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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ
व्यवस्थाके लिए पुर, ग्राम, खेट, कर्वट, नगर आदिकी व्यवस्था यहीं की। उन्होंने अयोध्यासे चलकर सिद्धार्थक वनमें दीक्षा ली, और छह माह निराहार रहनेके बाद प्रथम आहार राजा श्रेयांस द्वारा हस्तिनापुरमें अक्षय तृतीयाको लिया। पुरिमताल नगर स्थित वटवृक्षके नीचे उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ। इस अक्षय ज्ञानके कारण ही पुरिमतालका नाम प्रयाग हो गया और वह वटवृक्ष अक्षयवट कहलाने लगा।
उनके पुत्र भरतने सम्पूर्ण जनपदों, प्रदेशों और खण्डोंपर विजय प्राप्त कर प्रथम सार्वभौम साम्राज्यकी स्थापना की और बिखरी हुई सम्पूर्ण राजनीतिक इकाइयोंको सूत्रबद्ध करके उनका राजनीतिक केन्द्र अयोध्या बनाया और इस देशको 'भारतवर्ष' नाम दिया। इससे पूर्व इस देशका नाम अजनाभ वर्ष या नाभिखण्ड था। यह नाम नाभिराजके नामपर रखा गया था। भरतने तीर्थकरोंकी प्रतिमाओं और स्तूपोंका निर्माण भी प्रारम्भमें यहीं कराया।
इसी कालमें स्वयंवर प्रथाका प्रारम्भ काशी नरेश अकम्पनकी पुत्री सुलोचनाके स्वयंवर द्वारा काशीमें हुआ।
उत्तरप्रदेशके जनपद-भगवज्जिनसेनके आदिपराणके अनुसार भगवान ऋषभदेवने भारतको ५२ जनपदोंमें विभाजित किया था। उन जनपदोंके नाम इस प्रकार हैं:
सुकोशल, अवन्ती, पुण्ड्र, उण्ड, अश्मक, रम्यक, कुरु, काशी, कलिंग, अंग, बंग, सुम, समुद्रक, काश्मीर, उशीनर, आनर्त, वत्स, पंचाल, मालव, दशार्ण, कच्छ, मगध, विदर्भ, कुरुजांगल, करहाट, महाराष्ट्र, सुराष्ट्र, आभीर, कोंकण, वनवास, आन्ध्र, कर्णाट, कोशल, चोल, केरल, दारु, अभिसार, सौवीर, शूरसेन, अपरान्तक, विदेह, सिन्धु, गान्धार, यवन, चेदि, पल्लव, काम्बोज, आरट्ट, बालीक, तुरुष्क, शक और कैकय ।
इन देशों में से निम्नलिखित देश उत्तरप्रदेशको सीमाके अन्तर्गत हैं : १. कुरुजांगल जनपद-इसकी राजधानी हस्तिनापुर थी, जो आजकल मेरठ जिले में है। २. पंचाल जनपद-पश्चाद्वर्ती कालमें इस जनपदके दो भाग हो गये थे-उत्तर पंचाल और
दक्षिण पंचाल । उत्तर पंचालकी राजधानी अहिच्छत्र थी, जो आजकल बरेली जिलेमें है। दक्षिण पंचालकी राजधानी कम्पिला थी, जो आजकल फर्रुखाबाद जिलेमें है। ३. कोशल जनपद-पश्चाद्वर्ती कालमें इस जनपदके भी दो भाग हो गये थे-उत्तर कोशल
और दक्षिण कोशल। उत्तर-कोशलकी राजधानी श्रावस्ती थी जो वर्तमान बहराइच जिलेमें है।
दक्षिण कोशल-इसकी राजधानी साकेत या अयोध्या थी। आजकल यह फैजाबाद जिलेमें है। ४. वत्स जनपद-इसकी राजधानी कौशाम्बी थी, जो आजकल इलाहाबाद जिलेमें है। ५. काशी जनपद-वर्तमान वाराणसी ही काशी जनपदकी राजधानी थी। ६. शूरसेन जनपद-इसकी राजधानी मथुरा थी।
"भगवान् महावीरसे पहले भारतमें सोलह बड़े राज्य थे जो सोलह महाजनपद कहे जाते थे। वे महाजनपद इस प्रकार थे-मगध, बंग, काशी, कोशल, वज्जि, मल्ल, वत्स, चेदि, कुरु, पंचाल, शरसेन, मत्स्य, अवन्ति, अश्मक, गान्धार और कम्बोज । इन महाजनपदोंमें काशी, कोशल, वत्स, कुरु, पंचाल और शूरसेन जनपद उत्तरप्रदेशमें हैं।
वर्तमान सभ्यताका आदि केन्द्र-वस्तुतः उत्तरप्रदेश भारतवर्षका हृदय है। जैन शास्त्रोंमें इसे मध्यदेश भी कहा गया है। यहीं मानवकी संस्कृति और सभ्यताका बीजारोपण हुआ। कल्पवक्षोंका अन्त होनेपर भगवान् ऋषभदेवके उपदेशसे तत्कालीन जनताने इक्ष-रस और कृषि उद्योगके