________________
२३४
भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ इस कथा में पोदनपुरको विजयाध पर्वतके निकट बताया है।
एक अन्य कथानक इस प्रकार मिलता है। द्वारकानगरीमें वासुदेव कृष्णकी महारानी गन्धर्वदत्ताका पुत्र गजकुमार था। पोदनपुरनरेश अपराजितको पराजित करनेके लिए श्रीकृष्णने कई बार प्रयत्न किया, किन्तु वह अपराजित ही रहा। तब गजकुमार सेना लेकर अपराजितके नगर तक पहुँचा । दोनों सेनाओंमें भयानक युद्ध हुआ। और राजकुमारने अपराजित को पराजित कर दिया । नारायण श्रीकृष्णने उसका समुचित सम्मान किया।
किन्तु विजय पाकर गजकुमार उच्छृखल हो गया। वह स्त्रियोंका शीलभंग करने लगा। एक दिन भगवान् नेमिनाथका समवसरण द्वारकानगरीमें आया। भगवान्का उपदेश सुनकर गजकूमारको वैराग्य हो गया। उसने भगवान्के निकट मुनिदीक्षा ले ली। फिर बिहार करते हए गजकुमार मुनि गिरनार पर्वतपर पहुँचे। वहाँ वे ध्यान लगाकर खड़े हो गये। वहाँ पांसुल नामक व्यक्तिने उनपर घोर उपसर्ग किये। सन्धियोंमें कीलें ठोंक दी। किन्तु फिर भी मनिराज ध्यानसे विचलित नहीं हुए। उन्होंने समाधि-मरण द्वारा शरीर त्यागकर स्वर्ग प्राप्त किया।
-आराधना कथाकोष, कथा ५९ एक और घटनाके अनुसार अयोध्यानरेश त्रिदशंजय नरेशके पुत्र जितशत्रुका विवाह पोदनपुरनरेश व्यानन्दकी पुत्री विजयाके साथ हुआ। जिनकी पवित्र कुक्षिसे द्वितीय तीर्थंकर भगवान् अजितनाथका जन्म हुआ।
ऐसा भी उल्लेख है कि भगवान् पार्श्वनाथ अपने पूर्वभवमें पोदनपुरके राजा अरविन्दके पूरोहित विश्वभतिके पुत्र मरुभति थे। उनका भाई कमठ था जो दृष्ट प्रकृतिका था। मरुभतिकी अनुपस्थितिमें उसने मरुभूतिकी स्त्रीके साथ दुराचार किया। ज्ञात होते ही राजाने कमठको कठोर दण्ड दिया और नगरसे निकाल दिया। तब कमठ पोदनपुरसे चलकर भूताचलपर पहुँचा। वहाँ एक तापसाश्रममें कुतप करने लगा।
इस प्रकार अनेक पौराणिक घटनाओंका सम्बन्ध पोदनपुरके साथ रहा है। किन्तु इतने प्रसिद्ध और समृद्ध नगरका विनाश किन कारणोंसे और किस कालमें हो गया अथवा यह प्रकृतिके प्रकोपसे नष्ट हो गया, इस सम्बन्धमें कोई स्पष्ट उल्लेख प्राचीन साहित्यमें अथवा इतिहास ग्रन्थोंमें कहीं भी देखनेमें नहीं आया। तक्षशिला
तक्षशिला पाकिस्तानमें वर्तमान रावलपिण्डी जिलेमें था। कनिंघमके मतानुसार यह 'कलाका सराय' से एक मील, कटक और रावलपिण्डीके बीच में और शाहधेरीके निकट था। आजकल यहाँ इस प्राचीन नगरीके खण्डहर पड़े हुए हैं। इन खण्डहरोंमें जो मीरगाँवके नीचे है, वे तक्षशिलाको सबसे पुरानी बस्तीके हैं।
सैण्टमार्टिन इसे हसन अब्दुल, जो शाहधेरीसे आठ मील दूर है, के उत्तर-पश्चिममें आठ मील दूर बताता है।
इस नगरकी स्थापना, जैसा कि पहले बताया जा चुका है, श्री रामचन्द्रके भ्राता भरतने अपने पुत्र तक्षके नामपर की थी। तक्ष यहाँका राजा बनाया गया था।
कथा सरित्सागरके अनुसार तक्षशिला वितस्ता ( झेलम ) के तटपर अवस्थित थी।
१. रामायण, उत्तरकाण्ड, ११४, २०१ ।