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________________ भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ भुजावाला है । हाथों में ढाल, धनुष, दण्ड, कमल, तलवार, बाण और नागपाश । एक हाथ वरद मुद्रा है । अपराजिता देवी - हरित वर्णवाली, अष्टापदकी सवारी करनेवाली और चार भुजावाली है । हाथोंमें ढाल, फल और तलवार हैं। एक हाथ वरद मुद्रामें है । २०. मुनिसुव्रतनाथ -- वरुण यक्ष और बहुरूपिणी देवी यक्षी । १८ वरुण यक्ष - सफेद वर्णवाला, वृषभकी सवारी करनेवाला, जटाओंका मुकुट धारण किये हुए, तीन नेत्रवाला, आठ मुख और चार भुजाओंवाला है । बायें हाथों में ढाल तथा फल और दायें एक हाथमें तलवार और दूसरा हाथ वरद मुद्रामें है । बहुरूपिणी देवी ( सुगन्धिनी ) - पीले वर्णवाली, काले सर्पकी सवारी करनेवाली और चार भुजावाली है । हाथों में ढाल, फल और तलवार तथा एक हाथ वरद मुद्रामें है । २१. नमिनाथ - भृकुटि यक्ष और चामुण्डा ( कुसुममालिनी ) यक्षी । भृकुटि यक्ष - लाल वर्णवाला, वृषभकी सवारी करनेवाला, चार मुख और आठ भुजावाला । हाथोंमें ढाल, तलवार, धनुष, वाण, अंकुश, कमल और चक्र तथा एक हाथ वरद मुद्रामें है । चामुण्डा ( कुसुममालिनी ) - हरितवर्ण, मकरवाहिनी और चार मुखवाली है । हाथों में दण्ड, ढाल, माला और तलवार लिये हुए है । २२. नेमिनाथ - गोमेद यक्ष और आम्रा ( कूष्माण्डिनी ) यक्षी । गोमेद यक्ष - कृष्ण वर्ण, तीन मुखवाला, पुष्पके आसनपर आसीन, मनुष्यकी सवारी करनेवाला और छह हाथवाला है । हाथोंमें मुद्गर, फरसी, दण्ड, फल, वज्र और वरदान मुद्रा धारण किये हुए है । आम्रा ( कूष्माण्डिनी ) – हरितवर्ण, सिंहवाहिनी, आम्र छायामें रहनेवाली और दो भुजावाली है। बायें हाथमें आमकी डाली और दायें हाथमें पुत्र शुभंकरको लिये हुए है । इस देवीको अब भी कहते हैं । अम्बा, २३. पार्श्वनाथ - धरणेन्द्र यक्ष और पद्मावती यक्षी । धरणेन्द्र यक्ष- आसमानी वर्णवाला, कछुएकी सवारी करनेवाला, मुकुटमें सर्प-चिह्न सहित और चार भुजावाला । ऊपरवाले हाथों में सर्प हैं तथा नीचेके बायें हाथमें नागपाश और दायाँ हाथ वरद मुद्रामें है । पद्मावती–लाल वर्णवाली, कमल के आसनवाली और चार भुजावाली है । हाथोंमें अंकुश, माला और कमल हैं । एक हाथ वरद मुद्रामें है । यह देवी छह और चौबीस भुजावाली भी है । छह हाथों में पाश, तलवार, माला, बाल चन्द्रमा, गदा और मूसल लिये हुए है। चौबीस हाथों में क्रमशः शंख, तलवार, चक्र, बाल चन्द्रमा, सफेद कमल, लाल कमल, धनुष, शक्ति, पाश, अंकुश, घण्टा, बाण, मूसल, ढाल, त्रिशूल, फरसी, माला, वज्र, माला, फल, गदा, पान, नवीन पानका गुच्छ और वरदान मुद्रा धारण किये हुए है । २४. महावीर - मातंग यक्ष और सिद्धायिका यक्षी । मातंग यक्ष - हरितवर्ण, हाथीकी सवारी करनेवाला, मस्तकके ऊपर धर्मचक्र धारण करने १. 'आशाधर प्रतिष्ठापाठ' में कुक्कुट सर्प इसका वाहन बताया है । और कमलके आसनपर बैठी हुई बताया है । उसके सिरके ऊपर तीन फणयुक्त सर्प हैं । 'पद्मावती कल्प' में चार भुजाओंमें पाश, फल, वरदान और अंकुश बताया है ।
SR No.090096
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1974
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size16 MB
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