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________________ १४२ भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ पर ही बनायी गयीं । पटनाके लोहानीपुरी मुहल्ले में मौर्ययुगको खण्डित जैन मूर्तिकी प्राप्तिसे मूर्तिकलाका इतिहास ही बदल गया । यह एक संयोग ही कहना होगा कि हड़प्पा में जो जिन मूर्तिका कबन्ध मिला था, बिलकुल वैसा ही कबन्ध लोहानीपुरमें मिला । इसकी ओपदार पालिशसे यह सुनिश्चित किया गया कि यह मूर्ति ईसापूर्व ३२० - १८५ की है । अन्यथा दोनों मूर्तियों में देखने में कोई अन्तर प्रतीत नहीं होता । इस संग्रहालय में पाषाणकी निम्नलिखित जैन मूर्तियाँ सुरक्षित हैं १. मूर्तिका सिर मौर्य कालीन २. सिर रहित धड़, घुटनों और खण्ड " ३ सिंह मस्तक ४. चमर ग्राहिणी यक्षी "" ५. तीर्थंकर मूर्ति पद्मासन ईसाकी दूसरी शताब्दी ६. चतुर्भुजी देवी, गोदमें बालक है ७. तीर्थंकर प्रतिमा - पद्मासन ८. नवग्रह ९. तीर्थंकर प्रतिमा खड्गासन १०. तीर्थंकर प्रतिमा पद्मासन ११. चौबीस तीर्थंकरों की मूर्ति १२. तीर्थंकर प्रतिमा - पद्मासन १३. तीर्थंकर प्रतिमा खड्गासन १४. चौबीस तीर्थंकर मूर्ति १५. धर्मचक्र १६. सिंह स्तम्भ " लोहानीपुर ( पटना ) से प्राप्त " मसाढ़ ( शाहाबाद ) से प्राप्त दीदारगंज ( पटना सिटी ) से प्राप्त १७. अभय मुद्रामें यक्ष-मूर्ति शीर्ष पर तीर्थंकर प्रतिमा १८. दरवाजा ८वीं शताब्दी उदयगिरिसे प्राप्त इनके अतिरिक्त धातुकी २१ जैन प्रतिमाएँ यहाँ सुरक्षित हैं । (२) जालान - संग्रहालय पटना सिटी में गंगा तट पर स्व० सेठ राधाकृष्णजी जालान द्वारा स्थापित व्यक्तिगत कला-संग्रह है । स्वर्गीय जालान परिष्कृत रुचि सम्पन्न और कल | मर्मज्ञ व्यक्ति थे । ऐतिहासिक और कलात्मक वस्तुओंके संग्रह करनेका उन्हें बेहद शौक था । उन्होंने शेरशाह सूरिका किला खरीदकर उसमें अपने रहने के लिए कोठी बनवायी और उसमें नैपाल, तिब्बत, चीन, जापान, पैरिस, स्विटजरलैण्ड आदिसे काँच, चीनी, हाथी दाँत, स्फटिक, चाँदी, सोने आदिकी कलात्मक वस्तुएँ, पाषाण एवं धातुकी प्रतिमाएँ, हस्तलिखित ग्रन्थ, राजाओं और बादशाहोंके पलंग, सोफासेट, तलवारें हाथीदाँत की पालकी आदि अनेक वस्तुओं का संग्रह किया । वास्तवमें उन्होंने इस कलासंग्रहालयको अत्यन्त समृद्ध बनाया है ।
SR No.090097
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1975
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size18 MB
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