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उत्तरप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ
२०३ पाँचवाँ मन्दिर इस हौजके दूसरी ओर है, जिसमें एक सहस्रकूट चैत्यालय बना हुआ है। यह अत्यन्त कलापूर्ण एवं भव्य है। यह १२ फुट ऊँचा है। इसका निर्माण-काल भी वि. सं. १००१ है। इसके परिक्रमा-पथकी दीवालोंमें बाहर और भीतर प्राचीन प्रतिमाएँ अंकित हैं।
इस सहस्रकूट चैत्यालयकी स्थापना अथवा प्रतिष्ठा किसने करायी थी-इस सम्बन्धमें श्री अहार क्षेत्रपर भगवान् शान्तिनाथके पादपीठमें उत्कीर्ण लेखसे कुछ प्रकाश पड़ता है। यह लेख वि. सं. १२३९ का है। इसके अनुसार अहारजीके प्रतिमा-प्रतिष्ठाताके प्रपिताके प्रपिता इस सहस्रकूट चैत्यालयके प्रतिष्ठापक थे। वह उल्लिखित श्लोक इस प्रकार है
गृहपति-वंश-सरोरुह-सहस्ररश्मिः सहस्रकूटं यः।
बाणपुरे व्यधिधासीत् श्री मानसिंह देवपाल इति ।। अर्थात् गृहपति वंशरूपी कमलोंको प्रफुल्लित करनेके लिए सूर्यके सदृश यहाँ श्रीसम्पन्न देवपाल हुए जिनके द्वारा बाणपुरमें सहस्रकूट चैत्यालय बनवाया गया।
___ इस क्षेत्रके अहातेमें कई मन्दिरों और मूर्तियोंके भग्नावशेष पड़े हुए हैं । यहाँसे लगभग १२ मील दूर सोजना नामक गाँवमें कई जैन मूर्तियाँ पड़ी हुई हैं । गाँवका मन्दिर भी बहुत विशाल है। इसमें १५-१६वीं शताब्दो की प्रतिमाएँ विद्यमान हैं।
मदनपुर
मार्ग
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मदनपुर झाँसी जिलेके अन्तर्गत मडावरासे दक्षिणकी ओर १७ कि. मी. है । झाँसीसे मडावरा २५० कि. मी. है। मडावरा ग्राममें भी ११ विशाल जैन मन्दिर हैं तथा ९ छोटे मन्दिर हैं । स्व. पूज्य गणेशप्रसादजी वर्णीका जन्म इसी गाँवमें हुआ था। झाँसीसे मदनपुर तक पक्की सड़क है और बसें बराबर आती-जाती हैं। महरौनीसे भी मदनपुरके लिए पक्का मार्ग बन गया है जो आगे जाकर बरौदियाकलाँपर झाँसी-सागर राष्ट्रीय मार्गसे मिल जाता है । ललितपुर ग्रामसे बरौदियाकलाँ ( ललितपुर-सागर रोड ) होकर यह स्थान ७६ कि. मी. पड़ता है। मदनपूर ग्राममें जैनोंके केवल दो घर हैं। इस ग्राममें थाना भी बन गया है जिससे असुरक्षाका भय बिलकुल भी नहीं रहा। मदनपुर गाँवसे क्षेत्र तकका मार्ग भी बहुत सुन्दर बन गया है । चम्पोमढ़ और मोदीमढ़ जानेका भी मार्ग बन गया है। जंगल कटवा दिये गये हैं। क्षेत्रसे थाना ३-४ फलांग दूर है । थानेके निकट ही सरकारी डाक बंगला बना हुआ है।
.... - क्षेत्र-दर्शन . गाँवमें एक प्राचीन मन्दिर है जो जीर्ण-शीर्ण दशामें है। गर्भगृहके ऊपर लगभग ४० फुट ऊँचा शिखर बना हुआ है। मन्दिरमें ६ श्वेत पाषाण और ६ धातुकी प्रतिमाएं हैं, जो १५वीं शताब्दीसे १८वीं शताब्दी तक की हैं।
गाँवसे उत्तरकी ओर लगभग ५०० गज चलनेपर पर्वतपर पंचमढ़ी मिलती है। जिनमेंसे चार मन्दिर तो चारों कोनोंपर और एक सबके मध्यमें बना हुआ है। चारों मढ़ोंकी ऊँचाई १५ फट है तथा बीचके मढकी ऊँचाई २० फुट है। प्रत्येक मढमें एक-एक खडगासन प्रतिमा सीमेण्टसे दीवालमें जोड़कर खड़ी की गयी है, जिनकी अवगाहना पाँच-पाँच फुटकी है। प्रत्येक पर लेख