SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 239
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उत्तरप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ २०१ बालाहट बालाबेहट एक ग्राम है जो उत्तर प्रदेशके जिला झाँसीके अन्तर्गत स्थित है। यहाँपर पोस्ट-आफिस भी है । ललितपुरसे इस क्षेत्र तक प्रतिदिन मोटर जाती है । बरसातके दिनोंमें मोटरका आना-जाना बन्द हो जाता है। मार्ग इस प्रकार हैं-ललितपुरसे दक्षिणकी ओर ललितपुरसागर रोड पर लगभग २५ कि. मी. जाते हैं। वहाँसे १३ कि. मी. कच्चा मार्ग है। ललितपुरसे अमझराघाटी होकर भी बालाबेहट जाते हैं। अमझराघाटीसे ५ कि. मी. पक्का मार्ग है, बादमें लगभग १४ कि. मी. कच्चा मार्ग है। यह रास्ता अपेक्षाकृत अच्छा है। एक अन्य रास्ता करोंदा स्टेशनसे है । यहाँसे १६ कि. मी. की दूरीपर उत्तर दिशामें कच्चे रास्तेसे बैलगाड़ी द्वारा वहाँ पहुंचा जा सकता है। यह एक अतिशय क्षेत्र है। यहाँकी मुख्य प्रतिमा काले पाषाणकी भगवान् पार्श्वनाथकी है, जो डेढ़ फुट अवगाहनाकी है। यह प्रतिमा साँबलियाके नामसे प्रचलित है। कहते हैं, कि वि. सं. १५०० में किसी व्यक्तिको स्वप्न हुआ और उसने दूसरे दिन इस प्रतिमाको जमीनके अन्दरसे खोदकर निकाला। तभीसे इसकी प्रसिद्धि हो गयी है। अब यह प्रतिमा एक विशाल मन्दिरमें विराजमान है जो कि लगभग २०० वर्ष प्राचीन है। जब कभी रात्रिमें यहाँ देव नृत्य पूजन आदि करते हैं, बाजे बजते हैं, यह किंवदन्ती भी प्रचलित है। प्रतिमाके लेखसे प्रतीत होता है कि यह वि. सं. १४४६ में प्रतिष्ठित हुई थी। क्षेत्र पर एक ही मन्दिर है । एक दूसरा मन्दिर भी है जो जीर्णावस्थामें है, अतः खाली पड़ा है। प्रतिमाओंकी कुल संख्या ५१ है। यहाँ दो धर्मशालाएं हैं जिनमें एक जीर्ण है। गाँवमें अभीअभी कुछ जैनोंके घर भी बस गये हैं। चाँदपुर-जहाजपुर मार्ग - यह क्षेत्र ललितपुर और जाखलोनसे आगे ललितपुर-बीना लाइन पर धौर्रा स्टेशनसे आधा मील दूरी पर बियाबान जंगलमें जीर्ण-शीर्ण अवस्था पड़ा हुआ है। यह देवगढ़से लगभग १८ मीलकी दूरीपर है। चाँदपुर और जहाजपुरके बीचसे रेलवे लाइन गुजरती है। चाँदपुर पूर्व और जहाजपुर पश्चिमकी ओर है। चाँदपुरकी ओर जाते हुए कुछ मूर्तियां रास्तेमें भी पड़ी हुई हैं। यहाँ एक विशाल कोटसे घिरी हुई एक जगह है जिसमें ३ मन्दिर विद्यमान हैं। पहला मन्दिर ऊँचे चबूतरेपर छतरीनुमा बना है। चबूतरेपर चारों ओर बहुत-सी मूर्तियाँ बिखरी पड़ी हैं। इनमेंसे एक तो १२ फुटकी है। एक मन्दिर बीचमें है। उसमें घुसनेका दरवाजा बहुत छोटा है। इसमें एक १७ फुट ऊँची भगवान् शान्तिनाथकी मूर्ति है और इधर-उधर ८ मूर्तियाँ और रखी हैं। दो बहुत ही सुन्दर यक्षिणियोंकी भी मतियाँ हैं। इस मन्दिरके बाहर २४ मूर्तियाँ पड़ी हैं। मन्दिरके सामने एक ६० फूटका मैदान है, जिसके ऊपर चलनेसे प्रतीत होता है कि यदि इसकी खुदाई करायी जाये तो बहुत अधिक पुरातत्त्व सामग्री मिलेगी। .... इसके अलावा मन्दिरके परकोटेमें किसी समय चौबीसों भगवान्की चौबीसी रही होगी। परन्तु अब तो उस चौबीसीकी लगभग ५-६ प्रतिमा ही दिखाई देती हैं। २६
SR No.090096
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1974
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy