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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ
महामण्डप प्रवेश द्वारपर दो मदनिका अंकित हैं तथा संगीत सभाका दृश्य बना हुआ है । यह मण्डप १६ खम्भोंपर ठहरा हुआ है । इसमें १६ शिलाफलक हैं। गर्भगृहका द्वार नीचा है। द्वारपर गंगा-यमुनाका अंकन है। गर्भगृह में ५ शिलापट्ट हैं। एक ७ फुट ७ इंचकी विशाल मूर्ति है ।
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मन्दिर नम्बर १९ - यह दक्षिणाभिमुख है । मण्डप में ८ स्तम्भ हैं । प्रवेशद्वारपर गंगायमुना, नाग-नागी, तीर्थंकर मूर्तियों तथा भरत और बाहुबलीकी मूर्तियोंका सुन्दर अंकन है । महामण्डपमें १६ स्तम्भ हैं । १२ शिलाफलक रखे हुए हैं। इनमेंसे ७ के शीर्ष कटे हुए हैं । मन्दिर बरामदे में चारभुजी खड़ी हुई सरस्वती, षोड़शभुजी गरुड़ासीना चक्रेश्वरी, वृषभासीना अष्टमुखी ज्वालामालिनी और पद्मावतीकी मूर्तियाँ बड़ी मनोज्ञ हैं । इनमेंसे एकपर विक्रम सं. ११२० खुदा हुआ है।
मन्दिर नम्बर २० - यह दक्षिणाभिमुख है । प्रवेश-द्वार पर गंगा, यमुना और तीर्थंकरमूर्तियों का अंकन है । मण्डपमें २४ स्तम्भ हैं तथा २७ शिलापट्ट रखे हैं । इनमें १४ पर खड्गासन और १३ पर पद्मासन प्रतिमाएँ अंकित हैं। गर्भगृहमें ५ शिलापट्ट हैं जिनमें ३ पर पद्मासन और २ पर खड्गासन मूर्तियाँ हैं । भगवान् महावीरकी पद्मासन मूर्ति अत्यन्त सुन्दर है ।
मन्दिर नम्बर २१ - मण्डप ८ स्तम्भोंपर आधारित है । यहाँ एक स्तम्भ खण्ड रखा हुआ है जिसपर ६ पंक्तियों का एक लेख है । मण्डपमें एक कायोत्सर्ग मूर्ति है जो खण्डित है । पश्चिमी कमरे में ८ शिलाफलक हैं, जिनमें ३ पर अभिलेख हैं।
एक मूर्तिका सिर कटा
हुआ है।
पूर्वी कक्ष में भी ८ शिलाफलक हैं। इनकी मूर्तियाँ बड़ी सुन्दर हैं । कटे हुए हैं ।
सन् १९५९ में मूर्ति-चोरोंने इस मन्दिरको बहुत क्षति पहुँचायी थी । अनेक मूर्तियोंके सिर काट ले गये । इन्द्रकी पूरी मूर्तिको ही छैनीसे काट दिया। इस मामले में मोहनजोदड़ो दिल्ली फर्मशिवचन्द आदिको सुप्रीम कोर्टसे कारावासका दण्ड भी हुआ ।
मन्दिर नम्बर २२ - यह दक्षिणाभिमुख है । मण्डप दो स्तम्भों और प्रवेश-द्वारपर स्थित है । द्वारके ऊपर एक पंक्तिका लेख है। बाहरी दीवारोंपर शिखराकृतियाँ बनी हुई हैं। गर्भगृहमें ३ शिलापट्टोंपर ३ पद्मासन मूर्तियाँ बनी हुई हैं ।
मन्दिर नम्बर २३ – प्रवेश द्वार सुन्दर है। गर्भगृहकी वेदी सूनी है । यहाँ ५ शिलापट्ट हैं३ पर कायोत्सर्ग और १ पर पद्मासन तीर्थंकर मूर्तियाँ अंकित हैं । अन्य १ शिलापट्टपर अम्बिका
मूर्त है।
मन्दिर नम्बर २४ - मण्डपसे आगे द्वार है जिसपर गंगा-यमुना और तीर्थंकर मूर्तियोंका भव्य अंकन है । द्वारके सिरदलपर १ पंक्तिका लेख है। गर्भगृहमें ५ शिलापट्ट हैं - ३ पर पद्मासन, १ पर खड्गासन मूर्तियाँ हैं तथा १ पर धरणेन्द्र-पद्मावती बने हुए हैं ।
मन्दिर नम्बर २५–यह पूर्वाभिमुख है । मण्डप चार स्तम्भोंपर आधारित है । प्रवेशद्वारके ऊपर खड्गासन पार्श्वनाथका अंकन है । इसके बगलमें एक पंक्तिका लेख है। गर्भगृहमें ५ शिलाफलक है जिनमें २ पर पद्मासन और ३ पर खड्गासन प्रतिमाएँ हैं ।
किन्तु ४ मूर्तियोंके सिर
मन्दिर नम्बर २६ – यह पूर्वाभिमुख है । मण्डप ८ स्तम्भोंपर खड़ा है । मण्डपमें ५ शिलापट्ट हैं । १ पर केवल भामण्डल है । प्रवेश-द्वारके सिरदलपर पाँच फणावलीवाली सुपार्श्वनाथकी मूर्ति है । गर्भगृहमें कुल १२ स्तम्भ हैं । यहाँ १३ शिलाफलक हैं, जिनमें ७ पर अभिलेख हैं । सन् १९५९