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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ कुछ आगे बढ़नेपर दिगम्बर मन्दिर आता है। मन्दिरमें महावीर भगवान्को ४ फुट अवगाहनावाली श्वेत पद्मासन मूर्ति है। मूर्ति बहुत मनोज्ञ है। इसको प्रतिष्ठा वीर संवत् २४८९ में भागलपुरके श्री हरनारायण आत्मज वीरचन्द भार्या पूष्पादेवीने करायी थी।
यह वेदी तीन दरकी है। बायीं ओर आचार्य शान्तिसागरजीके चरण हैं तथा दायीं ओर भगवान् आदिनाथके चरण विराजमान हैं। चरण कृष्ण पाषाणके हैं। बायीं ओर दीवालमें एक वेदी है, जिसमें भगवान् नेमिनाथके चरण हैं तथा दायीं ओर भगवान् पार्श्वनाथके चरण हैं। मन्दिरमें गर्भगह और बाहर मण्डप बना हआ है।
इस मन्दिरके बायीं ओर महादेव मन्दिरके पथके किनारे एक भग्न जैन मन्दिर है। इस मन्दिरका उत्खनन पुरातत्त्व विभागको ओरसे हुआ था। यह मन्दिर आठवीं शताब्दीका अनुमान किया जाता है। यहाँ अनेक जैन मूर्तियाँ मिली हैं, जिनमें कुछ मूर्तियोंपर लेख भी अंकित हैं। इस मन्दिरमें गर्भगृहके अतिरिक्त मन्दिरके चारों ओर २२ कोठरियाँ बनी हुई हैं। इनके अतिरिक्त पांच कमरे अलग बने हुए हैं। गर्भालय और कोठरियोंकी दीवालोंमें ताकनुमा वेदियाँ बनी हुई हैं, जिनमें मूर्तियाँ विराजमान होंगी। इन कोठरियोंमें-से एकमें ७, मुख्य गर्भगृहमें ३ और ८ कोठरियोंमें एक-एक मूर्ति विराजमान हैं। शेष कोठरियोंकी वेदियाँ खाली पड़ी हैं। सम्भवतः कुछ मूर्तियाँ नालन्दा म्यूजियममें पहुंचा दी गयी हैं। कुछ मूर्तियाँ चोरी चली गयीं, ऐसा ज्ञात हुआ। कोठरियोंके ऊपर छत नहीं है। गर्भगृहके बाहर सभामण्डप और परिक्रमा पथ है। उसके चारों ओर कोठरियाँ बनी हुई हैं।
____एक कमरेमें ७ मूर्तियाँ रखी हुई हैं, जिनमें एक मूर्ति बिलकुल घिस गयी है। मूर्तियोंपर लांछन और श्रीवत्स नहीं हैं । इन मूर्तियोंका विवरण इस प्रकार है । बायीं ओरसे
१.दो फटकी पद्मासन प्रतिमा। पादपीठके मध्यमें धर्मचक्र। उसके दोनों ओर सिंह। चमरवाहक और ऊपर आकाशचारी गन्धर्व हैं। किन्तु वे अस्पष्ट हैं। सिरके ऊपर छत्रत्रयी है। यह मूर्ति भगवान् महावीरकी है।
२. एक शिलाफलकमें नेमिनाथकी पद्मासन मूर्ति है। चरण-चौकीपर दो शंखोंके मध्यमें धर्मचक्र है । मूर्तिके ऊपर अलंकृत छत्र है। ऊपर तीन पद्मासन मूर्तियाँ हैं।
३. बिलकुल अस्पष्ट है।
४. खगासन प्रतिमा तीन फुटकी अवगाहना, भूरा वर्ण। दो चमरधारी । मुख खण्डित है। पुष्पमालधारी दो आकाशचारी गन्धर्व । प्रतिमाके सिरके ऊपर छत्रत्रय। .
५. एक खड्गासन प्रतिमा डेढ़ गज अवगाहना। दो चमरवाहक। पादपीठपर दो शंख लांछन, मध्यमें धर्मचक्र । धुंघराले केश। भव्य भामण्डल । छत्रत्रयी, पुष्पवर्षी गन्धर्व । छत्रोंके दोनों ओर अशोक वृक्ष। ऊपरके भागमें देव-दुन्दुभि । अष्टप्रातिहार्य युक्त नेमिनाथ भगवान्की प्रतिमा है।
६. नील वर्णकी एक पद्मासन प्रतिमा । अवगाहना एक गज । नीचे दो पद्मासन मूर्तियाँ । बीचमें चमरधारी अलंकार मण्डित इन्द्र खड़ा है। प्रतिमाके केश कुन्तल घुघराले हैं। नीचेके भागमें दोनों ओर दो खड़े हुए सिंह दीखते हैं।
७. डेढ़ गज अवगाहना, बादामी वर्ण, कायोत्सर्गासन । स्कन्धचुम्बी कर्ण । अलंकृत केश । ऊपर छत्रत्रयी। दो आकाशगामी गन्धर्व । दो चमरवाहक ।
८. इस कमरेके सामने दायों ओरकी कोठरीमें सवा दो फुटके एक शिलाफलकमें अम्बिका यक्षी और गोमेद यक्ष सुखासनसे बैठे हैं। अम्बिकाकी गोदमें एक बालक है। ऊपर आम्र-गुच्छक