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________________ २४४ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ मन्दिर दर्शनीय है। यहाँ धर्मशाला भी है । ठहरने आदिको अच्छी सुविधा है। शहर में चन्दाप्रभु मन्दिर में भगवान् चन्द्रप्रभकी स्फटिक प्रतिमा अत्यन्त सुन्दर है। स्फटिककी इतनी बड़ी और सुन्दर मूर्ति सम्भवतः कहीं नहीं है। यह शहर चूड़ियोंके व्यवसायके लिए सारे देशमें प्रसिद्ध है। चन्दवार फीरोजाबादसे चन्दवार ६ कि. मी. है। मार्ग कच्चा है। केवल जीप द्वारा जाना ही सुविधाजनक है और वह भी किसी परिचितको साथ ले जाकर । यहाँ केवल पाँच प्रतिमाएँ हैं, जो लगभग एक हजार वर्ष प्राचीन हैं। मरसलगंज चन्दवारसे वापस फीरोजाबाद आकर मरसलगंज जाना चाहिए। फीरोजाबादसे क्षेत्र २२ कि. मी. है। फरिहा-कोटला-फीरोजाबाद, टूंडला-एटा रोड अथवा फरिहा-मैनपरी रोडकी किसी बससे फरिहा उतरना चाहिए। फरिहासे क्षेत्र ६ फलांग है। यह अतिशय क्षेत्र है। यहाँ प्रति तीसरे वर्ष मेला भरता है। कम्पिला ____ फीरोजाबादसे बस द्वारा फर्रुखाबाद अथवा रेल द्वारा कायमगंज जाना चाहिए। फीरोजाबादसे कायमगंज १५७ कि. मी. है। कायमगंजसे कम्पिला ६ कि मी. है। पक्की सड़क है। बस और इक्के बराबर मिलते हैं। यहाँ भगवान् विमलनाथके गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान कल्याणक हुए थे। राजा द्रुपदकी पुत्री द्रौपदीका स्वयंवर यहीं हुआ था। यहाँका वार्षिक मेला चैत्र कृष्णा अमावस्यासे चैत्र शुक्ला तृतीया तक होता है। इलाहाबाद ___कायमगंजसे रेल द्वारा कानपुर जाना चाहिए जो १७० कि. मी. है। तथा कानपुरसे इलाहाबाद रेल मार्ग द्वारा १९२ कि. मी. है। इलाहाबादका प्राचीन नाम पुरिमताल था। भगवान् ऋषभदेवने यहाँ एक वटवृक्षके नीचे बैठकर तपस्या की और वहीं केवलज्ञान प्राप्त हो गया। जिससे उस वटवृक्षको अक्षयवट कहने लगे तथा परिमतालका नाम प्रयाग हो गया। वह अक्षयवट (वंश परम्परासे ) किलेके भीतर अबतक मौजूद है। भगवान्का प्रथम समवसरण भी यहीं लगा था और उनका प्रथम उपदेश यहीं हुआ था। यहाँके संग्रहालयमें कई जैन मूर्तियाँ हैं जो इतिहास और कलाकी दृष्टिसे महत्त्वपूर्ण हैं । यहाँ संगम, नेहरू भवन आदि दर्शनीय हैं । कौशाम्बी इलाहाबादसे बस द्वारा कौशाम्बी ६० कि. मी. दूर है। यहाँपर भगवान् पद्मप्रभुके गर्भ और जन्म कल्याणक हुए थे। चन्दनबालाने यहीं भगवान् महावीरको आहार दिया था। यहाँ एक मन्दिर और धर्मशाला है। बस कौशाम्बीके रेस्ट हाउस तक जाती है। यहाँसे लगभग तीन कि. मी. कच्चे मार्गसे क्षेत्र तक पहुँच सकते हैं। पभोसा यह क्षेत्र यमुनाके तटपर कौशाम्बीसे प्रायः १० कि. मी. दूर एक छोटी-सी पहाड़ीपर है। कौशाम्बीसे यमुनाके रास्ते नाव द्वारा लगभग १०कि. मी. है। अकिलसरायसे पच्छिम सरीरा
SR No.090096
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1974
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size16 MB
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