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________________ २३२ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ गिरिव्रज थी, जिसकी पहचान जेहलम नदीके किनारे पर बसे हुए आधुनिक गिरजाक (जलालपुर) बस्तीसे की गयी है। भरतके पुत्र ( रामायणके अनुसार ) तक्ष और पुष्कर थे। उन दोनोंने गान्धार देशको जीता और दोनोंने अपने नामपर तक्षशिला और पुष्करावती नामक नगरियाँ बसायीं। तक्षशिला नगरी बड़े महत्त्वपूर्ण स्थानपर बसायी थी। वह पंजाबसे काश्मीर तथा पंजाबसे कपिश देश जानेवाले मार्गपर नियन्त्रण रखती थी। पुष्करावती नगरी कुभा ( काबुल ) और सुवास्तु (स्वात ) नदीके संगमपर थी। उत्तर भारतके मैदानसे कपिश और उड्डीयान (स्वातकी उत्तरी दून) जानेवाला रास्ता पुष्करोवती होकर जाता था। ___इस विवरणसे स्पष्ट है कि तक्षशिलाकी स्थापना श्रीरामचन्द्रके कालमें या उनके कुछ समय पश्चात् हई थी। ऋषभदेवके कालमें तक्षशिला नामकी कोई नगरी नहीं थी। ऐसी स्थितिमें श्वेताम्बर ग्रन्थोंमें बाहुबलीकी नगरीका नाम तक्षशिला किस कारण दिया, यह अवश्य विचारणीय है। ऐसा प्रतीत होता है कि जिस कालमें आगम ग्रन्थ लिखे गये, उस समय उन आगम ग्रन्थोंके कर्ता आचार्यों के सामने तक्षशिलाकी अत्यधिक प्रसिद्धि रही थी। उसकी ख्यातिसे प्रभावित होकर ही उन आचार्योंने तक्षशिला नामका प्रयोग करना उचित समझा। फिर उस परम्पराके परवर्ती ग्रन्थकारोंने इस नामको ही अपना लिया। ___ पोदनपुरको ही तक्षशिला कहा जाने लगा, यह सम्भावना-मूलक कल्पना है। उसके लिए कोई ठोस आधार नहीं है। _ विमल सूरि कृत पउमैचरिउके अनुसार पोतन नगर ( पोदनपुर ) श्री रामचन्द्रजीके कालमें अत्यन्त समृद्ध नगर था। जब रामचन्द्र लंका विजय करके अयोध्या लौटे, तब एक दिन उन्होंने अपने लघुभ्राता शत्रुघ्नसे कहा-इस पृथ्वीपर तुम्हें जो प्रिय नगर हो, वह माँगो। मैं वह दूंगा। इस साकेतपुरीको ग्रहण करो अथवा पोतननगर, पुण्ड्रवर्धन या अन्य अभीष्ट देश। उपर्युक्त कथनसे ऐसा लगता है कि श्री रामचन्द्रके कालमें भी पोतनपुर विख्यात और समृद्ध नगर था। किन्तु तक्षशिला इससे भिन्न थी, जिसे भरतके पूत्र तक्षने बसाया और अपनी राजधानी बनाया। एक नवीन कल्पना एक मधुर कल्पना यह भी की गयी है कि बाहबलीको उत्तरापथ और दक्षिणापथ दोनों तरफ राज्य दिया गया था। उन्होंने उत्तरापथके अपने राज्यकी राजधानी पोदनपुर बनायी। जब भरतने आक्रमण किया तो उन्होंने तक्षशिलापर आक्रमण किया, पोदनपुरके ऊपर नहीं किया। क्योंकि बाहुबली प्रायः तक्षशिलामें ही रहते थे। इस कल्पनाका आधार कुछ भी नहीं है। 'विविध तीर्थकल्प' हस्तिनापुर कल्पके अनुसार भगवान् ऋषभदेवने बाहुबलीको तक्षशिला और हस्तिनापुरका राज्य दिया था। इससे इस कल्पनाका खण्डन हो जाता है कि बाहुबली ने अपने दक्षिण राज्यको राजधानी पोदनपुर बनायी। १. भारतीय इतिहासकी रूपरेखा, भाग १, पृ. १५६ । २. पउमचरिउ, ८६।२।
SR No.090096
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1974
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size16 MB
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