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बिहार-बंगाल-उड़ीसाके दिगम्बर जैन तीर्थ सभी तीर्थंकर-मूर्तियोंकी अवगाहना डेढ़ फुट है और देवी-मूर्तियोंकी अवगाहना चौदह इंच है।
बरामदेमें बायीं और दायीं ओरकी दीवालोंमें चक्रेश्वरी और रोहिणी देवी विराजमान हैं। उनके शीर्ष भागपर क्रमशः ऋषभदेव और अजितताथकी मूर्ति बनी हुई है। ये दोनों ही मूर्तियाँ बारहभुजी हैं। ये हार, कुण्डल, केयूर, भुजबन्द, पहुँची, उपवीत और मुकुट धारण किये हुए हैं तथा ललितासनसे बैठी हैं। चक्रेश्वरीके कमलासनके अधोभागमें उसका वाहन गरुड़ है। गरुड़के निकट एक व्यक्ति जलकी झारी लिये हुए है। देवीके दायें हाथोंमें एक हाथ वरद मुद्रामें, अन्यमें तलवार और चक्र तथा बायें हाथोंमें ढाल, वज्र और चक्र हैं। शेष हाथ खण्डित हैं।
__बरामदेकी दायीं ओरकी दीवालमें बनी हुई रोहिणीके बारह भुजाएँ हैं और गायका वाहन है। उसके शीर्षपर गज लांछन मण्डित अजितनाथ तीर्थंकरकी मूर्ति बनी हुई है।
___९. महावीर गुम्फा-गुम्फा नं. ८ से मिली हुई है। इसमें भी पहले प्रकोष्ठ और बरामदा था। वे बादमें बीचकी दीवाल हटाकर मिला दिये गये। इसमें २४ तीर्थंकरोंकी मूर्तियाँ बनी हुई हैं जिनमें ८ ( ऋषभदेव, अजितनाथ, शीतलनाथ, पार्श्वनाथ, वासुपूज्य, विमलनाथ, श्रेयान्सनाथ और महावीर ) तीर्थंकरोंकी मूर्तियाँ कायोत्सर्ग मुद्रामें हैं । शेष पद्मासनमें हैं। पद्मासन प्रतिमाओंके दोनों पावों में चमरवाहक बने हुए हैं, जबकि खड्गासन प्रतिमाओंमें नीचे भक्त नागपुरुष दिखाये गये हैं।
___ इसमें भगवान् ऋषभदेवकी तीन प्रतिमाएँ भी हैं जो मूलतः इस गुफाकी नहीं हैं। वे इस गुफाकी शेष प्रतिमाओंसे प्राचीन हैं।
१०. यह गुफा ध्वस्त दशामें पड़ी हुई है। केवल एक पहाड़ी दीवाल शेष है। उसके ऊपर लगभग पन्द्रह फुट ऊँचाईपर ऋषभदेवकी दो प्रतिमाएँ तथा एक प्रतिमा अम्बिकाकी दिखाई पड़ती हैं । ऋषभदेव प्रतिमाएँ कायोत्सर्गासनमें हैं। वे सिंहोंपर आधारित कमलासनपर विराजमान हैं तथा नीचे उनका वृषभ लांछन बना हुआ है। उनके दोनों पार्यों में अष्टग्रह तथा चमरवाहक हैं। उनके सिरके ऊपर छत्रत्रय सुशोभित हैं तथा इधर-उधर देव दुन्दुभि एवं नभचारी गन्धर्व पुष्पमालाएँ लिये हुए हैं। दोनोंकी जटाएँ भिन्न प्रकारकी हैं । अम्बिकाका वाम पार्श्व कुछ खण्डित है। देवी एक आम्रवृक्षके नीचे त्रिभंग मुद्रामें खड़ी हुई है। उसके शीर्ष भागपर नेमिनाथकी प्रतिमा है जिनके दोनों ओर आकाशविहारी देव हैं। देवी सिंहाधारित कमलासनपर खड़ो है। उसके दायीं ओर एक बालक खड़ा है।
११. ललाटेन्दु केशरी गुम्फा-गुफा नं १० से मिली हुई जरा-सा घूमनेपर यह गुफा है। इसकी भी दशा अच्छी नहीं है। पहले इसमें दो प्रकोष्ठ और एक बरामदा था। किन्तु ये सब नष्ट हो गये। अब तो खुला हुआ घेरा मात्र है। इस समय इसकी चौड़ाई ग्यारह फुट और लम्बाई बारह फुट है। पृष्ठ दीवालपर बायीं ओर ५ तीर्थंकर खड्गासन-मूर्तियाँ हैं-२ ऋषभदेवकी और ३ पार्श्वनाथकी । इसी प्रकार दायीं ओर उसी दीवालपर २ पार्श्वनाथकी और १ ऋषभदेवकी मूर्तियाँ हैं । ये भी खड्गासन हैं । इनके पृष्ठ भागमें एक वेदीनुमा स्थानके ऊपर एक क्षतिग्रस्त पाँच पंक्तियोंका शिलालेख है। यह सोमवंशी महाराज उद्योतकेशरीके शासन-कालके ५वें वर्षका है। वह इस प्रकार है
ॐ श्री उद्योतकेशरी विजय राज्य संवत् ५ श्री कुमार पर्वत स्थाने जीर्ण वापि जीणं इसान