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________________ परिशिष्ट-३ २४३ वहीं पर अपना प्रथम उपदेश दिया । अहिच्छत्रमें भगवान् पार्श्वनाथको मूलनायक प्रतिमा है, जिसे 'तिखालवाले बाबा' कहा जाता है। उनके चमत्कारोंकी अनेक किंवदन्तियाँ प्रचलित हैं । अहिच्छत्रसे मिले हुए रामनगरके मन्दिरमें भगवान् पार्श्वनाथकी भव्य प्रतिमा है। कहा जाता है कि यहीं पर भगवान्‌के फणपर पात्रकेशरी नामक ब्राह्मण विद्वान्को अपनी शंकाका उत्तर लिखा हुआ मिला था, जिससे उन्होंने जैनधर्मं स्वीकार कर लिया और वे प्रसिद्ध आचार्य पात्रकेशरी के रूपमें विख्यात हुए । चौरासी मथुरा आँवला स्टेशनसे अलीगढ़ - हाथरस होते हुए मथुरा आना चाहिए । मथुरा जंकशन से ५ कि. मी. चौरासी सिद्धक्षेत्र है । यहाँसे अन्तिम केवली जम्बूस्वामीको निर्वाण प्राप्त हुआ था । विद्युच्चर आदि ५०० मुनियोंपर यहीं पर भयानक उपसर्गं हुआ था । मनु आदि सप्तर्षियों के प्रभावसे नगर में फैला हुआ मरी रोग शान्त हुआ था । यहाँ कंकाली टीले तथा अन्य स्थानोंसे अनेक जैन मूर्तियाँ, आयागपट्ट आदि निकले थे । उनमें से कुछ सामग्री यहाँके अजायबघर में सुरक्षित है । यह सामग्री दर्शनीय है । क्षेत्रके अतिरिक्त घियामण्डी, घाटी, जयसिंहपुरामें भी मन्दिर हैं । सेठजीकी हवेलीमें एक चैत्यालय है । एक मन्दिर वृन्दावन में है । क्षेत्रपर धर्मशाला बनी हुई है । घियामण्डी में भी एक जैनधर्मशाला है । आगरा मथुरासे रेल या बस द्वारा आगरा आना चाहिए । ठहरनेके लिए मोतीकटरा दिगम्बर जैन बड़ा मन्दिरकी धर्मशाला और कचौड़ा बाजार बेलनगंजकी जैन धर्मशाला अधिक सुविधाजनक हैं | आगरा में ३६ दिगम्बर जैन मन्दिर हैं । उनमें मोतीकटरा, बेलनगंज, धूलियागंज, राजामण्डी, नई मण्डी और छीपीटोला के मन्दिर बड़े हैं । रोशन मुहल्लेमें शीतलनाथजीका मन्दिर है । इस मन्दिर पर श्वेताम्बर समाजका अधिकार है । केवल भगवान् शीतलनाथकी मूर्ति ही दिगम्बर है, शेष सब मूर्तियाँ श्वेताम्बर हैं । शीतलनाथ स्वामीका अभिषेक प्रातः छह बजे होता है । उस समय मूर्ति अपने असली रूपमें होती है । यह मूर्ति अत्यन्त चित्ताकर्षक और अतिशयसम्पन्न है । ताजगंजके मन्दिरमें चिन्तामणि पार्श्वनाथकी वह मूर्ति विराजमान है, जिसकी पूजा कविवर बनारसीदास आदि करते थे । यहाँ ताजमहल, लाल किला, सिकन्दरा दर्शनीय है । फतहपुर सीकरी भी दर्शनीय है जो आगरासे ११ कि. मी. है । शौरीपुर आगरासे बस द्वारा बटेश्वर जाना चाहिए। आगरासे बटेश्वर ७० कि. मी. है। यहाँ जैन मन्दिर और धर्मशाला है । इस मन्दिरकी दो मंजिलें जमुनाके अन्दर हैं । इसमें भगवान् अजितनाथ - की मूर्ति अत्यन्त भव्य है । - बटेश्वर से शौरीपुर लगभग ४ कि. मी. है। मार्ग कच्चा है । जीप, PSI सकती है । यहाँपर तेईसवें तीर्थंकर भगवान् नेमिनाथके गर्भं और जन्म-कल्याणक मनाये ये थे । प्रतिष्ठमुनिको यहाँ केवलज्ञान हुआ था। मुनि धन्यको यहीं मोक्ष प्राप्त हुआ। मुनि अलसत्कुमार और यम मुनिको भी यहाँसे निर्वाण हुआ था । फीरोजाबाद बटेश्वरसे बस द्वारा फीरोजाबाद जाना चाहिए । यहाँ सेठ छदामीलालजी द्वारा निर्मित ३२
SR No.090096
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1974
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size16 MB
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