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बिहार-बंगाल-उड़ीसाके दिगम्बर जैन तीर्थ शंख लेख
इससे कुछ आगे चलकर सड़क किनारे बायीं ओर पत्थरका छोटा-सा घेरा मिलता है। इसमें पत्थरोंपर शंखलिपिमें अनेक लेख खुदे हुए हैं। यह लिपि पहलीसे पाँचवीं शताब्दी तक भारतमें प्रचलित थी। किन्तु लेख अभी तक पढ़े नहीं जा सके हैं। इस घेरेमें रथोंके चक्कों की गहरी लीक बनी हुई है। इस लिपिमें कुछ लेख सोन भण्डार गुफाओंकी दीवालोंपर भी लिखे हुए हैं।
कुछ लोग ऐसे हैं, जिनमें एक साथ पाँचों पर्वतोंकी वन्दना करनेकी शक्ति नहीं है । वे यहाँसे धर्मशाला लौट जाते हैं। यहाँसे धर्मशाला लगभग एक मील पड़ती है और दूसरे दिन फिर चौथे पर्वत-श्रमणगिरिसे अपनी वन्दना प्रारम्भ करते हैं । मनियार मठ
____ सरस्वतीपर लोहेके पुलको पार कर सीधे हाथकी ओर जब ज्ञानगंगाकी धाराकी ओर जाते हैं तो गर्म जलके कुण्डोंसे लगभग ३०० गज चलकर प्राचीन किलेका उत्तरी भाग मिलता है। वहाँसे लगभग एक मीलपर मनियार मठ है। वास्तवमें एक टीलेपर बने हुए प्राचीन जैन मन्दिरका ही यह नाम है। यह टीला १० फुट चौड़े एक कुएंको भरकर बना हुआ है। सन् १८५१ में जनरल कनिंघमने इस कुएँकी खुदाई करायी थी। तब १९ फुटपर जाकर तीन मूर्तियाँ मिली . थीं, जिनमें एक नग्न प्रतिमा थी, जिसके सिरपर सप्त फण थे। वास्तवमें यह प्रतिमा भगवान् पार्श्वनाथकी थी। इसके अतिरिक्त और भी प्राचीन सामग्री निकली थी। यह रानी चेलनाका निर्माल्य कूप भी कहलाता है। इस सम्बन्धमें एक किंवदन्ती है कि रानी चेलना प्रतिदिन स्नान करके पहले दिनके पहने हुए वस्त्र और आभूषण इस कुएँमें डाल देती थी और नये वस्त्राभूषण पहनती थी।
. एक मान्यता यह भी है कि यह सेठ शालिभद्रका बनवाया प्राचीन जैन मन्दिर था तथा उस सेठने अपना भण्डार एक कुएँके भीतर गाड़ दिया था। यहाँ निकली मूर्तियोंको देखनेसे यह अनुमान होता है कि यह मन्दिर पहलीसे छठी शताब्दीके बीचका होगा। यह मन्दिर खुदाईके समय गिरा दिया गया था।
___ इस समय एक ऊँचे टीलेपर एक प्राचीन कूपाकार भवन है। उसके ऊपर टीनका शेड बना हुआ है । इस भवनके चारों ओर मैदानमें प्राचीन भवनके चबूतरेनुमा अवशेष हैं।
पुरातत्त्व विभागकी ओरसे इसके सम्बन्धमें जो सूचना पट्टपर अंकित है, वह इस प्रकार है
“यहाँकी खुदाईसे कई स्तरोंके मन्दिर और मकान मिले हैं जो कमसे कम पहलीसे छठी शती तकके हैं। कूपाकार मन्दिर सम्भवतः महाभारतमें उल्लिखित मणिनागका मन्दिर था। इसके निकट दूसरी शती ई. की लेखयुक्त मणिनागकी मूर्ति और अनेक टूटियोंवाले मिट्टीके बर्तन मिले हैं, जिनकी भाँतिके बर्तन आजकल भी नागपूजामें व्यवहृत होते हैं।" बिम्बसार-बन्दीगृह
___मनियार मठसे प्रायः पौन मील दक्षिणकी ओर लगभग २०० गज वर्गाकार क्षेत्र है। जिसके चारों ओर लगभग छह फुट मोटी और कोनोंपर गोल बुोंसे सुरक्षित पत्थरोंकी दीवार बनी हुई है। कहा जाता है, अजातशत्रुने अपने पिता श्रेणिक बिम्बसारको इसी स्थानपर बन्दी बनाकर