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उत्तरप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ गान्धारी ( विद्युन्मालिनी ) यक्षी-नीला वर्ण, मगरकी सवारी, चार भुजावाली । बायें हाथोंमें कमल और मूसल हैं। दायें एक हाथमें कमल और दूसरा हाथ वरद मुद्रामें है।
१३. विमलनाथ-चतुर्मुख यक्ष और वैरोटी देवी यक्षी।
चतुर्मुख यक्ष-हरित वर्ण, मोरका वाहन, चार मुख और बारह भुजावाला । ऊपरके आठ हाथोंमें फरसी और चार हाथोंमें तलवार, माला, ढाल और दण्ड रहते हैं।
वैरोटी देवी-हरित वर्ण, साँपकी सवारी, चार भुजावाली। ऊपरके दो हाथोंमें सर्प तथा नीचेके दायें हाथमें बाण और बायेंमें धनुष है।
१४. अनन्तनाथ-पाताल यक्ष और अनन्तमती (विजृम्भिणी ) यक्षी।
पाताल यज्ञ-लाल वर्ण, मगरकी सवारी, तीन मुख, मस्तकके ऊपर साँपके तीन फण विद्यमान हैं । छह भुजाएँ हैं। दायें हाथोंमें अंकुश, त्रिशूल तथा कमल हैं तथा बायें हाथोंमें चाबुक, हल और फल हैं।
___ अनन्तमती ( विजृम्भिणी ) स्वर्ण वर्ण, हंसका वाहन, चार भुजाएँ। हाथोंमें धनुष, बिजौरा, बाण और वरदान मुद्रा धारण किये है।
१५. धर्मनाथ-किन्नर यक्ष, मानसी (परभृता ) यक्षी।
किन्नर यक्ष-मूंगे जैसा वर्ण, मछलीका वाहन, तीन मुख और छह भुजाओंवाला। बायें हाथोंमें चक्र, वन और अंकुश हैं तथा दायें हाथ मुद्गर, माला और वरद मुद्रा सहित हैं।
___ मानसी (परभृता ) मूंगे जैसा वर्ण, बाघका वाहन, छह भुजाएँ । हाथोंमें कमल, धनुष, अंकुश, बाण और कमल हैं । एक हाथ वरद मुद्रामें है।
१६. शान्तिनाथ-गरुड़ यक्ष, महामानसी ( कन्दर्पा ) यक्षी। ___ गरुड़ यक्ष-कृष्ण वर्ण, सूअरकी सवारी, वक्र मुख और चार भुजावाला। नीचेके दोनों हाथोंमें कमल और फल और ऊपरके दोनों हाथोंमें वज्र और चक्र हैं।
महामानसी ( कन्दर्पा )-स्वर्ण वर्णवाली, मोरकी सवारी करनेवाली, चार भुजावाली है। हाथ क्रमशः चक्र, फल और वरद मुद्रा धारण किये हैं।
१७. कुन्थुनाथ-गन्धर्व यक्ष और जया ( गान्धारी ) यक्षी।
गन्धर्व यक्ष-कृष्ण वर्ण, पक्षीका वाहन, चार भुजाएँ हैं। ऊपरके दोनों हाथोंमें नागपाश हैं और नीचेके हाथोंमें धनुष और बाण हैं।
जया ( गान्धारी)-स्वर्ण वर्ण, काले सूअरकी सवारी, चार भुजाएँ हैं। हाथोंमें चक्र, शंख और तलवार हैं। एक हाथ वरद मुद्रामें है।
१८. अरनाथ-खेन्द्र यक्ष और तारावती ( काली ) यक्षी।
खेन्द्र यक्ष-कृष्ण वर्ण. शंखकी सवारी. तीन नेत्र. छह मख और चार भजावाला है। बायें हाथोंमें धनुष, वज्र, पाश, मुद्गर और अंकुश हैं तथा एक हाथ वरद मुद्रामें है। दायें हाथोंमें बाण, कमल, बिजौरा और मोटी अक्षमाला तथा एक हाथ अभय मुद्रा धारण किये हुए है।
तारावती ( काली )-स्वर्ण वर्णवाली, हंसकी सवारी करनेवाली और चार भुजावाली है। हाथोंमें साँप, हिरण और वज्र धारण किये है। एक हाथ वरद मुद्रामें है।
१९. मल्लिनाथ-कुबेर यक्ष और अपराजिता यक्षी।। कुबेर यक्ष–इन्द्रधनुष जैसे वर्णवाला, हाथीकी सवारी करनेवाला, चार मुख और आठ
१. प्रतिष्ठातिलकमें छह मुखवाला लिखा है।