________________
भरतके दिएरवर रेननीय
धर्मशालासे चलकर लगभग एक फलांगसे ही पर्वतकी चढ़ाई प्रारम्भ हो जाती है। यहाँसे करीब तीन कि. मी. पर गन्धर्व नाला पड़ता है। यहींपर बीसपन्थी कोठीकी तरफसे एक धर्मशाला बनी है । लौटते समय यात्रियोंके लिए यहां जलपानका प्रबन्ध है। इसके बाद ऊपर पर्वतपर कहींपर भी मल-मूत्रादि नहीं करते । अतः जिन्हें मल-मूत्रादिकी बाधा हो, उन्हें यहीं निवृत्त हो लेना चाहिए। नालेसे कुछ दूर आगे जानेपर एक रास्ता सीवा नालेकी ओर और दूसरा पार्श्वनाथ टोंककी ओर जाता है । यहाँ सूचना-पट्ट लगा हुआ है। बायों ओर जानेपर इसके आगे डेढ़ मीलपर सीता नाला मिलता है । यहाँ अपनी पूजन-सामग्री धो लेनी चाहिए और अभिषेकके लिए जल ले लेना चाहिए।
यहाँसे दो मीलकी कठिन चढ़ाई है। इसमें एक मील तक पक्की सीढ़ियाँ बनी हुई हैं जो दिगम्बर समाजको ओरसे बनायी गयी हैं । श्री सम्मेदशिखरका अद्भुत माहात्म्य
मधुवनसे जब सम्मेदशिखरकी यात्राके लिए रवाना होते हैं, तब मनमें एक अद्भुत उल्लास, उमंग और तीर्थंकरोंके प्रति निश्छल भक्तिकी पुण्य भावना होती है। वहाँका सारा वातावरण ही भक्तिमय होता है। यात्रीके मन में व्यक्त अथवा अव्यक्त रूपमें द्यानतरायजी की यह पंक्ति सदा अंकित रहती है-"एक बार वन्दै जो कोई। ताहि नरक-पशु गति नहिं होई ॥" शास्त्रोंमें तो शिखरजीकी भावयुक्त वन्दना करनेका फल यह बताया है कि वह व्यक्ति फिर संसारमें अधिकसे अधिक ४२ भव धारण करनेके बाद मोक्ष प्राप्त कर लेता है। यह अतिशयोक्ति नहीं, किन्तु सत्य है। इसमें तर्क और सन्देहको कोई स्थान नहीं है। इसीलिए तो इसे तीर्थराजकी संज्ञा दी गयी है। भाव-भक्तिपूर्वक इसकी यात्रा और वन्दना करनेसे कोटि-कोटि जन्मोंके संचित कर्मोंका नाश हो जाता है।
बीस तीर्थंकरोंको इसी पर्वतपर अन्तिम योग-निरोध करके निर्वाण प्राप्त हुआ है। इनके अतिरिक्त यहाँसे असंख्य मुनियोंको मोक्ष प्राप्त हुआ है। यहाँसे मुक्ति प्राप्त करनेवाले मुनियोंकी निश्चित संख्या शास्त्रोंमें दी हुई है। कुल कूटों की संख्या २० है जो बीस तीर्थंकरोंके निर्वाणस्थान हैं।
१. इन कूटोंसे मोक्ष जानेवाले मुनियोंकी संख्या इस प्रकार है-(१) भ. कुन्थुनाथका ज्ञानधरकूट-९६ कोड़ाकोड़ी ९६३२९६७४२, (२) भ. नमिनाथका मित्रधरकूट-९०० कोड़ाकोड़ी १००४५०७९४२, (३) भ. अरनाथका नाटककूट-९९९९९९०००, (४) मल्लिनाथका सम्बलकूट-९६०००००००, (५) भ. श्रेयान्सनाथका संकुलकूट-९६ कोड़ाकोड़ी ९६९६०९५४२, ( ६ ) भ. पुष्पदन्तका सुप्रभकूट-१ कोडाकोड़ी ९९०७४८०, (७) भ. पद्मप्रभका मोहनकूट-९९८७४२७९०, (८) भ. मुनिसुव्रतनाथका निर्जरकूट-९९ कोड़ाकोड़ो ९७०९००९९९, (९) भ. चन्द्रप्रभका ललितकूट-७८४७२८०८४०००, (१०) भ. शीतलनाथका विद्युत्चरकूट-१८ कोडाकोड़ी ४२३२४२९०५, (११) भ. अनन्तनाथका स्वयम्भूकूट-९६ कोड़ाकोड़ी ७०७०७०७००, (१२) भ. संभवनाथका धवलकूट-९ कोडाकोड़ी ७२४२५००, (१३ ) भ. अभिन्दननाथका आनन्दकूट-७२ कोड़ाकोड़ी ७०७०४२७००, (१४) भ. धर्मनाथका सुदत्तवरकूट-२९ कोडाकोड़ी १९०९९७९५, (१५) भ. सुमतिनाथका अविचलकूट-१ कोडाकोड़ी ८४७२८१७००, (१६) भ. शान्तिनाथका कुन्दप्रभकूट-९ कोडाकोड़ी ९०९९९९, (१७) भ. सुपार्श्वनाका प्रभासकूट-४९ कोडाकोड़ी ८४७२०७७४२, (१८) भ. विमलनाथका सुवीरकूट-७० कोड़ाकोड़ी ६००६७४२, (१९) भ. अजितनाथका सिद्धवरकूट-१८०४४०००००, (२०) भ. पार्श्वनाथका स्वर्णभद्रकूट-८२८४४५७४२ ।