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________________ बिहार - बंगाल - उड़ीसा के दिगम्बर जैन तीर्थं गुणावा १२५ स्थिति गुणावा बिहार प्रान्तमें नवादा जिलेके अन्तर्गत है । इसका पोस्ट आफिस नवादा है | गया-क्यूल रेलवे लाइनपर स्थित नवादासे यह ३ कि. मी. दूर है और यह नवादा बिहारबख्त्यारपुर रोड के किनारे है । सिद्धक्षेत्र यह स्थान भगवान् महावीरके मुख्य गणधर गौतम स्वामीका निर्वाण-स्थान माना जाता है । अतः जैन जनता इसे सिद्धक्षेत्र या निर्वाणक्षेत्र मानती है । गौतम स्वामीकी वास्तविक निर्वाण भूमि गुणावा सिद्धक्षेत्र है, इसका समर्थन किसी भी प्राचीन शास्त्रसे नहीं होता । निर्वाण काण्ड ( संस्कृत ) और निर्वाण भक्ति ( प्राकृत ) में भी गुणावा नामक किसी सिद्धक्षेत्रका उल्लेख नहीं मिलता। किसी पुराण अथवा कथा-ग्रन्थ में भी गौतम स्वामीका निर्वाण गुणावामें होनेका समर्थन नहीं मिलता। आचार्यं गुणभद्र कृत उत्तर पुराणेमें इस सम्बन्ध में निम्नलिखित उल्लेख मिलता है— वीरनिर्वृतिसंप्राप्तदिन एवास्तघातिकः ॥ भविष्याम्यहमप्युद्यत्केवलज्ञानलोचनः । भव्यानां धर्मदेशेन विहृत्य विषयांस्ततः ॥ गत्वा विपुलशब्दादिगिरौ प्राप्स्यामि निर्वृतिम् । - जिस दिन भगवान् महावीर स्वामीको निर्वाण प्राप्त होगा उसी दिन मैं भी अघातिया कर्मोंको नष्ट कर केवलज्ञानरूपी नेत्रको प्रकट करनेवाला होऊंगा और फिर मैं भव्य जीवोंको धर्मोपदेश देता हुआ अनेक देशों में विहार करूँगा । तदनन्तर विपुलाचलपर जाकर निर्वाण प्राप्त करूँगा । उत्तर पुराणके इस अवतरण से सन्देहकी कोई गुंजायश नहीं रह जाती कि गौतम स्वामीका निर्वाण विपुलाचल पर्वतपर हुआ । श्वेताम्बर परम्परामें भी गौतम स्वामीका निर्वाण गुणावामें स्वीकार नहीं किया गया, अपितु उनका निर्वाण राजगृहके गुणशीले चैत्यमें हुआ माना जाता है । भगवान् महावीरके सभी ग्यारहों गणधर इसी गुणशील चैत्यसे ही निर्वाणको प्राप्त हुए थे। 3 यह गुणशील चैत्य राजगृहके बाहर उत्तर-पूर्व दिशामें अवस्थित था । यथा 'तस्स णं रामगिहस्स णयरस्स वहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसी भाए गुणसिलए णामं चेइये हो । - इस प्रकार दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों ही परम्पराओंमें इस विषय में ऐकमत्य है कि गौतम स्वामीका निर्वाण राजगृहमें हुआ । किन्तु राजगृहमें किस स्थानसे उनका निर्वाण हुआ, इस १. उत्तर पुराण, ७६।५१५-५१७ । २. आवश्यक निर्युक्ति, ६५५ । आवश्यक मलयगिरि वृत्ति, पृ. ३३१ । ३. भगवती सूत्र १ श. १ उ. । निशीथचूणि । आवश्यकचूर्णि । अनुत्तरौपपातिक । उत्तराध्ययन । अभिधानराजेन्द्र कोष, भाग ३, पृ. ९३१ ।
SR No.090097
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1975
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size18 MB
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