्त्री हाथोंमें पुष्प-करण्डक लिये खड़ी है। दूसरे कोष्ठकमें एक पुरुष और दो स्त्रियाँ भक्तिपूर्वक हाथ जोड़े हुए बैठे हैं। राजपुरुष और रानी राजसी वस्त्रालंकार धारण किये हुए हाथोंमें स्वर्णपात्र लिये हुए हैं जिसमें पूजन-सामग्री है। तीसरे दृश्यमें समाज एकत्रित है, जिसमें वाद्य और नृत्य चल रहा है । एक स्त्री नृत्य-मुद्रामें खड़ी है। चार स्त्रियाँ मृदंग, ढोलक, मंजीरा और बाँसुरी बजा रही हैं। चतुर्थ दृश्यमें एक पुरुष हाथ जोड़े हुए पूजन-स्थानको जा रहा है। एक बालक और दो स्त्रियाँ पूजन सामग्री लिये हुए हैं। __ वाम पक्ष-इसमें तीन कक्ष और बरामदा है। स्तम्भ नष्ट हो गये हैं, प्रहरियोंकी मूर्तियाँ खण्डित हैं। ___ सामनेका मुख्य भाग-इसमें चार कक्ष हैं और बरामदा है। बरामदेकी छत और स्तम्भ नहीं हैं। इसमें आठ प्रवेशद्वार बने हुए हैं। उनके तोरणोंका अलंकरण अत्यन्त भव्य है। कुल नौ कोष्ठकोंमें दृश्योंका अंकन है। प्रथम दृश्यमें दो-मंजिला भवन है जिसके नीचेकी मंजिलके दोनों द्वारोंपर दो स्त्रियाँ बैठी हैं। ऊपरी मंजिलके द्वारमें से एक पुरुष झाँक रहा है। भवनके निकट आम्रवृक्ष है । द्वितीय दृश्य अस्पष्ट है । सम्भवतः तीन पुरुष किसी पशुपर आरूढ़ हैं और एक पुरुष तलवार लिये हुए है। तृतीय दृश्यमें एक नरेश किसी जानवर (सम्भवतः घोड़ा) पर आरूढ़ है, छत्र लगा हुआ है। उसके साथ उसके सेवक हैं । चतुर्थ कोष्ठकमें मनुष्योंका एक जलूस जा रहा है। कुछ गजारूढ़ हैं। पाँचवाँ दृश्य एक राजाका है। उसके पीछे एक व्यक्ति छत्र ताने हुए है और दूसरा तलवार लिये है। दायीं ओर चार राजपुरुष हैं। छठे दृश्यमें एक राजा प्रदर्शित है। उसके सिरपर छत्र है। दो सेवक उसके अगल-बगलमें हैं। सातवें दृश्यमें एक राजाको प्रजाजन घेरे हुए खड़े हैं । कुछ हाथ जोड़े हुए प्रार्थना कर रहे हैं। एक व्यक्ति तलवार लिये हुए है । आठवें दृश्यमें एक राजा प्रदर्शित है। एक सेवक छत्र धारण किये हुए है । एक व्यक्ति समक्षमें हाथ जोड़े हुए खड़ा है । दो स्त्रियाँ पूजन-पात्र और सामग्री लिये हुए हैं। दो व्यक्ति घुटनोंके बल बैठे हुए हैं। उनमें से एकके सिरपर यूनानी ढंगका फीता बँधा हुआ प्रतीत होता है। इसीसे सम्बन्धित आगेके दृश्यमें एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्तिके पैर पकड़े हुए है। एक अन्य व्यक्ति हाथ जोड़े खड़ा है। पासमें दो घोड़े खड़े हुए हैं। घोड़ोंके दूसरी ओर तीन व्यक्ति हाथ जोड़े हुए खड़े हैं। नौवें दृश्यमें दिग्विजयसे लौटे हुए राजाके स्वागतका भव्य अंकन है। एक व्यक्ति राजाका छत्र उठाये हुए है। दो सैनिक कन्धेपर तलवार धारण किये हैं। छह मानव-मूर्तियाँ-चार स्त्रियाँ और दो पगड़ीधारी पुरुष स्वागत कर रहे हैं। ____इन सारे दृश्योंको एक सूत्रमें पिरोकर देखा जाये तो ये दृश्य सम्राट् खारबेलकी दिग्विजयसे सम्बन्धित प्रतीत होते हैं। . ___ऊपरकी मंजिल-शिल्प-चातुर्य और कलाकी दृष्टिसे यदि दोनों मंजिलों की तुलना की जाये तो लगता है कि नीचेकी मंजिलकी अपेक्षा ऊपरको मंजिलके शिल्पकार और कलाकार अधिक कल्पनाशील और चतुर थे। ऐसा भी लगता है कि ऊपरी मंजिलका शिल्प नीचेकी मंजिलकी अपेक्षा बादका है और उसके ऊपर पश्चिम भारतकी कलाका स्पष्ट प्रभाव लगता है। इसके बरामदेका आगेका भाग और खम्भे नहीं रहे। वर्तमान बरामदेके नौ आधार स्तम्भोंमें से सात आधुनिक हैं। इस मंजिल में कुल छह प्रकोष्ठ बने हुए हैं—दो वाम और दक्षिण
SR No.090097
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1975
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size18 MB
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