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________________ - बिहार - बंगाल - उड़ीसा के दिगम्बर जैन तीर्थं ११७ कार्यालय में टेलिफोन भी लग गया है, जिसका नं. ४ पावापुरी है । धर्मशालाके बाहर पोस्ट ऑफिस है । औषधालय क्षेत्रपर अन्य कोई संस्था नहीं है । एक औषधालय है, जिसका नाम श्री महावीर दिगम्बर जैन औषधालय है। धर्मशाला के सदर फाटक के बाहर पूर्वकी ओर इस औषधालयका अपना एक हॉल है । यह औषधालय सुचारु रूपसे चल रहा है। इससे देहाती जनता तथा यात्रियोंको बड़ा लाभ मिलता है । वार्षिक मेला 1 पावापुरी में भगवान् महावीरके निर्वाणोत्सव के अवसरपर कार्तिक कृष्णा त्रयोदशीसे कार्तिक शुक्ला एकम तक विशाल मेला लगता है । मेलेके समय निर्वाण लाडू चढ़ाने और भगवान् महावीरको अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करनेके लिए हजारों जैन और अजैन बन्धु आते हैं । इधर अजैन जनता महावीरके प्रति बड़ी श्रद्धा है और वह परम्परागत रूपसे इसी पावापुरीको महावीरका निर्वाण-स्थान मानती आयी है । इस समय बसों का स्टैण्ड दिगम्बर धर्मशालाके सामने ही बन जाता है, जिससे बाहर से आनेवाले यात्रियों को बड़ी सुविधा हो जाती है । चतुर्दशीके प्रातःकाल भगवान्‌का मस्तकाभिषेक और विशेष पूजन होता है । कार्तिक कृष्णा अमावस्याको प्रातः साढ़े तीन बजे कार्यालयसे गाजे-बाजे के साथ नालकीमें भगवान् महावीर भव्य मूर्तिको एक जलूसके साथ जलमन्दिर ले जाते हैं । वहाँपर पूजन होकर निर्वाण लाडू चढ़ाया जाता है । इसके पश्चात् वहाँसे वापस आकर कार्यालय -मन्दिरजी में निर्वाण लाडू चढ़ाया जाता है । मध्याह्न १२ बजेसे रथयात्राका जलूस निकलता है । यह जलूस जलमन्दिरकी परिक्रमा करता हुआ पश्चिमकी ओर बने हुए रथपिण्डपर जाता है, जहाँ भगवान्का पूजन, अभिषेक वापस धर्मशाला आता है । कार्तिक सुदी २ को राजगृही क्षेत्रपर रथयात्रा निकलती है । अतः पावापुरीसे यात्री राजगृही चले जाते हैं । क्षेत्रका प्रबन्ध क्षेत्रका प्रबन्ध भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी, बम्बईके अन्तर्गत बिहार प्रान्तीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी करती है । इसका मन्त्री कार्यालय देवाश्रम, आरा (बिहार) में है । पावामें जैन पुरातत्त्व आजकल पावा और पुरी दो पृथक् गाँव हैं। वर्तमान पुरीमें, बल्कि पोखरपुर मौजेमें है । यह गाँव पटना-राची रोडके लिए सड़क आती है । वस्तुतः प्राचीन काल में पावा और पुरी नामक दो गाँव नहीं थे, बल्कि दोनों 'थे । एक समय ऐसा आया जब नगरकी आबादीके बीचमें अन्तराल पड़ गया। तब एक एक पावापुरी - मन्दिर न पावामें है, न उस मोड़ पर है जहाँसे मन्दिरके
SR No.090097
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1975
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size18 MB
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