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परिशिष्ट-३
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मदनपुर
यह स्थान ललितपुरसे बरौदिया कलाँ होकर ७५ कि. मी. है, रोड पक्का है । ललितपुर से महरौनी होकर ८३ कि. मी. है, जिसमें ६२ कि. मी. पक्की सड़क है । आगेका २१ कि. मी. जो कच्चा रास्ता था, अब पक्का हो गया है। यह क्षेत्र एक पहाड़ीपर है । ललितपुरसे महरौनी, मड़ावरा होकर मदनपुर तक बसें प्रतिदिन आती-जाती हैं। पहाड़ीके तीन कोनोंपर तीन मन्दिर बने हुए हैं। बड़े मन्दिर में एक १२ फुटकी तथा दो आठ-आठ फुटकी मूर्तियाँ हैं । तथा इनसे छोटी १९ मूर्तियाँ हैं । यह स्थान पंचमढ़ी कहलाता है । उत्तर-पश्चिमकी ओर कोने में कुछ मन्दिर मिलते हैं । यह स्थान चम्पोमढ़ी कहलाता है । यहाँ भी बीचका मन्दिर अच्छी हालत में है । तीसरे कोने में बीचका मन्दिर ठीक दशामें है, शेष ४ मन्दिर भग्नदशा में हैं । इस स्थानको मोदीमठ कहते हैं । पहाड़ीपर अनेक जैन मूर्तियाँ खण्डित दशा में पड़ी हैं । पासमें एक नदी भी है, वहाँ भी जैन मूर्तियाँ मिलती हैं ।
बालाबेहट
ललितपुरसे मालथौन होकर यह क्षेत्र ५३ कि. मी. है, जिसमें ४० कि. मी. पक्का रोड है तथा १३ कि. मी. कच्चा मार्ग है । यह अतिशय क्षेत्र है । यहाँ मुख्य प्रतिमा काले पाषाणकी सवा फुट अवगाहनाकी भगवान् पार्श्वनाथकी है। यह साँवलिया पार्श्वनाथके नामसे प्रसिद्ध है । इसके अतिशयोंकी काफी किंवदन्तियाँ प्रचलित हैं । यहाँ धर्मशाला भी है ।
सेरोन
यह क्षेत्र क्षेत्रपाल ललितपुरसे २१ कि. मी. है। यहाँ एक परकोटेके भीतर ६ मन्दिर हैं । यह क्षेत्र जंगलमें है। क्षेत्रपर लगभग डेढ़ सौ मूर्तियाँ हैं । लगभग एक मील दूर मन्दिरों और मूर्तियों के भग्नावशेष पड़े हुए हैं। एक तालाब में भी कुछ मूर्तियाँ पड़ी हैं ।
सीरौन ललितपुरसे मड़ावरा होकर ७४ कि. मूर्ति है । किन्तु जंगलमें तथा गाँवके मकानों में
मी. है। यहाँ एक भग्न मन्दिर है, जिसमें एक बहुत-सी मूर्तियाँ हैं ।
आवश्यक सूचना
जो लोग उत्तरप्रदेशके तीर्थोंकी यात्रा करके बिहारके तीर्थोंकी यात्राके लिए जाना चाहें, उन्हें देवरिया से छपरा होते हुए सीधे वैशाली निकल जाना चाहिए। वे देवगढ़ और उसके निकटवर्ती और तीर्थोंकी यात्रा बादमें कर सकते हैं ।