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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ चेत्तस्स सुक्कछट्ठीअवरण्हे जम्मभम्मि सम्मेदे।
संपत्तो अपवग्गं संभवसामी सहस्सजुदो ॥ -सम्भवनाथ स्वामी चैत्र शुक्ला षष्ठीके दिन अपराह्न समयमें जन्म-नक्षत्रके रहते सम्मेद शिखरसे एक हजार मुनियोंके साथ अपवर्ग ( मोक्ष ) को प्राप्त हुए।
वइसाहसुक्कसत्तमिपुव्वण्हे जम्मभम्मि सम्मेदे।
___ दससयमहेसिसहिदो गंदणदेवो गदो मोक्खं ।। -अभिनन्दननाथ वैशाख शुक्ला सप्तमीको पूर्वाह्न समयमें अपने जन्म-नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखरसे एक हजार महर्षियोंके साथ मोक्षको प्राप्त हुए।
चेत्तस्स सुक्कदसमीपुव्वण्हे जम्मभम्मि सम्मेदे ।
दससारसिसंजुत्तो सुमइस्सामा स मोक्खगदो । -सुमतिनाथ स्वामी चैत्र शुक्ला दशमीके दिन पूर्वाह्न कालमें अपने जन्म-नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखरसे एक हजार ऋषियोंके साथ मोक्षको प्राप्त हुए।
. फग्गुणकिण्ह चउत्थी अवरण्हे जम्मभम्मि सम्मेदे ।
चउवीसाधिय तियसयसहिदो पउमप्पहो देवो ॥ -पद्मप्रभ देव फाल्गुन कृष्ण चतुर्थीके दिन अपराहृमें अपने जन्म-नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखरसे तीन सौ चौबीस मुनियोंके साथ मुक्तिको प्राप्त हुए।
फग्गुणबहुलच्छट्ठीपुव्वण्हे पव्वदम्मि सम्मेदे ।
अणुराहाए पणसयजुत्तो मुत्तो सुपासजिणो ॥ -सुपार्श्व जिनेन्द्र फाल्गुन कृष्णा षष्ठीको पूर्वाह्न समयमें अनुराधा नक्षत्रके रहते सम्मेद पर्वतसे पांच सौ मुनियोंके साथ मुक्त हुए।
सिदसत्तमि पुव्वण्हे भद्दपदे मुणिसस्स संजुत्तो।।
जेट्टासुं सम्मेदे चंद्रप्पह जिणवरो सिद्धो॥ -चन्द्रप्रभ जिनेन्द्र भाद्रपद शुक्ला सप्तमीको पूर्वाह्न कालमें ज्येष्ठा नक्षत्रके रहते एक हजार मुनियों सहित सम्मेदशिखरसे मुक्त हुए।
अस्सजुद सुक्कअट्ठमिअवरण्हे जम्मभम्मि सम्मेदे।
मुणिवरसहस्ससहिदो सिद्धिगदो पुप्फदंतजिणो ॥ -पुष्पदन्त भगवान् आश्विन शुक्ला अष्टमीके दिन अपराहू कालमें अपने जन्म-नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखरसे एक हजार मुनियोंके साथ सिद्धिको प्राप्त हुए। .
___ कत्तियसुक्के पंचमिपुव्वण्हे जम्मभम्मि सम्मेदे ।
णिव्वाणं संपत्तो सीयलदेवो सहस्सजदो॥ ___-शीतलनाथ कार्तिक शुक्ला पंचमीके पूर्वाह्न समयमें अपने जन्म-नक्षत्रके रहते सम्मेदशिखरसे एक हजार मुनियोंके साथ निर्वाणको प्राप्त हुए।
सावणिय पुणिमाए पुव्वण्हे मुणिसहस्ससंजुत्तो।
सम्मेदे सेयंसो सिद्धि पत्तो धणिट्ठासु ॥ -भगवान् श्रेयान्स श्रावणकी पूर्णिमाको पूर्वाह्नमें धनिष्ठा नक्षत्रमें सम्मेदशिखरसे एक हजार मुनियोंके साथ सिद्ध हुए।