SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 283
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट-३ २४५ तक बसें भी चलती हैं। पच्छिम सरीरासे यह क्षेत्र लगभग पाँच कि. मी. है, मार्ग कच्चा है। यहींपर भगवान् पद्मप्रभुने दीक्षा ली थी और यहीं उन्हें केवलज्ञान हुआ था। नारायण श्रीकृष्णका निधन जरत्कुमारके बाणसे यहींपर हुआ था। यहाँ पद्मप्रभु भगवान्की मूर्तिमें अद्भुत चमत्कार है। वह मूर्ति बादामी वर्णकी है। किन्तु जैसे-जैसे सूर्य मध्याह्नकी ओर चढ़ता है, मूर्तिका रंग रक्तवर्ण होता जाता है फिर घटते घटते शामको वह अपने असली रूपमें आ जाती है। दूसरा चमत्कार यह है कि यहाँ केशरको वर्षा होती है। विशेषतः कार्तिक सुदी १३ और चैत्र सुदी १५ को खूब केशर बरसती है । यहाँकी मूर्तियाँ बहुत प्राचीन हैं। लखनऊ पभोसासे वापस इलाहाबाद आकर वहाँसे लखनऊ जाना चाहिए। इलाहाबादसे लखनऊ सीधी लाइन है । यदि लखनऊ न जाना हो तो इलाहाबादसे बस और ट्रेनें सीधी अयोध्या जाती हैं । इलाहाबादसे अयोध्या १६० कि. मी. है। लखनऊमें चारबाग स्टेशनके पास ही मुन्नेलाल कागजीकी धर्मशाला है। धर्मशालामें मन्दिर भी है। इसके अतिरिक्त चौक, यहियागंज, डालीगंजके मन्दिर भी दर्शनीय हैं। दर्शनीय स्थानोंमें म्यूजियम, ( यहाँ बहुत जैन सामग्री रखी हुई है ), चिड़ियाघर. छोटा-बड़ा इमामबाड़ा आदि दर्शनीय हैं। अयोध्या ___ लखनऊसे अयोध्या १३५ कि. मी. है। रायगंज मुहल्ले में बड़ी मूर्ति भगवान् ऋषभदेवकी विराजमान है । मन्दिरके आगे उद्यान और धर्मशाला है। कटरा मुहल्लेमें पुराना मन्दिर है और धर्मशाला है। स्टेशनसे दोनों जगहके लिए रिक्शे बराबर मिलते हैं। अयोध्याकी रचना देवोंने की थी। यहाँ ऋषभदेव, अजितनाथ, अभिनन्दननाथ, सुमतिनाथ और अनन्तनाथ इन पाँच तीर्थंकरोंके गर्भ, जन्म, तप और केवलज्ञान कल्याणक हुए थे। केवल ऋषभदेवका ज्ञानकल्याणक प्रयागमें हुआ था। इन पाँचों तीर्थंकरोंकी टोंकें बनी हुई हैं। कटरा मुहल्लामें सुमतिनाथकी, सरयू नदीके किनारे अनन्तनाथकी, कटरा स्कूलके पास अभिनन्दननाथकी, इसके पास ही मुनि शीतलनाथकी, बक्सरिया टोलामें ऋषभदेवकी, और बेगमपुरामें अजितनाथकी टोंके हैं। चक्रवर्ती भरत, जिनके नामपर इस देशका नाम भारतवर्ष पड़ा, भगवान् रामचन्द्र और सीताकी क्रीड़ास्थली यही नगरी थी । हिन्दू, बौद्ध, सिख और मुसलमान सभी इसको अपना तीर्थ मानते हैं। यहाँ चैत्रकृष्णा ७ से ९ तक मेला होता है। रतनपुरी अयोध्यासे रतनपुरी २४ कि. मी. है। बसें मिलती हैं। यह फैजाबाद-बाराबंकी रोडके किनारेपर सड़कसे २ फलांगपर रौनाही गाँव है। गाँवके अन्दर दिगम्बर समाजके दो मन्दिर हैं। यहाँ भगवान् धर्मनाथके गर्भ, जन्म, दीक्षा और ज्ञानकल्याणक हुए थे तथा उन्होंने यहींपर धर्मचक्र प्रवर्तन किया था। यहाँ छोटी-सी धर्मशाला भी है। त्रिलोकपुर अयोध्यासे बाराबंकी सड़क मार्ग द्वारा १६७ कि० मी० है। बस और रेल जाती हैं। बाराबंकीसे बस या टैम्पू द्वारा विन्दौरा नहर १९ कि. मी. तक पक्की सड़क है। वहाँसे बायीं
SR No.090096
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1974
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy