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________________ बिहार-बंगाल - उड़ीसा के दिगम्बर जैन तीर्थं चौथी वेदी भगवान् चन्द्रप्रभकी है । प्रतिमा श्वेत पाषाणकी पद्मासन है । पाँचवीं वेदीमें कृष्ण पाषाणके भगवान् नेमिनाथ पद्मासनमें विराजमान हैं । इसके अतिरिक्त इस वेदीमें २ पाषाणकी तथा १४ धातुकी प्रतिमाएँ हैं । गर्भगृह मण्डपसे वापस लौटनेपर बायीं ओरके बरामदेमें कुछ प्राचीन मूर्तियाँ व्यवस्थित ढंग से रखी हुई हैं। इनमें कुछ मूर्तियां वैभारगिरि पर उत्खनन में प्राप्त प्राचीन जैन मन्दिरसे लायी गयी हैं । बायीं ओरसे क्रमश: इन मूर्तियों का विवरण इस प्रकार है १. भगवान् नेमिनाथ, अवगाहना साढ़े चार फुट, सलेटी वर्णं, पद्मासन । भगवान्के आजूबाजू चमरवाहक खड़े हैं। सिरके पीछे भामण्डल है और सिरपर छत्रत्रय सुशोभित हैं । छत्रोंके इधर-उधर आकाशचारी देवियाँ पुष्पमाल लिये हुए अंकित हैं। पीठासनके दोनों सिरोंपर सिंह बने हुए हैं। मध्य में धर्मचक्र है और उसके दोनों बाजुओंमें भगवान्का लांछन शंख अंकित है । ९५ २. भगवान् महावीर । अवगाहना पौने तीन फुट, सिलेटी वर्ण, पद्मासन । दोनों ओर अलंकार धारण किये हुए चमरवाहक । सिरके ऊपर छत्रत्रय । दोनों सिरोंपर आकाशचारी युगल । पीठासनके दोनों सिरोंपर सिंह तथा मध्य में लांछन सिंह | ३. सात अंगुलकी मूँगा वर्णकी पार्श्वनाथ प्रतिमा पद्मासन । धातु प्रतिमाएँ पाँच-पाँच अंगुलकी पद्मासन में । तथा एक पद्मासन खण्डित मूर्ति । ४. खड्गासन तीर्थंकर प्रतिमा । जाँघोंसे नीचेका भाग खण्डित है । ५. किसी जैन मूर्ति की चरण-चौकी । बीचमें वृषभ लांछन है । उसके इधर-उधर सिंह बने हुए हैं। ך ६. अम्बिकादेवीकी लगभग तीन फुटकी पाषाण प्रतिमा, वर्णं सलेटी । सुखासन में बैठी हुई । गोदमें एक बालक, दूसरा बालक उँगली पकड़े हुए है । सिरपर आम्र- गुच्छक है । उसके ऊपर लगभग १० इंचका सिंहासनका शीर्ष फलक । देवीके नीचे सिंह बैठा है । ७. तीन फुटका वेदिका - स्तम्भ | ८. एक शिला - फलक में २४ पद्मासन तीर्थंकर मूर्तियाँ । फलक खण्डित है । सम्भवतः इसमें तीन चौबीसी रही होगी । ९. एक अलमारीमें पाँच धातु प्रतिमाएँ हैं । १ स्फटिक प्रतिमा है तथा पाषाणकी १ प्रतिमा खण्डित है । १०. एक शिलाफलकमें नवग्रह | ११. एक पाषाण स्तम्भका खण्डित भाग । १२. एक शिलाफलकमें नौ देवियाँ । १३. नौ देवियाँ । इनके अतिरिक्त नव देवताकी १ धातु मूर्ति तथा दो पंचपरमेष्ठी धातु- मूर्तियाँ हैं । कई मूर्तियाँ आठवीं शताब्दी और उसके बाद की हैं । बाहरी बरामदे की वेदीको मूर्तियाँ मन्दिर के बाहरी बरामदेमें जो वेदी बनी हुई है, उसमें १३ पाषाण और १९ धातुकी प्रतिमा विराजमान हैं । दो पीतलके मानस्तम्भ बने हुए हैं । इन प्रतिमाओं में तीन प्रतिमाएँ उल्लेखनीय हैं
SR No.090097
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1975
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size18 MB
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