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________________ ५७ उत्तरप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ चौरासीका यह मन्दिर दिल्ली-मथुरा 'बाई-पास' तथा मथुरा गोवर्धन सड़क के किनारे बना हुआ है। क्षेत्रपर मन्दिरके तीन ओर एक विशाल धर्मशाला है, जिसमें ५० कमरे हैं। सामने मानस्तम्भ है। सन् १९२९ में चारित्रचक्रवर्ती आचार्य शान्तिसागरजीका मुनि-संघ दक्षिणसे तीर्थराज सम्मेदशिखरजीकी ओर बिहार करता हुआ यहाँ पधारा था। उस समय ही यह धर्मशाला और मानस्तम्भ बने थे। उस समय आचार्य संघके आगमनके उपलक्ष्यमें यहाँ एक विशाल मेला भी भरा था । भगवान् जिनेन्द्रदेवकी रथयात्रा भी निकली थी। इस निमित्तसे भगवान्का बिहार सारे शहरमें हुआ था। इसके बाद ऐसा विशाल मेला और रथयात्रा क्षुल्लक गणेशप्रसादजी वर्णीके चौरासी आगमनके उपलक्ष्यमें हुआ था। सन् १९६० में मानस्तम्भकी प्रतिमाओंकी पंच कल्याणक प्रतिष्ठाके अवसरपर आचार्यरत्न श्री देशभूषणजी महाराज और उनके संघके अतिरिक्त बाहरसे हजारों व्यक्ति पधारे थे। इन सभी अवसरोपर शहरके मुख्य-मुख्य बाजारोसे रथयात्रा निकली थी। क्षेत्रके निकट ही राधानगर और कृष्णानगर नामसे शरणार्थी बस्तियाँ बनी हुई हैं। . राधानगरमें ऋषभदेव दि. जैन ब्रह्मचर्याश्रम ( गुरुकुल ), ऋषभ जैन इण्टर कालेज, भारतवर्षीय दिगम्बर जैन संघ और साप्ताहिक जैन सन्देशका कार्यालय है। __ इस स्थानका नाम चौरासी क्यों पड़ा, इसका कोई तर्कसंगत कारण खोजनेपर भी नहीं मिल सका। मथुराके जैन मन्दिर ___मथुरा शहरमें चार दिगम्बर जैन मन्दिर और एक चैत्यालय है। चौरासी क्षेत्र स्थित मन्दिरके अतिरिक्त घियामण्डी, घाटी और जयसिंहपुरामें मन्दिर हैं तथा सेठजीकी हवेलीमें एक चैत्यालय है । एक दिगम्बर जैन मन्दिर वृन्दावनमें है जो मथुरा शहरसे प्रायः चार मील है। घियामण्डीमें दिगम्बर जैन धर्मशाला भी है। दैवी अतिशय चौरासी क्षेत्रपर स्थित मन्दिरमें कभी-कभी दैवी अतिशय भी हो जाते हैं। कहा जाता है कि सन् १९४६ में यहाँ लगातार सात दिन तक केशरकी वर्षा होती रही। शहर तथा बाहरके हजारों व्यक्तियोंने इस दैवी चमत्कारको अत्यन्त आश्चर्यके साथ देखा था । गर्भगृह, बरामदे, चौक, छत, दीवारें, ऊपर-नीचे सर्वत्र केशर ही केशर दिखाई पड़ती थी। कभी-कभी तो पूजा करनेवालोंके कपड़े और सामग्री केशरमें रँग जाते थे। सारा मन्दिर केशरकी सुगन्धिसे महकता रहता था। यह चमत्कार केवल मन्दिरकी मुख्य भूमि तक ही सीमित था। हिन्दू तीर्थ मथुरा नारायण श्रीकृष्णकी लीलाभूमि रहा है। यह हिन्दुओंका प्रसिद्ध तीर्थ है। यहाँ और आसपासके बहुतसे स्थानोंपर हिन्दू जनता दर्शनोंके लिए जाती है। जैसे कृष्ण जन्मभूमि, द्वारकाधीशजीका मन्दिर, वृन्दावनमें रंगजीका मन्दिर, बाँकेविहारीजीका मन्दिर। इसके अतिरिक्त हिन्दू लोग गोकुल, नन्दगाँव, बरसाना, दाऊजी, गोवर्धन, राधाकुण्ड आदिको जो श्रीकृष्णसे किसी भी रूपमें सम्बन्धित रहे हैं, तीर्थ मानते हैं और श्रद्धाके साथ वहाँकी यात्रा करते हैं।
SR No.090096
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1974
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size16 MB
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