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________________ १४६ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ चेत्तस्स सुक्कछट्ठीअवरण्हे जम्मभम्मि सम्मेदे। संपत्तो अपवग्गं संभवसामी सहस्सजुदो ॥ -सम्भवनाथ स्वामी चैत्र शुक्ला षष्ठीके दिन अपराह्न समयमें जन्म-नक्षत्रके रहते सम्मेद शिखरसे एक हजार मुनियोंके साथ अपवर्ग ( मोक्ष ) को प्राप्त हुए। वइसाहसुक्कसत्तमिपुव्वण्हे जम्मभम्मि सम्मेदे। ___ दससयमहेसिसहिदो गंदणदेवो गदो मोक्खं ।। -अभिनन्दननाथ वैशाख शुक्ला सप्तमीको पूर्वाह्न समयमें अपने जन्म-नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखरसे एक हजार महर्षियोंके साथ मोक्षको प्राप्त हुए। चेत्तस्स सुक्कदसमीपुव्वण्हे जम्मभम्मि सम्मेदे । दससारसिसंजुत्तो सुमइस्सामा स मोक्खगदो । -सुमतिनाथ स्वामी चैत्र शुक्ला दशमीके दिन पूर्वाह्न कालमें अपने जन्म-नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखरसे एक हजार ऋषियोंके साथ मोक्षको प्राप्त हुए। . फग्गुणकिण्ह चउत्थी अवरण्हे जम्मभम्मि सम्मेदे । चउवीसाधिय तियसयसहिदो पउमप्पहो देवो ॥ -पद्मप्रभ देव फाल्गुन कृष्ण चतुर्थीके दिन अपराहृमें अपने जन्म-नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखरसे तीन सौ चौबीस मुनियोंके साथ मुक्तिको प्राप्त हुए। फग्गुणबहुलच्छट्ठीपुव्वण्हे पव्वदम्मि सम्मेदे । अणुराहाए पणसयजुत्तो मुत्तो सुपासजिणो ॥ -सुपार्श्व जिनेन्द्र फाल्गुन कृष्णा षष्ठीको पूर्वाह्न समयमें अनुराधा नक्षत्रके रहते सम्मेद पर्वतसे पांच सौ मुनियोंके साथ मुक्त हुए। सिदसत्तमि पुव्वण्हे भद्दपदे मुणिसस्स संजुत्तो।। जेट्टासुं सम्मेदे चंद्रप्पह जिणवरो सिद्धो॥ -चन्द्रप्रभ जिनेन्द्र भाद्रपद शुक्ला सप्तमीको पूर्वाह्न कालमें ज्येष्ठा नक्षत्रके रहते एक हजार मुनियों सहित सम्मेदशिखरसे मुक्त हुए। अस्सजुद सुक्कअट्ठमिअवरण्हे जम्मभम्मि सम्मेदे। मुणिवरसहस्ससहिदो सिद्धिगदो पुप्फदंतजिणो ॥ -पुष्पदन्त भगवान् आश्विन शुक्ला अष्टमीके दिन अपराहू कालमें अपने जन्म-नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखरसे एक हजार मुनियोंके साथ सिद्धिको प्राप्त हुए। . ___ कत्तियसुक्के पंचमिपुव्वण्हे जम्मभम्मि सम्मेदे । णिव्वाणं संपत्तो सीयलदेवो सहस्सजदो॥ ___-शीतलनाथ कार्तिक शुक्ला पंचमीके पूर्वाह्न समयमें अपने जन्म-नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखरसे एक हजार मुनियोंके साथ निर्वाणको प्राप्त हुए। सावणिय पुणिमाए पुव्वण्हे मुणिसहस्ससंजुत्तो। सम्मेदे सेयंसो सिद्धि पत्तो धणिट्ठासु ॥ -भगवान् श्रेयान्स श्रावणकी पूर्णिमाको पूर्वाह्नमें धनिष्ठा नक्षत्रमें सम्मेदशिखरसे एक हजार मुनियोंके साथ सिद्ध हुए।
SR No.090097
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1975
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size18 MB
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