________________
भारतके दिगम्बर जैन तीर्थं
२४८
करगुवाँ
यह क्षेत्र सदर झाँसीसे लखनऊ रोडपर साढ़े तीन मील दूर है। तीन मील तक पक्की सड़क है तथा आधा मील कच्चा मार्ग है । यहाँ एक परकोटा बना हुआ है । यहाँ धर्मशाला के कुछ कमरे बने हुए । धर्मशाला के पासमें एक पुरानी मढ़िया बनी हुई है। उसके नीचे एक भयरा ( तलघर ) बना हुआ है । उसमें २० प्रतिमाएँ हैं, जो काफी प्राचीन हैं ।"
पवाजी
यह झाँसी ४९ कि.मी. और ललितपुरसे ४८ कि. मी. है तथा इन दोनों स्थानोंके मध्यवर्ती बसई अथवा तालबेहट स्टेशनसे यह क्षेत्र ८-९ मील है । सड़कपर कड़ेसरा स्थान है जहाँसे यह क्षेत्र सड़कसे उतरकर २ मील पड़ता है। बस और जीप जा सकती है । यह दो पहाड़ियों के बीच में स्थित है । क्षेत्रके पश्चिममें बेतवा नदी बहती है। एक ओर चेलना नदी है । दो पहाड़ियों में से एक सिद्धोंकी पहाड़ी कहलाती है । इसके ऊपर दो मढ़िया बनी हुई हैं । इस पहाड़ीपर प्राचीन कालमें एक जैन मन्दिर था, जिसके अवशेष और कुछ खण्डित मूर्तियाँ पड़ी हुई हैं । लोग इसे नायककी गढ़ी कहते हैं । भोयरेमें ६ जैन मूर्तियाँ हैं। एक मूर्ति यहाँ बावड़ीसे निकली थी । उसपर संवत् २९९ अंकित है । कुछ लोग निर्वाणकाण्डमें आया हुआ पावागिरि सिद्ध क्षेत्र इसी क्षेत्रको मानते हैं । वे कहते हैं कि स्वर्णभद्र आदि मुनि अपने समस्त कर्मोंका नाश करके यहाँ विमुक्त हुए हैं।
क्षेत्रपाल ललितपुर
यह स्थान स्टेशनसे तीन मील है । इसमें एक कम्पाउण्डमें पाँच जैन मन्दिर बने हुए हैं। उनमें से एक भोंयरे में है । भोयरेमें १२ प्रतिमाएँ तीर्थंकरोंकी हैं और ३५ देवी-देवताओंकी प्रतिमाएँ हैं । क्षेत्रपाल धर्मशाला भी बनी हुई है ।
दुधई
यह देवगढ़ से ३० कि. मी. और ललितपुरसे वाया जाखलौन लगभग ५० कि. मी. है। इस दुधई गाँवका पुराना नाम 'महोली' है । यहाँ तीन मन्दिरोंके खण्डहर पड़े हुए हैं। ये सभी पुरातत्त्व विभाग के अन्तर्गत हैं । कुछ मूर्तियाँ अच्छी दशामें हैं तथा ६६ मूर्तियाँ खण्डित दशामें पड़ी हुई हैं। दो मूर्तियाँ क्रमशः १४ || फुट और ११ फुट अवगाहना की हैं। ये सब खुलेमें पड़ी हुई हैं । कुछ मूर्तियोंके सिर काट डाले गये हैं । दुधईका नाम 'नेमिनाथकी बरात' भी है ।
चाँदपुर- जहाजपुर
ललितपुर- बीना लाइनपर धौर्रा स्टेशन है। स्टेशनसे आधा मील दूर जंगलमें दोनों क्षेत्र हैं। रेलवे लाइनके पूर्व में चाँदपुर और पश्चिममें जहाजपुर है । इन स्थानोंपर और आसपास में बहुत-सी मूर्तियाँ पड़ी हुई हैं। एक कोटके भीतर तीन मन्दिर हैं । इनमें १७ फुट और १२ फुटकी भी मूर्तियाँ मौजूद हैं। रेलवे लाइनकी दूसरी ओर भी भग्न मन्दिर और मूर्तियाँ बहुत हैं ।
बानपुर
यह क्षेत्र ललितपुरसे महारौनी होते हुए ५३ कि. मी. है। यहाँ गाँव के बाहर क्षेत्रपालका मन्दिर है । मन्दिरके चारों ओर कोट है। कोटके अन्दर ५ मन्दिर हैं । इनमें एक सहस्रकूट चैत्यालय है, जो लगभग एक हजार वर्ष प्राचीन है ।