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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ फाटकके भीतर दायीं ओर एक शिखरबन्द मन्दिर है । सभामण्डपके भीतर एक गर्भगृह है। वेदी एक दरको है। मूलनायक प्रतिमा भगवान् चन्द्रप्रभुको श्वेत पाषाणकी पद्मासन है। आसन सहित प्रतिमाकी अवगाहना लगभग एक गज है। मूलनायकके अतिरिक्त दो पाषाणकी तथा आठ धातुकी प्रतिमाएँ हैं। मुख्य वेदीकी परिक्रमाके पीछे एक और वेदी है जिसमें भगवान् महावीरकी रक्ताभ वर्ण पद्मासन प्रतिमाके अतिरिक्त ३ श्वेत पाषाणकी प्रतिमाएँ हैं । बीसपन्थी कोठीमें विशाल कम्पाउण्डमें धर्मशाला और मन्दिर है। मन्दिरमें सभामण्डप और गर्भगृह है। उसमें श्याम पाषाणकी पार्श्वनाथको मूलनायक प्रतिमा विराजमान है। इसके अतिरिक्त तीन पाषाणकी और धातकी तीन प्रतिमाएँ वेदीमें विराजमान हैं। इस मन्दिरकी बायीं ओर एक मन्दिर और है जिसमें जयसेन मुनिराजकी आदमकद मूर्ति है। इस मन्दिरके बराबर एक छतरीके नीचे चरण विराजमान हैं।
दोनों कोठियोंके बीचकी गलीमें उदासीनाश्रमका प्रवेशद्वार बना हुआ है। इस संस्थाका नाम श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन शान्ति निकेतन उदासीनाश्रम है। इसकी स्थापना पूज्य क्षुल्लक गणेशप्रसादजी वर्णी ( गणेश मुनि ) ने की थी। इसमें विरक्त त्यागी, ब्रह्मचारी और साध्वियाँ धर्मसाधनकी भावनासे रहते हैं। इनके निवासकी पृथक्-पृथक् व्यवस्था है। संस्थाके भवनमें प्रवेश करनेपर दायीं ओर त्यागी-निवास और स्वाध्यायशाला बनी हुई है। एक सरस्वती भवन भी है जिसमें २००० ग्रन्थ हैं। इससे सम्बन्धित सेठ बैजनाथजी सरावगी द्वारा निर्मित धर्मध्यानाश्रम है। रा. ब. सेठ हरकचन्दजी तथा सेठ तुलारामजीकी कोठियाँ हैं जो अतिथियोंके काम आती हैं। इस आश्रममें २५-३० त्यागियों एवं ३०-४० ब्रह्मचारिणियोंके लिए निवास आदिकी व्यवस्था है।
प्रवेशद्वारके बायीं ओर त्यागियोंको भोजनशाला है। संस्थाके प्रांगणके मध्यमें लगभग पचीस फुट ऊँचा पूज्य वर्णीजीका समाधि-स्तूप बना हुआ है, जिसके ऊपर वर्णीजीका जीवनपरिचय और उनके उपदेश आदि अंकित हैं। स्तूपकी रचना-शैली अत्यन्त मनोज्ञ है। स्तूपसे आगे बढ़नेपर पार्श्वनाथ जिनालयका भव्य भवन बना हुआ है। मन्दिरमें सभामण्डप और गर्भगृह है। गर्भगृहमें केवल एक वेदो बनी हुई है। उसमें मूलनायक भगवान् पाश्वनाथकी प्रतिमा है। वेदीपर मूर्तियोंकी कुल संख्या १३ है, जिसमें ३ पाषाणकी तथा १० धातु की प्रतिमाएं हैं।
इस मन्दिरके बगलसे मुमुक्षु महिलाश्रमको मार्ग जाता है। आश्रममें प्रवेश करते ही दायीं ओर दो-मंजिला भवन बना हुआ है, उसमें कुल ३० कमरे बने हुए हैं। ऊपरके खण्डमें पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन इण्टर कालेजका प्राइमरी सैक्शन लगता है। नीचेके भागमें ब्रह्मचारिणियों तथा वहाँके कार्यकर्ताओंकी निवास-व्यवस्था है। महिलाश्रमके जिनालयमें एक विशाल हॉल बना हुआ है। उसीमें एक ऊँची वेदीमें कृष्ण वर्ण साढ़े चार फुट अवगाहनावाली भगवान् पार्श्वनाथकी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। मूलनायक के अतिरिक्त ७ पाषाण प्रतिमाएँ वेदीमें विराजमान हैं।
मधुवन
ईसरीसे लगभग बाईस कि. मी. पर मधुवन है। मधुवनके लिए यहाँसे तेरापन्थी कोठीकी बस तथा टैक्सी मिलती है । यहाँसे गिरीडोह रोडपर सोलह कि. मी. चलकर मधुवनके लिए सड़क मुड़ती है और छह कि. मी. चलकर मधुवन आ जाता है। मधुवन पर्वतके उत्तरी भागकी ओर है।